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राष्ट्रपति भवन और लॉर्ड हार्डिंग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

राष्ट्रपति भवन और लॉर्ड हार्डिंग के बीच अंतर

राष्ट्रपति भवन vs. लॉर्ड हार्डिंग

राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है। सन १९५० तक इसे वाइसरॉय हाउस बोला जाता था। तब यह तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल का आवास हुआ करता था। यह नई दिल्ली के हृदय क्षेत्र में स्थित है। इस महल में ३४० कक्ष हैं और यह विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के आवास से बड़ा है। वर्तमान भारत के राष्ट्रपति, उन कक्षों में नहीं रहते, जहां वाइसरॉय रहते थे, बल्कि वे अतिथि-कक्ष में रहते हैं। भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल श्री सी राजगोपालाचार्य को यहां का मुख्य शयन कक्ष, अपनी विनीत नम्र रुचियों के कारण, अति आडंबर पूर्ण लगा जिसके कारण उन्होंने अतिथि कक्ष में रहना उचित समझा। उनके उपरांत सभी राष्ट्रपतियों ने यही परंपरा निभाई। यहां के मुगल उद्यान की गुलाब वाटिका में अनेक प्रकार के गुलाब लगे हैं और यह कि जन साधारण हेतु, प्रति वर्ष फरवरी माह के दौरान खुलती है। इस भवन की खास बात है कि इस भवन के निर्माण में लोहे का नगण्य प्रयोग हुआ है। . लॉर्ड हार्डिंग भारत के गवर्नर जनरल रहे थे। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.

राष्ट्रपति भवन और लॉर्ड हार्डिंग के बीच समानता

राष्ट्रपति भवन और लॉर्ड हार्डिंग आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): भारत के महाराज्यपाल

भारत के महाराज्यपाल

भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .

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राष्ट्रपति भवन और लॉर्ड हार्डिंग के बीच तुलना

राष्ट्रपति भवन 53 संबंध है और लॉर्ड हार्डिंग 1 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.85% है = 1 / (53 + 1)।

संदर्भ

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