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राज्य और राष्ट्रप्रमुख

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

राज्य और राष्ट्रप्रमुख के बीच अंतर

राज्य vs. राष्ट्रप्रमुख

विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । . राष्ट्रप्रमुख अथवा राज्यप्रमुख,अंतर्राष्ट्रीय विधिशास्त्र में, किसी संप्रभु राज्य का एक सार्वजनिक राजनैतिक व्यक्तित्व होता है, जो कि राज्य के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व को स्वरूपित करता है, और सैद्धांतिक रूप से उसे संपूर्ण राज्य के चिन्हात्मक मानवीय स्वरूप के रूप में देखा जाता है। विभिन्न देशों में राष्ट्रप्रमुख को राजा, सम्राट, राष्ट्रपति, परमाधिपति, महाराज्यपाल, अयातुल्लाह, राजकुमार, परम-नेता, इत्यादि जैसे विभिन्न उपधियों से संबोधित किया जाता है। राष्ट्रप्रमुख का पद, राजकीय व्यवस्थापिका का सर्वोच्च अंग होता है, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, राष्ट्रप्रमुख को उस देश के औपचारिक प्रमुख एवं एकमात्र वैधिक प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है तथा अन्य तमाम राजकीय प्रतिनिधियों को उसके प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। अनेक देशों में, सैद्धान्तिकरूपतः, राज्य की तमाम शक्तियाँ उसी के व्यय पर निहित होती है, और शासनापालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका, इत्यादि सारे संसाधनों के शक्तियों का स्रोत राष्ट्रप्रमुख ही होता है। वहीं सरकार, शासनयंत्र का वह अंग होती है, जो कि, राष्ट्रप्रमुख पर निहित, राज्य के कार्यकारी प्राधिकारों का उपयोग करती है। जबकि अन्य कई शासन-पद्धतियों में न्यायपालिका और विधानपालिका को राष्ट्रप्रमुख के शक्ति के दायरे से स्वतंत्र रखा जाता है। साथ ही कई देश ऐसे भी हैं, जहाँ राष्ट्रप्रमुख के विवेकाधीन, केवल नाममात्र अधिकार निहित होते हैं। ऐसे देशों में राष्ट्रप्रमुख का पद केवल एक परंपरागत प्रमुखत्मक पद होता है। हालाँकि, सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख के पद पर एक व्यक्ति ही विराजमान होता है, परंतु यह आवश्यक नहीं है। कई देशों की विधि में, एक से अधिक व्यक्ति, व्यक्तिसमुह, परिषद् या संस्था को राष्ट्रप्रमुख का दर्जा दिया गया है। सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख की शक्तियाँ और प्राधिकार, अन्य संस्थानों और अधिकारियों पर निहित होते हैं, जिनका उपयोग, राष्ट्रप्रमुख स्वयं नहीं कर सकता हैं। विभिन्न देशों में, स्थानीय विधि, संविधान अथवा ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार, राष्ट्रप्रमुख की विवेकाधीन शक्तियाँ भिन्न होती हैं। इन शक्तियों के आधार पर, विभिन्न देशों के राष्ट्रप्रमुख पदों को विभिन्न भेदों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कई देशों में राष्ट्रप्रमुख को परम सत्ता प्रदान होती है, जबकि कुछ देशों में राष्ट्रप्रमुख सत्ताहीन होता है, अर्थात उसे किसी प्रकार की कोई शक्ति नहीं दी जाती है। अधिकांश देशों में राष्ट्रप्रमुख की शक्तियों को राज्य के विभिन्न अंगों में विभाजित किया गया है, और राष्ट्रप्रमुख पर विस्तृत मात्रा में शक्तियाँ निहित होती हैं, तथा इन शक्तियों पर विभिन्न प्रकार के रोक-थाम का प्रावधान होता है। .

राज्य और राष्ट्रप्रमुख के बीच समानता

राज्य और राष्ट्रप्रमुख आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): राजा

राजा

राजा (king) राजतंत्रात्मक शासन तंत्र का सर्वोच्च पद है। प्रायः यह वंशानुगत होता है। कुछ उदाहरण ऐसे जरूर मिलते हैं जहाँ राजा का चुनाव वंश परंपरा के बाहर के लोगों में से किया गया है। वह अपने मंत्रियों की सलाह से अपने राज्य पर शासन करता है। वह अपने शासन क्षेत्र, अधिपत्य या नियंत्रण वाले क्षेत्रों के लोगों के लिए नियम और नीतियाँ बनाता है। उसकी सहायता के लिए दरबार में विभिन्न स्तर के पद होते हैं। राजा के गुण और कर्तव्यों पर महाभारत सहित अनेक ग्रंथों में प्रकाश डाला गया है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

राज्य और राष्ट्रप्रमुख के बीच तुलना

राज्य 25 संबंध है और राष्ट्रप्रमुख 11 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.78% है = 1 / (25 + 11)।

संदर्भ

यह लेख राज्य और राष्ट्रप्रमुख के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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