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रेशम

सूची रेशम

रेशम की बनी परम्परागत बनारसी साड़ी रेशम (Silk) प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा है। रेशम के कुछ प्रकार के रेशों से वस्त्र बनाए जा सकते हैं। ये प्रोटीन रेशों में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin) होता है। ये रेशे कुछ कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है। सबसे उत्तम रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है। .

5 संबंधों: तितली, रेशम कीट, रेशमकीट पालन, रेशा, शहतूत

तितली

तितली कीट वर्ग का सामान्य रूप से हर जगह पाया जानेवाला प्राणी है। यह बहुत सुन्दर तथा आकर्षक होती है। दिन के समय जब यह एक फूल से दूसरे फूल पर उड़ती है और मधुपान करती है तब इसके रंग-बिरंगे पंख बाहर दिखाई पड़ते हैं। इसके शरीर के मुख्य तीन भाग हैं सिर, वक्ष तथा उदर। इनके दो जोड़ी पंख तथा तीन जोड़ी सन्धियुक्त पैर होते हैं अतः यह एक कीट है। इसके सिर पर एक जोड़ी संयुक्त आँख होती हैं तथा मुँह में घड़ी के स्प्रिंग की तरह प्रोवोसिस नामक खोखली लम्बी सूँड़नुमा जीभ होती है जिससे यह फूलों का रस (नेक्टर) चूसती है। ये एन्टिना की मदद से किसी वस्तु एवं उसकी गंध का पता लगाती है। केरल में तितली तितली एकलिंगी प्राणी है अर्थात नर तथा मादा अलग-अलग होते हैं। मादा तितली अपने अण्डे पत्ती की निचली सतह पर देती है। अण्डे से कुछ दिनों बाद एक छोटा-सा कीट निकलता है जिसे कैटरपिलर लार्वा कहा जाता है। यह पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है और फिर इसके चारों ओर कड़ा खोल बन जाता है। अब इसे प्यूपा कहा जाता है। कुछ समय बाद प्यूपा को तोड़कर उसमें से एक सुन्दर छोटी-सी तितली बाहर निकलती है। तितली का दिमाग़ बहुत तेज़ होता है। देखने, सूंघने, स्वाद चखने व उड़ने के अलावा जगह को पहचानने की इनमें अद्भुत क्षमता होती है। वयस्क होने पर आमतौर पर ये उस पौधे या पेड़ के तने पर वापस आती हैं, जहाँ इन्होंने अपना प्रारंभिक समय बिताया होता है। तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालाँकि कुछ तितलियाँ फूलों का रस पीती हैं। दुनिया की सबसे तेज़ उड़ने वाली तितली मोनार्च है। यह एक घंटे में १७ मील की दूरी तय कर लेती है। कोस्टा रीका में तितलियों की १३०० से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। दुनिया की सबसे बड़ी तितली जायंट बर्डविंग है, जो सोलमन आईलैंड्स पर पाई जाती है। इस मादा तितली के पंखों का फैलाव १२ इंच से ज्यादा होता है। .

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रेशम कीट

शहतूत की पत्तियों को खाते रेशम कीट रेशम कीट कीट वर्ग का प्राणी है। बाम्बिक्स वंश के लारवा से रेशम या सिल्क प्राप्त होता है। अतः इन्हें रेशम कीट कहते हैं। ये आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं तथा इनका पालन चीन में लगभग 5000 वर्षों से होता आया है। रेशम कीट एकलिंगी होता है। अर्थात नर और मादा कीट अलग-अलग होते हैं। यह शहतूत के पत्तों को खाता है। .

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रेशमकीट पालन

रेशम के कीट (२१ दिन के) कच्चा रेशम बनाने के लिये रेशम में कीटों का पालन रेशम उत्पादन (Sericulture) या 'रेशमकीट पालन' कहलाता है। .

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रेशा

रेशा (fiber) किसी प्राकृतिक या कृत्रिम पदार्थों के बने पतले तंतु को कहते हैं। यह ऊन, कपास, कागज़, पेड़ों की छाल, पॉलिएस्टर और कई अन्य सामग्रियों के हो सकते हैं। आम तौर पर पतले तंतु को ही रेशा कहा जाता है। मोटे तंतुओं को अक्सर 'रज्जू' (chord) कहा जाता है। मानवीय प्रयोग में कई प्रकार के रेशों को बुनकर चीज़ें बनाई जाती है, उदाहरण के लिये वस्त्र। .

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शहतूत

शहतूत की डाली, पत्तियाँ एवं फल शहतूत की पत्ती पर रखे शहतूत के फल 300px शहतूत (वानस्पतिक नाम: Morus alba) एक फल है। इसका वृक्ष छोटे से लेकर मध्यम आकार का (१० मीटर से २० मीटर ऊँचा) होता है और तेजी से बढ़ता है। इसका जीवनकाल कम होता है। यह चीन का देशज है किन्तु अन्य स्थानों पर भी आसानी से इसकी खेती की जाती है। इसे संस्कृत में 'तूत', मराठी में 'तूती', तुर्की भाषा में 'दूत', तथा फारसी, अजरबैजानी एवं आर्मेनी भाषाओं में 'तूत' कहते हैं रेशम के कीड़ों को खिलाने के लिये सफेद शहतूत की खेती की जाती है। यह भारत के अन्दर खासकर उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश बिहार झारखण्ड मध्य-प्रदेश हरियाणा पंजाब हिमाचल-प्रदेश इत्यादि राज्यों में अत्यधिक इसकी खेती की जाती है। .

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