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रंगमंच

सूची रंगमंच

न्यूयॉर्क स्टेट थिएटर के अन्दर का दृष्य रंगमंच (थिएटर) वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता है। दर्शकों के बैठने के स्थान को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को प्रेक्षागृह, रंगशाला, या नाट्यशाला (या नृत्यशाला) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे थिएटर या ऑपेरा नाम दिया जाता है। .

29 संबंधों: चाणक्य, नाटक, नाट्य शास्त्र, नृत्य, पालि भाषा, पुनर्जागरण, पुरुरवा, फ़िल्म, भरत मुनि, भारत, भारतीय रंगमंच, महाभारत, यूनान, यूरोप, रामायण, रोम, शिल्परत्न, संस्कृत भाषा, संस्कृत साहित्य, संवातन, हरिवंश पर्व, हिन्दी, विलियम शेक्सपीयर, इंग्लैण्ड, काव्यमीमांसा, अर्थशास्त्र, अग्निपुराण, उर्वशी, ऋग्वेद

चाणक्य

चाणक्य (अनुमानतः ईसापूर्व 375 - ईसापूर्व 283) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। मुद्राराक्षस के अनुसार इनका असली नाम 'विष्णुगुप्त' था। विष्णुपुराण, भागवत आदि पुराणों तथा कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथो में भी इसकी कथा बराबर मिलती है। बुद्धघोष की बनाई हुई विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है। चाणक्य तक्षशिला (एक नगर जो रावलपिंडी के पास था) के निवासी थे। इनके जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य चंद्रगुप्त की राज्यप्राप्ति से है। ये उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान थे, इसमें कोई संदेह नहीं। कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे। उनके नाम पर एक धारावाहिक भी बना था जो दूरदर्शन पर 1990 के दशक में दिखाया जाता था। .

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नाटक

नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। .

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नाट्य शास्त्र

250px नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी को नाट्य शास्त्र कहते हैं। इस जानकारी का सबसे पुराना ग्रंथ भी नाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है जिसके रचयिता भरत मुनि थे। भरत मुनि का काल ४०० ई के निकट माना जाता है। संगीत, नाटक और अभिनय के संपूर्ण ग्रंथ के रूप में भारतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। उनका मानना है कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। 37 अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच अभिनेता अभिनय नृत्यगीतवाद्य, दर्शक, दशरूपक और रस निष्पत्ति से संबंधित सभी तथ्यों का विवेचन किया है। भरत के नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है। .

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नृत्य

भारतीय नृत्यनृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात जब दुष्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य के द्वारा ही तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी। इसी प्रकार भगवान शंकर ने जब कुटिल बुद्धि दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह जिसके ऊपर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाए- तब उस दुष्ट राक्षस ने स्वयं भगवान को ही भस्म करने के लिये कटिबद्ध हो उनका पीछा किया- एक बार फिर तीनों लोक संकट में पड़ गये थे तब फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने मोहक सौंदर्यपूर्ण नृत्य से उसे अपनी ओर आकृष्ट कर उसका वध किया। भारतीय संस्कृति एवं धर्म की आरंभ से ही मुख्यत- नृत्यकला से जुड़े रहे हैं। देवेन्द्र इन्द्र का अच्छा नर्तक होना- तथा स्वर्ग में अप्सराओं के अनवरत नृत्य की धारणा से हम भारतीयों के प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव की ओर ही संकेत करता है। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण ऐसा ही है। स्पष्ट ही है कि हम आरंभ से ही नृत्यकला को धर्म से जोड़ते आए हैं। पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला में है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही- धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है। स्व परमानंद प्राप्ति का साधन भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कला-धारा पुराणों- श्रुतियों से होती हुई आज तक अपने शास्त्रीय स्वरूप में धरोहर के रूप में हम तक प्रवाहित न होती। इस कला को हिन्दु देवी-देवताओं का प्रिय माना गया है। भगवान शंकर तो नटराज कहलाए- उनका पंचकृत्य से संबंधित नृत्य सृष्टि की उत्पत्ति- स्थिति एवं संहार का प्रतीक भी है। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ एवं परिपूर्ण कृष्ण नृत्यावतार ही हैं। इसी कारण वे 'नटवर' कृष्ण कहलाये। भारतीय संस्कृति एवं धर्म के इतिहास में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि जिससे सफल कलाओं में नृत्यकला की श्रेष्ठता सर्वमान्य प्रतीत होती है। .

