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रोमन लीजन

सूची रोमन लीजन

रोमन लीजन (अंग्रेज़ी: Roman legion, लातीनी: legio) प्राचीन रोम की सेना की एक बड़ी टुकड़ी को कहा जाता था। सामान्य रूप से एक रोमन लीजन में लगभग पाँच हज़ार सैनिक हुआ करते थे। रोम गणतंत्र के काल में एक लीजन को दस मानिपलों (maniples) के तीन गुटों में विभाजित करा जाता था। गणतंत्र के अंतिम दिनों और रोम साम्राज्य के अधिकांश काल में लीजन को पाँच या छह सेन्चूरियों (centuries) के दस कोहोर्ट (cohorts) में बाँटा जाता था। .

5 संबंधों: रोम गणतंत्र, रोमन साम्राज्य, रोमन सेना, लातिन भाषा, अंग्रेज़ी भाषा

रोम गणतंत्र

रोम गणतंत्र (लातिनी: Res Publica Romana, रेस्पुब्लिका रोमाना; Roman Republic) प्राचीन रोमन सभ्यता के उस काल को कहा जाता है जब वहाँ की सरकार गणतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार चलाई जाती थी। इसकी शुरुआत सन् ५०९ ईसापूर्व में रोम में राजशाही की समाप्ति के साथ हुई और यह २७ ईसापूर्व में ऑगस्टस कैसर द्वारा राजसिन्हासन पर विराजमान होने तक चली। रोम गणतंत्र का नेतृत्व दो कोन्सुल किया करते थे जिनका चुनाव नागरिक एक वर्ष की अवधि के लिये किया करते थे। एक सेनेट नामक सभा इनके सलाहकार के रूप में काम करती थी और यह कोन्सुल उसे जवाबदेह भी थे। शक्तियों के इस बटवारे से किसी भी शासक को अधिक ताक़त समेटकर तानाशाह बनने से रोकने की चेष्टा की गई थी। धीरे-धीरे इन सिद्धांतो पर आधारित एक संविधान ने भी रूप ले लिया। रोम गणतंत्र के काल में रोमन साम्राज्य का बहुत विस्तार हुआ। पहले यह पूरे इतालवी प्रायद्वीप पर फैल गया। फिर उत्तर अफ़्रीका, इबेरियाई प्रायद्वीप, यूनान और दक्षिणी फ़्रान्स भी इसके अधीन हो गये। पहली सदी ईसापूर्व तक पूरा फ़्रान्स और पूर्वी भूमध्य सागर से सटा हुआ लगभग सारा इलाक़ा साम्राज्य का भाग बन चुका था। .

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रोमन साम्राज्य

अपने महत्तम विस्तार पर 117 इस्वी में '''रोमन साम्राज्य''' रोमन साम्राज्य का उत्थान एवं पतन रोमन साम्राज्य (27 ई.पू. –- 476 (पश्चिम); 1453 (पूर्व)) यूरोप के रोम नगर में केन्द्रित एक साम्राज्य था। इस साम्राज्य का विस्तार पूरे दक्षिणी यूरोप के अलावे उत्तरी अफ्रीका और अनातोलिया के क्षेत्र थे। फारसी साम्राज्य इसका प्रतिद्वंदी था जो फ़ुरात नदी के पूर्व में स्थित था। रोमन साम्राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लातिनी और यूनानी भाषाएँ बोली जाती थी और सन् १३० में इसने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया था। यह विश्व के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। यूँ तो पाँचवी सदी के अन्त तक इस साम्राज्य का पतन हो गया था और इस्तांबुल (कॉन्स्टेन्टिनोपल) इसके पूर्वी शाखा की राजधानी बन गई थी पर सन् १४५३ में उस्मानों (ऑटोमन तुर्क) ने इसपर भी अधिकार कर लिया था। यह यूरोप के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। .

