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यरुशलम और हख़ामनी साम्राज्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

यरुशलम और हख़ामनी साम्राज्य के बीच अंतर

यरुशलम vs. हख़ामनी साम्राज्य

येरुशलम की स्थिति यरुशलम (इब्रानी: येरुशलयिम, अरबी: अल-क़ुद्स) इज़्रायल देश की राजधानी है, जो कुछ देशों द्वारा विवादित है। ये यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म, तीनों की पवित्र नगरी है। इतिहास गवाह है कि येरुशलम प्राचीन यहूदी राज्य का केन्द्र और राजधानी रहा है। यहीं यहूदियों का परमपवित्र सुलैमानी मन्दिर हुआ करता था, जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। ये शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हज़रत मुहम्मद स्वर्ग गए थे। राजधानी होने के अलावा यह एक महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल भी है। इस शहर में 158 गिरिजाघर तथा 73 मस्जिदें स्थित हैं। इन गिरिजाघरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक बहुत कुछ है। द इजरायल म्‍यूजियम, याद भसीम, नोबेल अभ्‍यारण, अल अक्‍सा मस्जिद, कुव्‍वत अल सकारा, मुसाला मरवान, सोलोमन टेंपल, वेस्‍टर्न वॉल, डेबिडस गुम्‍बद आदि। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। . अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

यरुशलम और हख़ामनी साम्राज्य के बीच समानता

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यरुशलम और हख़ामनी साम्राज्य के बीच तुलना

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संदर्भ

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