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यूटोपिया और समाजवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

यूटोपिया और समाजवाद के बीच अंतर

यूटोपिया vs. समाजवाद

लेफ्ट पेनल (द अर्थली पैराडाइज, गार्डन ऑफ ईडन), हिरोनमस बॉश के द गार्डेन ऑफ अर्थली डिलाइट्स. यूटोपिया एक आदर्श समुदाय या समाज के लिए एक नाम है जो कि 1516 में सर थॉमस मोर द्वारा लिखी गयी पुस्तक ऑफ द बैस्ट स्टेट ऑफ ए रिपब्लिक एण्ड ऑफ द न्यू आइलैण्ड यूटोपिए से लिया गया है जिसमें अटलांटिक महासागर के एक काल्पनिक टापू के एक बिल्कुल उत्कृष्ट लगने वाले सामाजिक-राजनीतिक-कानूनी तंत्र का वर्णन किया गया है। इस पद को सुविचारित समुदायों जिन्होने एक आदर्श समाज बनाने की कोशिश की और साहित्य में चित्रित काल्पनिक समाज दोनों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसने दूसरी अवधारणाओं को जन्म दिया, जिसमें सबसे प्रमुख है आतंक राज्य. समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। उसकी एक बुनियादी प्रतिज्ञा यह भी है कि सम्पदा का उत्पादन और वितरण समाज या राज्य के हाथों में होना चाहिए। राजनीति के आधुनिक अर्थों में समाजवाद को पूँजीवाद या मुक्त बाजार के सिद्धांत के विपरीत देखा जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में समाजवाद युरोप में अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में उभरे उद्योगीकरण की अन्योन्यक्रिया में विकसित हुआ है। ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी हैरॉल्ड लॉस्की ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जिसे कोई भी अपने अनुसार पहन लेता है। समाजवाद की विभिन्न किस्में लॉस्की के इस चित्रण को काफी सीमा तक रूपायित करती है। समाजवाद की एक किस्म विघटित हो चुके सोवियत संघ के सर्वसत्तावादी नियंत्रण में चरितार्थ होती है जिसमें मानवीय जीवन के हर सम्भव पहलू को राज्य के नियंत्रण में लाने का आग्रह किया गया था। उसकी दूसरी किस्म राज्य को अर्थव्यवस्था के नियमन द्वारा कल्याणकारी भूमिका निभाने का मंत्र देती है। भारत में समाजवाद की एक अलग किस्म के सूत्रीकरण की कोशिश की गयी है। राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और नरेन्द्र देव के राजनीतिक चिंतन और व्यवहार से निकलने वाले प्रत्यय को 'गाँधीवादी समाजवाद' की संज्ञा दी जाती है। समाजवाद अंग्रेजी और फ्रांसीसी शब्द 'सोशलिज्म' का हिंदी रूपांतर है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवाद के विरोध में और उन विचारों के समर्थन में किया जाता था जिनका लक्ष्य समाज के आर्थिक और नैतिक आधार को बदलना था और जो जीवन में व्यक्तिगत नियंत्रण की जगह सामाजिक नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे। समाजवाद शब्द का प्रयोग अनेक और कभी कभी परस्पर विरोधी प्रसंगों में किया जाता है; जैसे समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, ईसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - यहाँ तक कि नात्सी दल का भी पूरा नाम 'राष्ट्रीय समाजवादी दल' था। समाजवाद की परिभाषा करना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है। .

यूटोपिया और समाजवाद के बीच समानता

यूटोपिया और समाजवाद आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पूंजीवाद, मुक्त व्यापार क्षेत्र, साम्यवाद, जर्मनी, व्यक्तिवाद, कार्ल मार्क्स, अंग्रेज़ी भाषा