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रोमन सेना

रोमन सेना की प्रगति को हम चार प्रमुख भागों में बाँट सकते हैं। (1) रोम के प्रारंभिक युग में सेना एक नागरिक सेना थी। (2) फिर इसका विकास विजयी गणतांत्रिक सेना में हुआ, जिसने क्रमश: इटली और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का दमन किया। नागरिकों की पैदल सेना प्रति वर्ष की आवश्यकताओं के अनुसार आकार में बदलती हुई अंततोगत्वा अपनी लंबी सेवा तथा संगठन के साथ एक वेतनभोगी सेना के रूप में विकसित हुई। (3) उसके बाद यह सुरक्षा की साम्राज्यवाहिनी बनी। नागरिक सेना से बदलकर यह दुर्गरक्षक सेना के रूप में परिणत हो गई और इसमें इटली तथा प्रदेशों के प्रतिनिधि भी थे। (4) अंत में जंगली घुड़सवारों के आक्रमणों ने एक मैदानी सेना के निर्माण के लिए बाध्य किया, जो सीमा दुर्गरक्षक सेना से भिन्न थी और जिसमें बड़ी संख्या में सवार सम्मिलित हुए और जो शीघ्र ही पैदल सेना से अधिक महत्वशाली सिद्ध हुई। रोमन सेना पहले पैदल सिपाहियों की सेना थी, बाद की अवस्थाओं में उसमें घुड़सवारों की प्रमुखता हुई। यह दीर्घ विकास निरंतर चलता रहा। वास्तव में यह विकास इतना अटूट है कि बहुत से सैनिक प्राविधिक शब्द युगों तक पूर्ववत्‌ प्रयुक्त होते रहे। यद्यपि उनके अर्थ में गंभीर संशोधन हुए, किंतु उनका स्वरूप अपरिवर्तित व्यवस्था में निहित है। उदाहरण के लिए लीजन (Legion) शब्दावली सभी चार अवस्थाओं में आती है। किंतु प्रत्येक में इसका महत्व भिन्न है। सदैव इससे नागरिक सैनिकों का बोध हुआ, सदा इससे यह भी प्रगट हुआ कि यह एक सेना थी जो यदि पूर्णतया नहीं तो प्रमुख रूप से विशाल पैदल सेना थी, किंतु इन दो लगातार ढाँचों की रचना समय समय पर बदलती रही। प्रथम अवधि में लीजन अनिवार्य भरती सेना थी, मैदान सँभालने के लिए जिसका आवाहन किया जाता था। द्वितीय अवधि में 'लीजन' संपूर्ण सेना नहीं थी, बल्कि यह प्रमुख इकाइयों में से एक थी जिनमें विकासमान संगठन से सेना को विभाजित कर दिया गया था, लीजन अब करीब पाँच हजार व्यक्तियों का समूह थी। लीजनों की संख्या परिस्थिति के अनुसार बदलती थी और सेना में नागरिकों के अतिरिक्त दूसरी टुकड़ियाँ भी सम्मिलित थीं, यद्यपि अधिकतर वे महत्वपूर्ण नहीं थीं। तृतीय अथवा सम्राज्यवादी युग में बहुत सी लीजंस (वास्तव में एक नियत संख्या) विशेष दुर्गों में स्थित थी, अन्य टुकड़ियाँ भी थीं जिनमें बड़ी संख्या थी तथा जो महत्वपूर्ण थीं, यद्यपि अभी वे उतनी विशाल नहीं थीं जितनी लीजन थीं। अंत में लीजंस छोटी इकाइयाँ बन गईं और अन्य तथा घुड़सवार सेना रोम की वास्तविक युद्ध वाहिनी बनी। .

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लातिन भाषा

लातीना (Latina लातीना) प्राचीन रोमन साम्राज्य और प्राचीन रोमन धर्म की राजभाषा थी। आज ये एक मृत भाषा है, लेकिन फिर भी रोमन कैथोलिक चर्च की धर्मभाषा और वैटिकन सिटी शहर की राजभाषा है। ये एक शास्त्रीय भाषा है, संस्कृत की ही तरह, जिससे ये बहुत ज़्यादा मेल खाती है। लातीना हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है। इसी से फ़्रांसिसी, इतालवी, स्पैनिश, रोमानियाई और पुर्तगाली भाषाओं का उद्गम हुआ है (पर अंग्रेज़ी का नहीं)। यूरोप में ईसाई धर्म के प्रभुत्व की वजह से लातीना मध्ययुगीन और पूर्व-आधुनिक कालों में लगभग सारे यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी, जिसमें समस्त धर्म, विज्ञान, उच्च साहित्य, दर्शन और गणित की किताबें लिखी जाती थीं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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