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पालि भाषा

ब्राह्मी तथा भाषा '''पालि''' है। पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। .

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पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

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पुरुरवा

पुरुरवा वैदिक काल का राजा और विक्रमोर्वशीयम् का प्रमुख पात्र।.

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फ़िल्म

फ़िल्म, चलचित्र अथवा सिनेमा में चित्रों को इस तरह एक के बाद एक प्रदर्शित किया जाता है जिससे गति का आभास होता है। फ़िल्में अकसर विडियो कैमरे से रिकार्ड करके बनाई जाती हैं, या फ़िर एनिमेशन विधियों या स्पैशल इफैक्ट्स का प्रयोग करके। आज ये मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण साधन हैं लेकिन इनका प्रयोग कला-अभिव्यक्ति और शिक्षा के लिए भी होता है। भारत विश्व में सबसे अधिक फ़िल्में बनाता है। फ़िल्म उद्योग का मुख्य केन्द्र मुंबई है, जिसे अमरीका के फ़िल्मोत्पादन केन्द्र हॉलीवुड के नाम पर बॉलीवुड कहा जाता है। भारतीय फिल्मे विदेशो में भी देखी जाती है .

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भरत मुनि

भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र लिखा। इनका समय विवादास्पद हैं। इन्हें 400 ई॰पू॰ 100 ई॰ सन् के बीच किसी समय का माना जाता है। भरत बड़े प्रतिभाशाली थे। इतना स्पष्ट है कि भरतमुनि रचित नाट्यशास्त्र से परिचय था। इनका 'नाट्यशास्त्र' भारतीय नाट्य और काव्यशास्त्र का आदिग्रन्थ है।इसमें सर्वप्रथम रस सिद्धांत की चर्चा तथा इसके प्रसिद्द सूत्र -'विभावानुभाव संचारीभाव संयोगद्रस निष्पति:" की स्थापना की गयी है| इसमें नाट्यशास्त्र, संगीत-शास्त्र, छंदशास्त्र, अलंकार, रस आदि सभी का सांगोपांग प्रतिपादन किया गया है। 'भारतीय नाट्यशास्त्र' अपने विषय का आधारभूत ग्रन्थ माना जाता है। कहा गया है कि भरतमुनि रचित प्रथम नाटक का अभिनय, जिसका कथानक 'देवासुर संग्राम' था, देवों की विजय के बाद इन्द्र की सभा में हुआ था। आचार्य भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति ब्रह्मा से मानी है क्योकि शंकर ने ब्रह्मा को तथा ब्रह्मा ने अन्य ऋषियो को काव्य शास्त्र का उपदेश दिया। विद्वानों का मत है कि भरतमुनि रचित पूरा नाट्यशास्त्र अब उपलब्ध नहीं है। जिस रूप में वह उपलब्ध है, उसमें लोग काफ़ी क्षेपक बताते हैं श्रेणी:संस्कृत आचार्य.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतीय रंगमंच

'कुडियट्टम' में सुग्रीव की भूमिका में एक कलाकार भारत में रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा समझा जाता है कि नाट्यकला का विकास सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। ऋग्वेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद हैं। इन संवादों में लोग नाटक के विकास का चिह्न पाते हैं। अनुमान किया जाता है कि इन्हीं संवादों से प्रेरणा ग्रहण कर लागों ने नाटक की रचना की और नाट्यकला का विकास हुआ। यथासमय भरतमुनि ने उसे शास्त्रीय रूप दिया। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

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रोम

यह लेख इटली की राजधानी एवं प्राचीन नगर 'रोम' के बारे में है। इसी नाम के अन्य नगर संयुक्त राज्य अमरीका में भी है। स्तनधारियों की त्वचा पर पाए जाने वाले कोमल बाल (en:hair) के लिये बाल देखें। इसका पर्यायवाची शब्द रोयाँ या रोआँ (बहुवचन - रोएँ) है। ---- '''रोम''' नगर की स्थिति रोम (Rome) इटली देश की राजधानी है। .

