भैषज्य कल्पना और रसविद्या
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भैषज्य कल्पना और रसविद्या के बीच अंतर
भैषज्य कल्पना vs. रसविद्या
आयुर्वेद में भैषज्य कल्पना का अर्थ है औषधि के निर्माण की डिजाइन (योजना)। आयुर्वेद में रसशास्त्र का अर्थ 'औषध (भेषज) निर्माण' है और यह मुख्यतः खनिज मूल के औषधियों से सम्बन्धित है।रसशास्त्र और भैषज्य कल्पना मिलकर आयुर्वेद का महत्वपूर्ण अंग बनाते हैं। . रसविद्या, मध्यकालीन भारत की किमियागारी (alchemy) की विद्या है जो दर्शाती है कि भारत भौतिक संस्कृति में भी अग्रणी था। भारत में केमिस्ट्री (chemistry) के लिये "रसायन शास्त्र", रसविद्या, रसतन्त्र, रसशास्त्र और रसक्रिया आदि नाम प्रयोग में आते थे। जहाँ रसविद्या से सम्बन्धित क्रियाकलाप किये जाते थे उसे रसशाला कहते थे। इस विद्या के मर्मज्ञों को रसवादिन् कहा जाता था। रसविद्या का बड़ा महत्व माना गया है। रसचण्डाशुः नामक ग्रन्थ में कहा गया है- इसी तरह- .
भैषज्य कल्पना और रसविद्या के बीच समानता
भैषज्य कल्पना और रसविद्या आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): आयुर्वेद।
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भैषज्य कल्पना और रसविद्या के बीच तुलना
भैषज्य कल्पना 3 संबंध है और रसविद्या 20 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.35% है = 1 / (3 + 20)।
संदर्भ
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