यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट के बीच अंतर
यहूदी vs. हेनरी ड्यूनेन्ट
यहूदी जाति 'यहूदी' का मौलिक अर्थ है- येरूशलेम के आसपास के 'यूदा' नामक प्रदेशें का निवासी। यह प्रदेश याकूब के पुत्र यूदा के वंश को मिला था। बाइबिल में 'यहूदी' के निम्नलिखित अर्थ मिलते हैं- याकूब का पुत्र यहूदा, उनका वंश, उनकर प्रदेश, कई अन्य व्यक्तियों के नाम। यूदा प्रदेश (Kingdom of Juda) के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा। इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं। याकूब का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है। यहूदी धर्म को मानने वालों को यहूदी (en:Jew) कहा जाता है। यहूदियों का निवास स्थान पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया में आज के इसरायल को माना जाता है जिसका जन्म १९४७ के बाद हुआ। मध्यकाल में ये यूरोप के कई क्षेत्रों में रहने लगे जहाँ से उन्हें उन्नीसवीं सदी में निर्वासन झेलना पड़ा और धीरे-धीरे विस्थापित होकर वे आज मुख्यतः इसरायल तथा अमेरिका में रहते हैं। इसरायल को छोड़कर सभी देशों में वे एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं। इन्का मुख्य काम व्यापार है। यहूदी धर्म को इसाई और इस्लाम धर्म का पूर्ववर्ती कहा जा सकता है। इन तीनों धर्मों को संयुक्त रूप से 'इब्राहिमी धर्म' भी कहते हैं। अल्लाह ने यहूदियों के बारे में पवित्र कुरान में कहा "ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहाँन के लोगों से बढ़ा दिया" (Sura 2-47) "और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखू़बी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)" (Sura2-65) "फिर तुममें से थोड़े आदमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले.और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) से अहद लिया था कि आपस में खू़रेजि़याँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो .(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये हैं कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खु़दा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो बस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि जि़न्दगी भर की रूसवाई हो और (आखि़रकार) क़यामत के दिन सख़्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खु़दा उससे ग़ाफि़ल नहीं है" (Sura 2-83,84,85) "और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे"(Sura2-92) "बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी " (Sura 2-122) "बेशक हम ने तौरेत नाजि़ल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफि़ज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे बस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो ख़्स ख़ुदा की नाजि़ल की हुयी (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं" (Sura 5-44) "(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दॅू (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो बस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज़्यादा दूर जा पहँचे हैं " (Sura 5-60) "यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़़ुदा के बेटे हैं और नुसैरा कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़़ुद उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं" (Sura 9-30) "ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया.और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ " (Sura 20-80,81) "और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहाँन पर फ़ज़ीलत दी.और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की जि़द में एक दूसरे से एख़्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख़्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा" (Sura 45-16,17) . हेनरी ड्यूनेन्ट (जन्म; जीन हेनरी ड्यूनेन्ट, ०८ मई १८२८ - ३० अक्टूबर १९१०), जिसे हेनरी ड्यूनेन्ट के नाम से भी जाना जाता है, एक स्विस व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता, रेड क्रॉस के संस्थापक थे और नोबल शांति पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे। १८६४ के जेनेवा कन्वेंशन के विचारों पर आधारित था। १९१० में उन्होंने फ्रेडरिक पासी के साथ मिलकर पहले नोबल शांति पुरस्कार प्राप्त किया, जिससे हेनरी ड्यूनेन्ट को पहली स्विस नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १८५९ में एक व्यापार यात्रा के दौरान, ड्यूनेन्ट आधुनिक इटली में सॉलफेरिन की लड़ाई के बाद गवाह था। उन्होंने अपनी यादें और अनुभवों को एक मेमोरी ऑफ़ सॉलफिरोनो में दर्ज किया जो १८६३ में रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) के निर्माण से प्रेरित था। ड्यूनेन्ट का जन्म जेनेवा, स्विटजरलैंड में हुआ था, जो बिजनेस जीन-जैक्स ड्यूनेन्ट और एंटोनेट ड्यूनेंट-कोलाडोन के पहले बेटे थे। उनके परिवार को निर्विवाद रूप से कैल्विनवादी था और जेनेवा समाज में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव था। उनके माता-पिता ने सामाजिक कार्य के मूल्य पर जोर दिया और उनके पिता अनाथ और पैरोल में सक्रिय रहे, जबकि उनकी मां बीमार और गरीबों के साथ काम करती थी। उनके पिता एक जेल और एक अनाथालय में काम करते थे। ड्यूनेंट धार्मिक जागरण की अवधि के दौरान बड़े हुए, जिसे रीवेइल के रूप में जाना|धार्मिक जाता है, और १८ साल की उम्र में वह जेनेवा सोसाइटी फॉर अल्म्स में शामिल हो गए। अगले वर्ष, दोस्तों के साथ, उन्होंने तथाकथित "गुरुवार एसोसिएशन", युवा पुरुषों के ढीली बैंड की स्थापना की जो बाइबल का अध्ययन करने और गरीबों की मदद करने के लिए मुलाकात की, और उन्होंने अपना बहुत सा समय सामाजिक कार्य में लगाया था। ३० नवंबर १८५२ को, उन्होंने वाईएमसीए के जिनेवा अध्याय की स्थापना की और तीन साल बाद उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना के लिए समर्पित पेरिस की बैठक में भाग लिया। १८५९ में, २१ साल की उम्र में, गरीब ग्रेड के कारण ड्यूनेन्ट को कोलिग केल्विन छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, और उन्होंने धन-बदलने वाले फर्म लुलिन एट साउटर के साथ एक प्रशिक्षु शुरू किया। सफल निष्कर्ष के बाद, वह बैंक के एक कर्मचारी के रूप में बने रहे। .
यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट के बीच समानता
यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बाइबिल, इटली।
बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .
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इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .
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- यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट के बीच समानता
यहूदी और हेनरी ड्यूनेन्ट के बीच तुलना
यहूदी 39 संबंध है और हेनरी ड्यूनेन्ट 9 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 4.17% है = 2 / (39 + 9)।
संदर्भ
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