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शिल्परत्न

शिल्परत्न दक्षिण भारतीय निष्पादन कलाओं से सम्बन्धित एक शास्त्रीय ग्रन्थ है। श्रेणी:शास्त्रीय नृत्य.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृत साहित्य

बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

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संवातन

'वायु हैंडिल करने वाले पंप' किसी केंद्रीय स्थान पर रखे लगाये गये होते हैं और वायु को गरम या ठण्डा करने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी स्थान से गंदी वायु निकालकर वहाँ स्वच्छ वायु पहुँचाना संवातन कहलाता है। संवातन संबंधी विचारों में स्थान स्थान पर बहुत विविधता पाई जाती है। किसी देश में तो खुली हवा का प्रवेश, चाहे उससे ताप गिरता ही क्यों न हो, स्वास्थ्य और सुख के लिये अनिवार्य समझा जाता है इसके विपरीत जर्मनी में यह विशेष ध्यान रखा जाता है कि जाड़े में हवा कमरे में से होकर न आने पाए। फिर भी वहाँ इसका कोई दुष्प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय गैसरोधक कक्षों से यह अनुभव प्राप्त हुआ कि शरीर से विकीर्ण ऊष्मा दीवार आदि जिन तलों पर पड़ती है उनका क्षेत्रफल ही सुखानुभूति की कसौटी है, न कि वायु में मिश्रित कार्बन डाईऑक्साइड का अंश। प्राकृतिक संवातन भीतर और बाहर के ताप के अंतर तथा वायु की दिशा और गति के अधीन है। इसपर यांत्रिक साधनों द्वारा, जैसे वायु का प्रवेश कराने या निकालनेवाले पंखों द्वारा, पूर्ण नियंत्रण रखना संभव है। सामान्य निवासभवनों के लिये इससे काम चल जाता हैं, किंतु खानों तथा कई प्रकार के कारखानों में, जहाँ काम आनेवाले पदार्थ, रंग, धुआँ, धातु, लकड़ी आदि, के कणों से मिश्रित धूल श्रमिकों की साँस के साथ प्रविष्ट हो सकती है, कानूनन्‌ यह आवश्यक है कि ऐसी धूल हटाने के लिये मूल स्रोत पर निकासपंखे लगाए जाएँ। ऐसी दशा में प्राकृतिक संवातन पर भरोसा न करके पूर्णतया कृत्रिम संवातन का प्रबंध किया जाता है। श्रेणी:तरल गतिकी * श्रेणी:तापन, संवातन और वातानुकूलन.

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हरिवंश पर्व

हरिवंश में वर्णित '''द्वारका''' के आधार पर द्वारका का चित्र (अकबर के लिये चित्रित) हरिवंश पर्व महाभारत का अन्तिम पर्व है इसे 'हरिवंशपुराण' के नाम से भी जाना जाता है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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विलियम शेक्सपीयर

विलियम शेक्सपीयर विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare; 23 अप्रैल 1564 (बपतिस्मा हुआ) – 23 अप्रैल 1616) अंग्रेजी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता थे। उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है। शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववांमय की भी अमर विभूति हैं। शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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काव्यमीमांसा

