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राजस्थान विश्वविद्यालय और समाजशास्त्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

राजस्थान विश्वविद्यालय और समाजशास्त्र के बीच अंतर

राजस्थान विश्वविद्यालय vs. समाजशास्त्र

राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। . समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचनगिडेंस, एंथोनी, डनेर, मिशेल, एप्पल बाम, रिचर्ड.

राजस्थान विश्वविद्यालय और समाजशास्त्र के बीच समानता

राजस्थान विश्वविद्यालय और समाजशास्त्र आम में 11 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, सामाजिक विज्ञान, संस्कृति, जीव विज्ञान, विश्वविद्यालय, विज्ञान, अर्थशास्त्र

दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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मनोविज्ञान

मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .

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मानवशास्त्र

बैंकाक के फोरेंसिक विज्ञान संग्रहालय में मानवशास्त्रीय वस्तुएँ मानवशास्त्र या नृविज्ञान (en:Anthropology) मानव, उसके जेनेटिक्स, संस्कृति और समाज की वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अध्ययन है। इसके अंतर्गत मनुष्य के समाज के अतीत और वर्तमान के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। सामाजिक नृविज्ञान और सांस्कृतिक नृविज्ञान के तहत मानदंडों और समाज के मूल्यों का अध्ययन किया जाता है। भाषाई नृविज्ञान में पढ़ा जाता है कि कैसे भाषा, सामाजिक जीवन को प्रभावित करती है। जैविक या शारीरिक नृविज्ञान में मनुष्य के जैविक विकास का अध्ययन किया जाता है। नृविज्ञान एक वैश्विक अनुशासन है, जिसमे मानविकी, सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान को एक दूसरे का सामना करने के लिए मजबूर किया जाता है। मानव विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान के समेत मनुष्य उत्पत्ति, मानव शारीरिक लक्षण, मानव शरीर में बदलाव, मनुष्य प्रजातियों में आये बदलावों इत्यादि से ज्ञान की रचना करता है। सामाजिक-सांस्कृतिक नृविज्ञान, संरचनात्मक और उत्तर आधुनिक सिद्धांतों से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। .

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राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .

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लोक प्रशासन

लोक प्रशासन (Public administration) मोटे तौर पर शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। प्रशासन का वह भाग जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोकप्रशासन कहलाता है। लोकप्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है। एक अनुशासन के रूप में इसका अर्थ वह जनसेवा है जिसे 'सरकार' कहे जाने वाले व्यक्तियों का एक संगठन करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य और अस्तित्व का आधार 'सेवा' है। इस प्रकार की सेवा उठाने के लिए सरकार को जन का वित्तीय बोझ करों और महसूलों के रूप में राजस्व वसूल कर संसाधन जुटाने पड़ते हैं। जिनकी कुछ आय है उनसे कुछ लेकर सेवाओं के माध्यम से उसका समतापूर्ण वितरण करना इसका उद्देश्य है। किसी भी देश में लोक प्रशासन के उद्देश्य वहां की संस्थाओं, प्रक्रियाओं, कार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की संरचनाओं तथा उस देश के संविधान में व्यक्त शासन के सिद्धातों पर निर्भर होते हैं। प्रतिनिधित्व, उत्तरदायित्व, औचित्य और समता की दृष्टि से शासन का स्वरूप महत्व रखता है, लेकिन सरकार एक अच्छे प्रशासन के माध्यम से इन्हें साकार करने का प्रयास करती है। .

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सामाजिक विज्ञान

सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .

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संस्कृति

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .

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जीव विज्ञान

जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है। जीवविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। 'बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने १८०२ ई० में किया। जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं.

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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राजस्थान विश्वविद्यालय और समाजशास्त्र के बीच तुलना

राजस्थान विश्वविद्यालय 44 संबंध है और समाजशास्त्र 107 है। वे आम 11 में है, समानता सूचकांक 7.28% है = 11 / (44 + 107)।

संदर्भ

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