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लैंगिक प्रौढ़ता और सम्भोग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लैंगिक प्रौढ़ता और सम्भोग के बीच अंतर

लैंगिक प्रौढ़ता vs. सम्भोग

किसी जीवधारी की लैगिक प्रौढ़ता (sexual maturity) का अर्थ उस अवस्था से है जब वह प्रजनन करने के योग्य हो गया हो। मानवों में लैंगिक रूप से प्रौढ़ होने की प्रक्रिया को यौवनारंभ (puberty) कहते हैं। जब अधिकांश प्राणी लैगिक प्रौढ़ता की अवस्था में पहुँचते हैं, तब उनमें जनन क्रियाशीलता का नियतकालिक प्रादुर्भाव होता है, जिसे 'प्रजनन ऋतु', या 'काम ऋतु' कहते हैं। यह प्रादुर्भाव नर में कम और मादा में अधिक स्पष्ट होता है। प्रजनन ऋतु में प्रत्येक प्राणी पर, किसी में एक बार और किसी में अनेक बार, कामक्रियाशीलता की लयात्मक तरंगों का प्रभाव पड़ता है। प्रजनन ऋतुओं के मध्यांतर में कामप्रवृत्ति स्थगित रहती है। विभिन्न वर्ग के प्राणियों में विभिन्न आंतर तथा बाह्य कारणों से प्रजनन ऋतु का तीव्र आक्रमण होता है। इसके मूल में यह सिद्धांत निहित है कि अधिकांश प्राणियों का जननचक्र बदलती ऋतुओं के अनुरूप घटित होता है तथा भावी शिशु के विकास के अनुकूल काल में होता है। प्रजननचक्र के आविर्भाव में, बाह्य, या आंतर कारणों से पोषणाहार की प्राप्ति का भी महत्वपूर्ण हाथ है। स्तनधारी प्राणियों में प्रजननचक्र की आवृत्ति ऋतु, व्यक्तिगत और मातृक प्रभावों (दूध देने तथा गर्भ की अवधियों), भ्रूणविकास की दर में विभिन्नता तथा उपचर्या की शक्तियों पर निर्भर करती है। वर्ष के किसी अनुकूल समय में शिशु के आगमन के लिए ये कारक यथेष्ट हैं। एक ही प्रजननकाल की अवधि में "ऊष्माकाल" (heat period) का सिलसिला सफल मैथुन के अवसरों को वृद्धि करता है। "ऊष्मा" की संख्या और आवृत्ति, पर्यावरण और मौसम से प्रभावित होती है। "ऊष्मा" के कारण स्तनधारियों में मदचक्र (oestrus cycle) उत्पन्न होता है। . सम्भोग (अंग्रेजी: Sexual intercourse या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। संभोग की क्रिया केवल पति-पत्नी के बीच ही हो सकती है । यदि कोई महिला या पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाता है । तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सजा भारत मे 30 साल की उम्रकैद है। यदि कोई स्त्री पुरुष अपने पति पत्नी को छोड़कर किसी अन्य से संबंध बनाता बनाती है । तो उस स्त्री अथवा पुरुष का उसकी पति अथवा पत्नी से तलाक हो जाता है । तथा उस स्त्री अथवा पुरुष को 30 साल की जेल होती है। विवाह से पूर्व संभोग करने भी अपराध की श्रेणी में आता है । इसकी दज यह है कि उस उन दोनों का विवाह करना अनिवार्य हो जाता है । तथा वे एक-दूसरे से जीवन भर तलाक नही ले सकते है । और किसी अन्य से संभोग भी नही कर सकते है । सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं। सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जजिसे अंग्रेजी में फ़ोर प्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन, हस्तमैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं। .

लैंगिक प्रौढ़ता और सम्भोग के बीच समानता

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लैंगिक प्रौढ़ता और सम्भोग के बीच तुलना

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संदर्भ

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