पूंजीवाद

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

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मुक्त व्यापार क्षेत्र

वर्तमान मुक्त व्यापार क्षेत्र ''एफ़टीए'' मुक्त व्यापार क्षेत्र (अंग्रेज़ी: फ्री ट्रेड एरिया; एफटीए) को परिवर्तित कर मुक्त व्यापार संधि का सृजन हुआ है। विश्व के दो राष्ट्रों के बीच व्यापार को और उदार बनाने के लिए मुक्त व्यापार संधि की जाती है। इसके तहत एक दूसरे के यहां से आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क, सब्सिडी, नियामक कानून, ड्यूटी, कोटा और कर को सरल बनाया जाता है। इस संधि से दो देशों में उत्पादन लागत बाकी के देशों की तुलना में काफ़ी सस्ती होती है। १६वीं शताब्दी में पहली बार इंग्लैंड और यूरोप के देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि की आवश्यकता महसूस हुई थी। आज दुनिया भर के कई देश मुक्त व्यापार संधि कर रहे हैं। यह समझौता वैश्विक मुक्त बाजार के एकीकरण में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है। इन समझौतों से वहां की सरकार को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण में मदद मिलती है। सरल शब्दों में यह कारोबार पर सभी प्रतिबंधों को हटा देता है। इस समझौते के बहुत से लाभ हैं। हाल में भारत ने १० दक्षिण एशियाई देशों के समूह आसियान के साथ छह वर्षो की लंबी वार्ता के बाद बैंकॉक में मुक्त व्यापार समझौता किया है। इसके तहत अगले आठ वर्षों के लिए भारत और आसियान देशों के बीच होने वाली ८० प्रतिशत उत्पादों के व्यापार पर शुल्क समाप्त हो जाएगा। इससे पूर्व भी भारत के कई देशों और यूरोपियन संघ के साथ मुक्त व्यापार समजौते हो चुके हैं। यह समझौता गरीबी दूर करने, रोजगार पैदा करने और लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में काफी सहायक हो रहा है। मुक्त व्यापार संधि न सिर्फ व्यापार बल्कि दो देशों के बीच राजनैतिक संबंध के बीच कड़ी का काम भी करती है। कुल मिलाकर यह संधि व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करने और दोतरफा व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिशा में अमरीका-मध्य पूर्व एशिया में भी मुक्त क्षेत्र की स्थापना की गई है। सार्क देशों और शेष दक्षिण एशिया में भी साफ्टा मुक्त व्यापार समझौता १ जनवरी, २००६ से प्रभाव में है। इस समझौते के तहत अधिक विकसित देश- भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका अपनी उत्पाद शुल्क को घटाकर २०१३ तक ० से ५ प्रतिशत के बीच ले आएंगे। कम विकसित देश- बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और नेपाल को भी २०१८ तक ऐसा ही करना होगा। भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच भी प्रयास जारी हैं। .

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साम्यवाद

साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी। ऐतिहासिक और आर्थिक वर्चस्व के प्रतिमान ध्वस्त कर उत्पादन के साधनों पर समूचे समाज का स्वामित्व होगा। अधिकार और कर्तव्य में आत्मार्पित सामुदायिक सामंजस्य स्थापित होगा। स्वतंत्रता और समानता के सामाजिक राजनीतिक आदर्श एक दूसरे के पूरक सिद्ध होंगे। न्याय से कोई वंचित नहीं होगा और मानवता एक मात्र जाति होगी। श्रम की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ और तकनीक का स्तर सर्वोच्च होगा। साम्यवाद सिद्धांततः अराजकता का पोषक हैं जहाँ राज्य की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मूलतः यह विचार समाजवाद की उन्नत अवस्था को अभिव्यक्त करता है। जहाँ समाजवाद में कर्तव्य और अधिकार के वितरण को 'हरेक से अपनी क्षमतानुसार, हरेक को कार्यानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his work) के सूत्र से नियमित किया जाता है, वहीं साम्यवाद में 'हरेक से क्षमतानुसार, हरेक को आवश्यकतानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his need) सिद्धांत का लागू किया जाता है। साम्यवाद निजी संपत्ति का पूर्ण प्रतिषेध करता है। .

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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व्यक्तिवाद

व्यक्तिवाद एक नैतिक (एथिकल), राजनैतिक एवं सामाजिक दर्शन (outlook) है जो व्यक्ति की स्वतन्त्रता एवं व्यक्तिगत आत्मनिर्भरता पर बल देता है और उसका समर्थन करता है। साधारण अर्थ में, स्वार्थ के समर्थन की, अथवा विशिष्ट समझे जानेवाले व्यक्तियों की महत्ता स्वीकार करने की प्रवृत्ति। दर्शन में, प्रत्येक व्यक्ति को विशिष्ट व्यक्ति ठहराने की प्रवृत्ति। .

