हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

रक्त वाहिका और लसीका तंत्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

रक्त वाहिका और लसीका तंत्र के बीच अंतर

रक्त वाहिका vs. लसीका तंत्र

रक्त वाहिकाएं शरीर में रक्त के परिसंचरण तंत्र का प्रमुख भाग होती हैं। इनके द्वारा शरीर में रक्त का परिवहन होता है। तीन मुख्य प्रका की रक्त वाहिकाएं होती हैं: धमनियां, जो हृदय से रक्त को शरीर में ले जाती हैं; वे रक्त वाःइकाएं, जिनके द्वारा कोशिकाओं एवं रक्त के बीच, जल एवं रसायनों का आदान-प्रदान होता है; व शिराएं, जो रक्त को वापस एकत्रित कर हृदय तक ले आती हैं। . मानव (स्त्री) का लसीका तंत्र जब रुधिर केशिकाओं से होकर बहता है तब उसका द्रव भाग (रुधिर रस) कुछ भौतिक, रासायनिक या शारीरिक प्रतिक्रियाओं के कारण केशिकाओं की पतली दीवारों से छनकर बाहर जाता है। बाहर निकला हुआ यही रुधिर रस लसीका (Lymph) कहलाता है। यह वस्तुत: रुधिर ही है, जिसमें केवल रुधिरकणों का अभाव रहता है। लसीका का शरीरस्थ अधिष्ठान लसीकातंत्र (Lymphatic System) कहलाता है। इस तंत्र में लसीका अंतराल (space), लसीकावाहिनियों और वाहिनियों के बीच बीच में लसीकाग्रंथियाँ रहती हैं। लसीका तंतुओं के असंख्य सूक्ष्म तथा अनियमित लसीका-अंतरालों में प्रकट होती हैं। वे अंतराल परस्पर अनेक ऐसी सूक्ष्म लसीकावाहिनियों द्वारा संबद्ध होते हैं, जो पतली शिराओं के समान अत्यंत कोमल दीवार तथा अत्यधिक कपाटों से युक्त होती हैं। ये केशिकाओं (capilaries) के सदृश कोषाणुओं के केवल एक स्तर से ही बनी होती हैं और उन्हीं के सदृश इनमें मायलिन पिघान रहित तंत्रिकातंतुओं (non-medullated nerve fibres) का वितरण होता है। छोटी-छोटी ये लसीकावाहिनियाँ परस्पर मिलकर बड़ी बड़ी लसीकावाहिनियों का रूप धारण कर लेती हैं, जिनमें आगे चलकर दो शाखाएँ निकलती हैं: (1) दक्षिण तथा (2) वाम। दक्षिण शाखा में शरीर के थोड़े भाग से लसीकावाहिनियाँ मिलती हैं, यथा सिर और ग्रीवा का दक्षिण भाग, दक्षिण शाखा (हाथ, पैर) एवं वक्ष का दक्षिण पार्श्व। वाम शाखा में शरीर के शेष भाग से, जिनमें पाचननलिका भी सम्मिलित है, लसीकावाहिनियाँ आकर मिलती हैं। इन दोनों शाखाओं में कपाटों का बाहुल्य होता है। लसीका पीछे की ओर नहीं लौट सकती। प्रत्येक शाखा के खुलने के स्थान पर भी एक कपाट होता है, जो लसीका के शिराओं में ही प्रविष्ट होने में सहायक होता है, शिरारक्त को विपरीत दिशा में नहीं जाने देता। .

रक्त वाहिका और लसीका तंत्र के बीच समानता

रक्त वाहिका और लसीका तंत्र आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): रक्त, हृदय

रक्त

मानव शरीर में लहू का संचरण लाल - शुद्ध लहू नीला - अशु्द्ध लहू लहू या रक्त या खून एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वैत रक्त कणिका हानीकारक तत्वों तथा बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं। मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएं तिल्ली (Phagocytosis) में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है (In 7 steps)। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती। मनुष्यों में लहू ही सबसे आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एटीजंस से लहू को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है और रक्तदान करते समय इसी का ध्यान रखा जाता है। महत्वपूर्ण एटीजंस को दो भागों में बांटा गया है। पहला ए, बी, ओ तथा दुसरा आर-एच व एच-आर। जिन लोगों का रक्त जिस एटीजंस वाला होता है उसे उसी एटीजंस वाला रक्त देते हैं। जिन पर कोई एटीजंस नहीं होता उनका ग्रुप "ओ" कहलाता है। जिनके रक्त कण पर आर-एच एटीजंस पाया जाता है वे आर-एच पाजिटिव और जिनपर नहीं पाया जाता वे आर-एच नेगेटिव कहलाते हैं। ओ-वर्ग वाले व्यक्ति को सर्वदाता तथा एबी वाले को सर्वग्राही कहा जाता है। परन्तु एबी रक्त वाले को एबी रक्त ही दिया जाता है। जहां स्वस्थ व्यक्ति का रक्त किसी की जान बचा सकता है, वहीं रोगी, अस्वस्थ व्यक्ति का खून किसी के लिये जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए खून लेने-देने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। लहू का pH मान 7.4 होता है कार्य.

रक्त और रक्त वाहिका · रक्त और लसीका तंत्र · और देखें »

हृदय

कोरोनरी धमनियों के साथ मानव हृदय. हृदय या हिया या दिल एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागो तक पहुचाता है। कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle) से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle) ऊतक है, जो केवल ह्रदय अंग में ही पाया जाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष) एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है। .

रक्त वाहिका और हृदय · लसीका तंत्र और हृदय · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

रक्त वाहिका और लसीका तंत्र के बीच तुलना

रक्त वाहिका 6 संबंध है और लसीका तंत्र 4 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 20.00% है = 2 / (6 + 4)।

संदर्भ

यह लेख रक्त वाहिका और लसीका तंत्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: