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लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण के बीच अंतर

लब्धि vs. स्वतः लब्धि नियंत्रण

प्रवर्धकों की लब्धि, इनपुट संकेत पर निर्भर करती है। अतः लब्धि का ग्राफ आवृत्ति के फलन के रूप में बनाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स में किसी निर्बल संकेत के आयाम (या शक्ति) को बढ़ाना प्रवर्धन (Amplification) कहलाता है। वह परिपथ जो किसी संकेत का आवर्धन करता है, प्रवर्धक कहलाता है। आमतौर पर किसी प्रणाली के संकेत आउटपुट और संकेत इनपुट के अनुपात को प्रवर्धक का प्रवर्धन गुणांक (Amplification factor) अथवा लब्धि (Gain) अथवा अभिलाभ कहते हैं। इसे उसी अनुपात के दशमलव लघुगणक के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। . एनालॉग टेलीफोन नेटवर्क में प्रयुक्त AGC का योजनामूलक चित्र। लब्धि को बदलने के लिये आउटपुट से फीडबैक एक Vactrol resistive opto-isolator से लिया गया है। स्वतः लब्धि नियंत्रण (Automatic gain control (AGC)) एक ऐसा परिपथ या नियंत्रण प्रणाली है जो इन्पुट संकेत के घटने-बढने के बावजूद आउटपुट को एक नियत मान पर बनाये रखती है। बहुत सी इलेक्ट्रानिक युक्तियों (जैसे रेडियो, टीवी, रडार आदि) में यह प्रयुक्त होती है। आउटपुट के स्तर को नियत बनाये रखने के लिये आउटपुट संकेत का औसत मान या शिखर मान (पीक वैलू) सेंस किया जाता है और इसे निगेटिव फीडबैक कर दिया जाता है। स्वतः लब्धि नियंत्रण से लाभ यह है कि इसके रहने से प्रवर्धक इनपुट संकेत के बहुत छोटे से लेकर बहुत बड़े मान के लिये भी संतोषजनक ढंग से काम करता है और संतृप्त (सैचुरेट) नहीं होता। उदाहरण के लिये यदि AGC न हो तो AM रेडियो रिसीवर से निकलने वाली आवाज कभी धीमी सुनाई पड़ेगी और कभी बहुत तेज। किन्तु AGC के काम करने के कारण यदि आवाज एक सीमा से अधिक होने लगे तो स्वतः इसको कम कर दिया जाता है। रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एजीसी एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ होता है जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो। .

लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण के बीच समानता

लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): विद्युत परिपथ

विद्युत परिपथ

एक सरल विद्युत परिपथ जो एक वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध से मिलकर बना है ब्रेडबोर्ड के ऊपर बनाया गया एक सरल परिपथ (मल्टीवाइव्रेटर) विद्युत अवयवों (वोल्टेज स्रोत, प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र एवं कुंजियों आदि) एवं विद्युतयांत्रिक अवयवों (स्विच, मोटर, स्पीकर आदि) का परस्पर संयोजन विद्युत परिपथ (Electric circuit) अथवा विद्युत नेटवर्क (electrical network) कहलाता है। विद्युत परिपथ बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हो सकते हैं; जैसे-विद्युत-शक्ति के उत्पादन, ट्रान्समिसन, वितरण एवं उपभोग का नेटवर्क। बहुत से विद्युत परिपथ प्राय: प्रिन्टेड सर्किट बोर्डों पर संजोये जाते हैं। विद्युत परिपथ अत्यन्त लघु आकार के भी हो सकते हैं; जैसे एकीकृत परिपथ। जब किसी परिपथ में डायोड, ट्रान्जिस्टर या आईसी आदि लगे होते हैं तो उसे एलेक्ट्रॉनिक परिपथ भी कहा जाता है जो कि विद्युत परिपथ का ही एक रूप है। विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख (सर्किट डायग्राम) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रायः एक या अधिक बन्द लूप वाले नेटवर्क ही विद्युत परिपथ कहलाते हैं। .

लब्धि और विद्युत परिपथ · विद्युत परिपथ और स्वतः लब्धि नियंत्रण · और देखें »

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लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण के बीच तुलना

लब्धि 8 संबंध है और स्वतः लब्धि नियंत्रण 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 8.33% है = 1 / (8 + 4)।

संदर्भ

यह लेख लब्धि और स्वतः लब्धि नियंत्रण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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