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कार्ल मार्क्स

कार्ल हेनरिख मार्क्स (1818 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता थे। इनका जन्म 5 मई 1818 को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ। 1824 में इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। तत्पश्चात्‌ उन्होंने बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए। 1839-41 में उन्होंने दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोध-प्रबंध लिखकर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात्‌ 1842 में मार्क्स उसी वर्ष कोलोन से प्रकाशित 'राइनिशे जीतुंग' पत्र में पहले लेखक और तत्पश्चात्‌ संपादक के रूप में सम्मिलित हुआ किंतु सर्वहारा क्रांति के विचारों के प्रतिपादन और प्रसार करने के कारण 15 महीने बाद ही 1843 में उस पत्र का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। मार्क्स पेरिस चला गया, वहाँ उसने 'द्यूस फ्रांजोसिश' जारबूशर पत्र में हीगेल के नैतिक दर्शन पर अनेक लेख लिखे। 1845 में वह फ्रांस से निष्कासित होकर ब्रूसेल्स चला गया और वहीं उसने जर्मनी के मजदूर सगंठन और 'कम्युनिस्ट लीग' के निर्माण में सक्रिय योग दिया। 1847 में एजेंल्स के साथ 'अंतराष्ट्रीय समाजवाद' का प्रथम घोषणापत्र (कम्युनिस्ट मॉनिफेस्टो) प्रकाशित किया 1848 में मार्क्स ने पुन: कोलोन में 'नेवे राइनिशे जीतुंग' का संपादन प्रारंभ किया और उसके माध्यम से जर्मनी को समाजवादी क्रांति का संदेश देना आरंभ किया। 1849 में इसी अपराघ में वह प्रशा से निष्कासित हुआ। वह पेरिस होते हुए लंदन चला गया जीवन पर्यंत वहीं रहा। लंदन में सबसे पहले उसने 'कम्युनिस्ट लीग' की स्थापना का प्रयास किया, किंतु उसमें फूट पड़ गई। अंत में मार्क्स को उसे भंग कर देना पड़ा। उसका 'नेवे राइनिश जीतुंग' भी केवल छह अंको में निकल कर बंद हो गया। कोलकाता, भारत 1859 में मार्क्स ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन के निष्कर्ष 'जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। यह पुस्तक मार्क्स की उस बृहत्तर योजना का एक भाग थी, जो उसने संपुर्ण राजनीतिक अर्थशास्त्र पर लिखने के लिए बनाई थी। किंतु कुछ ही दिनो में उसे लगा कि उपलब्ध साम्रगी उसकी योजना में पूर्ण रूपेण सहायक नहीं हो सकती। अत: उसने अपनी योजना में परिवर्तन करके नए सिरे से लिखना आंरभ किया और उसका प्रथम भाग 1867 में दास कैपिटल (द कैपिटल, हिंदी में पूंजी शीर्षक से प्रगति प्रकाशन मास्‍को से चार भागों में) के नाम से प्रकाशित किया। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए। 'वर्गसंघर्ष' का सिद्धांत मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद' का मेरूदंड है। इसका विस्तार करते हुए उसने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या और बेशी मूल्य (सरप्लस वैल्यू) के सिद्धांत की स्थापनाएँ कीं। मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक निष्कर्ष इन्हीं स्थापनाओं पर आधारित हैं। 1864 में लंदन में 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की स्थापना में मार्क्स ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ की सभी घोषणाएँ, नीतिश् और कार्यक्रम मार्क्स द्वारा ही तैयार किये जाते थे। कोई एक वर्ष तक संघ का कार्य सुचारू रूप से चलता रहा, किंतु बाकुनिन के अराजकतावादी आंदोलन, फ्रांसीसी जर्मन युद्ध और पेरिस कम्यूनों के चलते 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो गया। किंतु उसकी प्रवृति और चेतना अनेक देशों में समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के अस्तित्व के कारण कायम रही। 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो जाने पर मार्क्स ने पुन: लेखनी उठाई। किंतु निरंतर अस्वस्थता के कारण उसके शोधकार्य में अनेक बाधाएँ आईं। मार्च 14, 1883 को मार्क्स के तूफानी जीवन की कहानी समाप्त हो गई। मार्क्स का प्राय: सारा जीवन भयानक आर्थिक संकटों के बीच व्यतीत हुआ। उसकी छह संतानो में तीन कन्याएँ ही जीवित रहीं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

यूटोपिया और समाजवाद के बीच तुलना

यूटोपिया 64 संबंध है और समाजवाद 61 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 5.60% है = 7 / (64 + 61)।

संदर्भ

यह लेख यूटोपिया और समाजवाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: