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युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय और संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय और संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र के बीच अंतर

युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय vs. संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र

राजा जॉर्ज तृतीय ग्रट ब्रिटन और आयरलैंड का राजा था। उनका राज्य-काल १७६० से १८०१ तक था। दो देशों के संघ होने के पश्चात युनाइटेड किंगडम का राजा बना। वह होउस ओफ हनोवर के तीसरी ब्रिटिश सम्राट था। अपने दो पूर्ववर्तियों के विपरीत वह ब्रिटेन में पैदा हुआ था, अंग्रेजी उनकी पहली भाषा थी, और उन्होने हनोवर की यात्रा कभी नहीं की। उनके जीवन और शासनकाल अन्य बिटिश शासक की तुलना में अधिक लंबा था। सैन्य संघर्ष कई बार हुए थे। उनके शासनकाल में ग्र्ट ब्रिटन ने फ्रांस को हराया था और ब्रिटन प्रमुख यूरोपीय शक्ति बना। आगे की युद्ध जो "बाटिल ओफ वाटरलू" नाम से जाने जाते है उसमें नेपोलियन की मृत्यु हुई थी। फिर जॉर्ज तृतीय को आवर्ती और स्थायी मानसिक बीमारी का सामना भी किए थे। १८२० में उनकी मृत्यु हुई। जार्ज तृतीय का ज्येष्ठ पुत्र ने "पिन्स ओफ रेजन्ट" नाम से शासन किया। . अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा का अन्तिम दस्तावेज़ कांग्रेस को सौंपते हुए '''अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा''' का मूल दस्तावेज अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा (Declaration of Independence) एक राजनैतिक दस्तावेज है जिसके आधार पर इंग्लैण्ड के १३ उत्तर-अमेरिकी उपनिवेशों ने 4 जुलाई 1776 ई. को स्वयं को इंग्लैण्ड से स्वतंत्र घोषित कर लिया। इसके बाद से ४ जुलाई को यूएसए में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। अमरीका के निवासियों ने ब्रिटिश शासनसत्ता के अधिकारों और अपनी कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए जो संघर्ष सन् 1775 ई. में आरंभ किया था वह दूसरे ही वर्ष स्वतंत्रता संग्राम में परिणत हो गया। इंगलैंड के तत्कालीन शासक जॉर्ज तृतीय की दमननीति से समझौते की आशा समाप्त हो गई और शीघ्र ही पूर्ण संबंधविच्छेद हो गया। इंगलैंड से आए हुए उग्रवादी युवक टॉमस पेन ने अपनी पुस्तिका "कॉमनसेंस" द्वारा स्वतंत्रता की भावना को और भी प्रज्वलित किया। 7 जून, 1776 ई. को वर्जीनिया के रिचर्ड हेनरी ली ने प्रायद्वीपी कांग्रेस में यह प्रस्ताव रखा कि उपनिवेशों को स्वतंत्र होने का अधिकार है। इस प्रस्ताव पर वादविवाद के उपरांत "स्वतंत्रता की घोषणा" तैयार करने के लिए 11 जून को एक समिति बनाई गई, जिसने यह कार्य थॉमस जेफ़रसन को सौंपा। जेफ़रसन द्वारा तैयार किए गए घोषणापत्र में ऐडम्स और फ्रैंकलिन ने कुछ संशोधन कर उसे 28 जून को प्रायद्वीपी कांग्रेस के समक्ष रखा और 2 जुलाई को यह बिना विरोध पास हो गया। जेफ़रसन ने उपनिवेशों के लोगों की कठिनाइयों और आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नहीं, अपितु मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों के दार्शनिक सिद्धांतों को ध्यान में रखकर यह घोषणापत्र तैयार किया था जिसके निम्नांकित शब्द अमर हैं: इस घोषणापत्र में कुछ ऐसे महत्व के सिद्धांत रखे गए जिन्होंने विश्व की राजनीतिक विचारधारा में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। समानता का अधिकार, जनता का सरकार बाने का अधिकार और अयोग्य सरकार को बदल देने अथवा उसे हटाकर नई सरकार की स्थापना करने का अधिकार आदि ऐसे सिद्धांत थे जिन्हें सफलतापूर्वक क्रियात्मक रूप दिया जा सकेगा, इसमें उस समय अमरीकी जनता को भी संदेह था परंतु उसने इनको सहर्ष स्वीकार कर सफलतापूर्वक कार्यरूप में परिणत कर दिखाया। जेफ़रसन ने ब्रिटिश दार्शनिक जॉन लॉक के "जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति" के अधिकार के सिद्धांत को भी थोड़े संशोधन के साथ स्वीकार किया। उसने संपत्ति को ही सुख का साधन न मानकर उसे स्थान पर "सुख की खोज" का अधिकार माँगकर अमरीकी जनता को वस्तुवादिता से बचाने की चेष्टा की, परंतु उसे कितनी सफलता मिली इसमें संदेह है। .

युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय और संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र के बीच समानता

युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय और संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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युनाइटेड किंगडम के राजा जॉर्ज तृतीय और संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र के बीच तुलना

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संदर्भ

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