राजशेखर संस्क्रत कवि थे। काव्यमीमांसा कविराज राजशेखर (८८०-९२० ई.) कृत काव्यशास्त्र संबंधी मानक ग्रंथ है। 'काव्यमीमांसा' का अभी तक केवल प्रथम अधिकरण 'कविरहस्य' ही प्राप्त है और इसके भी मात्र १८ अध्याय ही मिलते हैं। १९वाँ अध्याय 'भुवनकोश' अप्राप्त है। किंतु 'कविरहस्य' अधिकरण के प्रथम तीन अध्यायों से पता चलता है कि कृतिकार ने काव्यमीमांसा में १९ अधिकरणों का समायोजन किया था और प्रत्येक अधिकरण में विषयानुरूप कई-कई अध्याय थे। उपलब्ध 'कविरहस्य' शीर्षक अधिकरण में मुख्यत: कवि शिक्षा संबंधी सामग्री है, यद्यपि लेखक ने "गुणवदलङकृतंच काव्यम" (अध्याय ६, पंक्ति २६) सूत्र के माध्यम से काव्य की परिभाषा भी प्रस्तुत की है तथापि इसका सविस्तार विवेचन नहीं किया है। हो सकता है, अगले अधिकरणों में कहीं उक्त विवेचन किया गया हो जो अब अप्राप्त हैं। 'कविरहस्य' अधिकरण के प्रथम अध्याय में राजशेखर ने काव्यशास्त्र के मूल स्रोत पर प्रकाश डालने के अतिरिक्त इसके अंतर्गत परिगणित होनेवाले विषयों की लंबी सूची भी दी है। दूसरे अध्याय में वैदिक वाङ्मय और उत्तरवदिक साहित्य के सन्दर्भ में काव्यशास्त्र का स्थान निश्चित करने के उपरांत, इसको सातवाँ वेदांग (वेदांग छह हैं) तथा १५वीं विद्या (विद्याएँ १४ हैं) कहा गया है। तीसरे अध्याय में ब्रह्मा एवं सरस्वती से काव्यपुरुष की उत्पत्ति, वाल्मीकि एवं व्यास से उसका संबंध, काव्यपुरुष का साहित्यविद्या से विवाह, पति पत्नी का भारत भर में भ्रमण और उनसे विभिन्न स्थानों पर वृत्तियों, प्रवृत्तियों तथा रीतियों का जन्म तथा अंत में काव्यपुरुष एवं साहित्यविद्या द्वारा कविमानस में स्थायी निवास का संकल्प वर्णित है। चौथे से नवें अध्याय तक पदवाक्यविवेक, काव्यपाककल्प, पाठप्रतिष्ठा, काव्यार्थयोनियाँ तथा अर्थव्याप्ति इत्यादि विषयों पर विचार किया गया है। १०वें अध्याय में कविचर्या तथा राजचर्या का सम्यक् उल्लेख है। ११वें से १८वें अध्याय तक शब्दहरण, काव्यहरण, कविसमय, भारत तथा संसार के भूगोल, घटनाओं, स्थानों एवं व्यक्तियों के वर्णन की प्राचीन पद्धतियों, कालगणना तथा ऋतुपरिवर्तनों का परिचय है। काव्यमीमांसा में प्रत्यक्षकवि (समसामयिक कवि) के बारे में कहा है- किसी किसी प्रत्यक्ष कवि का काव्य, कुलवती स्त्री का रूप और घर के वैद्य की विद्या ही अच्छी लगती है। अर्थात् अधिकांश प्रत्यक्ष कवियों का काव्य, कुलवती स्त्रियों का रूप और घर के वैद्यों की विद्या रुचिकर नहीं लगती। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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अग्निपुराण

अग्निपुराण पुराण साहित्य में अपनी व्यापक दृष्टि तथा विशाल ज्ञान भंडार के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। विषय की विविधता एवं लोकोपयोगिता की दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है। अनेक विद्वानों ने विषयवस्‍तु के आधार पर इसे 'भारतीय संस्‍कृति का विश्‍वकोश' कहा है। अग्निपुराण में त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्‍णु एवं शिव तथा सूर्य की पूजा-उपासना का वर्णन किया गया है। इसमें परा-अपरा विद्याओं का वर्णन, महाभारत के सभी पर्वों की संक्षिप्त कथा, रामायण की संक्षिप्त कथा, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारों की कथाएँ, सृष्टि-वर्णन, दीक्षा-विधि, वास्तु-पूजा, विभिन्न देवताओं के मन्त्र आदि अनेक उपयोगी विषयों का अत्यन्त सुन्दर प्रतिपादन किया गया है। इस पुराण के वक्‍ता भगवान अग्निदेव हैं, अतः यह 'अग्निपुराण' कहलाता है। अत्‍यंत लघु आकार होने पर भी इस पुराण में सभी विद्याओं का समावेश किया गया है। इस दृष्टि से अन्‍य पुराणों की अपेक्षा यह और भी विशिष्‍ट तथा महत्‍वपूर्ण हो जाता है। पद्म पुराण में भगवान् विष्‍णु के पुराणमय स्‍वरूप का वर्णन किया गया है और अठारह पुराण भगवान के 18 अंग कहे गए हैं। उसी पुराणमय वर्णन के अनुसार ‘अग्नि पुराण’ को भगवान विष्‍णु का बायां चरण कहा गया है। .

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उर्वशी

उर्वशी और पुरुरवा। साहित्य और पुराण में उर्वशी सौंदर्य की प्रतिमूर्ति रही है। स्वर्ग की इस अप्सरा की उत्पत्ति नारायण की जंघा से मानी जाती है। पद्मपुराण के अनुसार इनका जन्म कामदेव के उरु से हुआ था। श्रीमद्भागवत के अनुसार यह स्वर्ग की सर्वसुंदर अप्सरा थी। एक बार इंद्र की राजसभा में नाचते समय वह राजा पुरु के प्रति क्षण भर के लिए आकृष्ट हो गई। इस कारण उनके नृत्य का ताल बिगड़ गया। इस अपराध के कारण राजा इंद्र ने रुष्ट होकर उसे मर्त्यलोक में रहने का अभिशाप दे दिया। मर्त्य लोक में उसने पुरु को अपना पति चुना किंतु शर्त यह रखी कि वह पुरु को नग्न अवस्था में देख ले या पुरुरवा उसकी इच्क्षा के प्रतिकूल समागम करे अथवा उसके दो मेष स्थानांतरित कर दिए जाएं तो वह उनसे संबंध विच्छेद कर स्वर्ग जाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी। ऊर्वशी और पुरुरवा बहुत समय तक पति पत्नी के रूप में सात-साथ रहे। इनके नौ पुत्र आयु, अमावसु, श्रुतायु, दृढ़ायु, विश्वायु, शतायु आदि उत्पन्न हुए। दीर्घ अवधि बीतने पर गंधर्वों को ऊर्वशी की अनुपस्थिति अप्रीय प्रतीत होने लगी। गंधर्वों ने विश्वावसु को उसके मेष चुराने के लिए भेजा। उस समय पुरुरवा नग्नावस्था में थे। आहट पाकर वे उसी अवस्था में विश्वाबसु को पकड़ने दौड़े। अवसर का लाभ उठाकर गंधर्वों ने उसी समय प्रकाश कर दिया। जिससे उर्वशी ने पुरुरवा को नंगा देख लिया। आरोपित प्रतिबंधों के टूट जाने पर ऊर्वशी श्राप से मुक्त हो गई और पुरुरवा को छोड़कर स्वर्ग लोक चली गई। महाकवि कालीदास के संस्कृत महाकाव्य विक्रमोर्वशीय नाटक की कथा का आधार यही प्रसंग है। आधुनिक हिंदी साहित्य में रामधारी सिंह दिनकर ने इसी कथा को अपने काव्यकृति का आधार बनाया और उसका शीर्षक भी रखा ऊर्वशी। महाभारत की एक कथा के अनुसार एक बार जब अर्जुन इंद्र के पास अस्त्र विद्या की शिक्षा लेने गए तो उर्वशी उन्हें देखकर मुग्ध हो गई। अर्जुन ने ऊर्वशी को मातृवत देखा। अतः उसकी इच्छा पूर्ति न करने के कारण। इन्हें शापित होकर एक वर्ष तक पुंसत्व से वंचित रहना पड़ा। .

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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