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तैत्तिरीयोपनिषद और रामभद्राचार्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तैत्तिरीयोपनिषद और रामभद्राचार्य के बीच अंतर

तैत्तिरीयोपनिषद vs. रामभद्राचार्य

तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में से एक है। यह शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है - कुल ५३ मंत्र हैं जो ४० अनुवाकों में व्यवस्थित है। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या विद्या भी कहते हैं। तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है। इस उपनिषद् के बहुत से भाष्यों, टीकाओं और वृत्तियों में शांकरभाष्य प्रधान है जिसपर आनंद तीर्थ और रंगरामानुज की टीकाएँ प्रसिद्ध हैं एवं सायणाचार्य और आनंदतीर्थ के पृथक्‌ भाष्य भी सुंदर हैं। ऐसा माना जाता है कि तैत्तिरीय संहिता व तैत्तिरीय उपनिषद की रचना वर्तमान में हरियाणा के कैथल जिले में स्थित गाँव तितरम के आसपास हुई थी। . जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .

तैत्तिरीयोपनिषद और रामभद्राचार्य के बीच समानता

तैत्तिरीयोपनिषद और रामभद्राचार्य आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तैत्तिरीयोपनिषद, भारत, यजुर्वेद, संस्कृत भाषा, उपनिषद्

तैत्तिरीयोपनिषद

तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में से एक है। यह शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है - कुल ५३ मंत्र हैं जो ४० अनुवाकों में व्यवस्थित है। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या विद्या भी कहते हैं। तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है। इस उपनिषद् के बहुत से भाष्यों, टीकाओं और वृत्तियों में शांकरभाष्य प्रधान है जिसपर आनंद तीर्थ और रंगरामानुज की टीकाएँ प्रसिद्ध हैं एवं सायणाचार्य और आनंदतीर्थ के पृथक्‌ भाष्य भी सुंदर हैं। ऐसा माना जाता है कि तैत्तिरीय संहिता व तैत्तिरीय उपनिषद की रचना वर्तमान में हरियाणा के कैथल जिले में स्थित गाँव तितरम के आसपास हुई थी। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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यजुर्वेद

यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘'यजुस’' कहा जाता है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ॠग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है।। भारत कोष पर देखें इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं। यजुर्वेद में दो शाखा हैं: दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा। जहां ॠग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी वहीं यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुई।। ब्रज डिस्कवरी कुछ लोगों के मतानुसार इसका रचनाकाल १४०० से १००० ई.पू.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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उपनिषद्

उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है। उपनिषदों में कर्मकांड को 'अवर' कहकर ज्ञान को इसलिए महत्व दिया गया कि ज्ञान स्थूल से सूक्ष्म की ओर ले जाता है। ब्रह्म, जीव और जगत्‌ का ज्ञान पाना उपनिषदों की मूल शिक्षा है। भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की 'प्रस्थानत्रयी' कहलाते हैं। उपनिषद ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं, चाहे वो वेदान्त हो या सांख्य या जैन धर्म या बौद्ध धर्म। उपनिषदों को स्वयं भी वेदान्त कहा गया है। दुनिया के कई दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं। उपनिषद् भारतीय सभ्यता की विश्व को अमूल्य धरोहर है। मुख्य उपनिषद 12 या 13 हैं। हरेक किसी न किसी वेद से जुड़ा हुआ है। ये संस्कृत में लिखे गये हैं। १७वी सदी में दारा शिकोह ने अनेक उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया। १९वीं सदी में जर्मन तत्त्ववेता शोपेनहावर और मैक्समूलर ने इन ग्रन्थों में जो रुचि दिखलाकर इनके अनुवाद किए वह सर्वविदित हैं और माननीय हैं। .

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तैत्तिरीयोपनिषद और रामभद्राचार्य के बीच तुलना

तैत्तिरीयोपनिषद 16 संबंध है और रामभद्राचार्य 137 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 3.27% है = 5 / (16 + 137)।

संदर्भ

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