लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक के बीच अंतर

मोहरा vs. हिंदी चलचित्र, १९९० दशक

मोहरा वर्ष 1994 की हिन्दी भाषा की राजीव राय द्वारा निर्देशित एक्शन-थ्रिलर फिल्म है। फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में अक्षय कुमार, नसीरुद्दीन शाह, सुनील शेट्टी एवं रवीना टंडन के साथ सह-अभिनेताओं में सदाशिव अमरापुरकर, परेश रावल, रज़ा मुराद एवं गुलशन ग्रोवर आदि सम्मिलित हैं। फिल्म वर्ष 1994 की दूसरी सबसे ज्यादा व्यावसायिक रूप से सफलता अर्जित करने वाली फिल्म थी। अभिनेता अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल की यह पहली फिल्म है। उनकी लोकप्रिय तिकड़ी को कई सफल फिल्मों में दोहराया गया। फिल्म की मुख्य अभिनेत्री के लिये पहले दिव्या भारती को अनुबंध किया जाना था लेकिन उनकी असमय मौत के पश्चात यह भूमिका रवीना टंडन को सौंपी गई और फिल्म के लोकप्रिय संगीत 'तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त' गीत के बाद वह 'मस्त-मस्त गर्ल' के उपनाम से मशहूर भी हुई। . 1990 दशक के हिंदी चलचित्र। .

मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक के बीच समानता

मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक आम में 8 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दिव्या भारती, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, रवीना टंडन, सदाशिव अमरापुरकर, सुनील शेट्टी, गुलशन ग्रोवर, अक्षय कुमार

दिव्या भारती

दिव्या भारती (14 फ़रवरी 1974–5 अप्रैल 1993) हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री थीं, जिनकी अभिनय विविधता से उन्हें "अपनी पीढ़ी के सबसे चित्ताकर्षक युवा अभिनेत्री " होने का गौरव मिला। 90 के दशक से अपनी करियर की शुरुवात करने वाली दिव्या ने कई प्रकार के व्यावसायिक रूप से सफल गति चित्रों में अभिनय किया है। हिंदी फिल्मों के अलावा दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी दर्शकों से उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। अधिक तत्परता से भारती ने अपनी करियर की शुरुआत तमिल एवं तेलुगु फिल्मों से ही की थी। अभिनय के अतिरिक्त भारती में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व की छवि नज़र आती थी। भारती ने अपने अभिनय की शुरुवात तेलुगु फिल्म "बोब्बिली राजा" से सन् 1990 में की। शुरुआती समय में भारती को कम महत्व संबंधित भूमिकाएँ दी जाती थीं। फ़िल्मी सफर में उन्हें सफलता हिंदी फिल्म विश्वात्मा से मिली। इसी फिल्म के "सात समुन्दर पार गाने" से उन्हें एक अलग पहचान मिली। सन् 1992 तक भारती स्वयं को बॉलीवुड में एक सफल नायकत्व के रूप में स्थापित कर लिया था। अन्य फिल्में सरूप शोला और शबनम, एक नाटकीय फिल्म जिसमें भारती को निडर रास के भूमिका को दर्शाया। 1992 में बनी प्रेम प्रसंगयुक्त फिल्म दीवाना में भारती के निष्पादन ने उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया। 1992-1993 के मध्य तक भारती ने मात्र 19 वर्ष की आयु में सात चौदह हिंदी और सात दक्षिण भारतीय फिल्में की। अपने कम समय के करियर के दौरान मुख्यधारा के सिनेमा के अलावा भारती ने एक शक्तिशाली अभिनय की उत्पत्ति की। उनकी अंतिम पूरी की हुई फिल्में रंग, सह अभिनीत कमल सदानाह और शतरंज, सह अभिनीत जैकी श्रॉफ थी, जिन्हें भारती के ३ अप्रैल १९९३ में रहस्यमय मरण के बाद जारी किया गया। यद्यपि भारती को अपने सम्पूर्ण करियर में कई अवनतियों का सामना करना पड़ा, उन्होंने खुद को ढूंढा और स्वयं को बॉलीवुड में एक सफल मुकाम बनाने में कामयाब भी रहीं। 1993 में हुई उनकी रहस्मयी मृत्यु से उनका करियर भी समाप्त हो गया। .

दिव्या भारती और मोहरा · दिव्या भारती और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

नसीरुद्दीन शाह

नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो। नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सुबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाबी। नसीर का नाम अगर पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हुआ तो बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है। नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए, ऐसा सितारा जिसने हर तरह के किरदार को बेहतरीन अभिनय से जिंदा कर दिया। ये सितार जब भी स्क्रीन पर आया देखने वाले के दिल पर उस किरदार की यादगार छाप छोड़ गया। उसकी कॉमेडी ने पब्लिक को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में भी उसका अलग ही अंदाज नजर आया। मुख्य धारा सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह के सफर की शुरुआत 1980 में आई फ़िल्म 'हम पांच' से हुई। फ़िल्म भले ही व्यापारिक थी, लेकिन इसमें नसीर के अभिनय की गहराई समानांतर सिनेमा वाली फ़िल्मों से कम नहीं थी। गुलामी को अपनी तकदीर मान चुके एक गांव में विद्रोह की आवाज बुलंद करते नौजवान के किरदार में नसीर ने जान फूंक दी। हालांकि फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं रही और एक व्यापारिक एक्टर के तौर पर सफलता साबित करने के लिए नसीर को टिकट खिड़की पर भी बिकाऊ बनने की जरूरत थी। और उनके लिए ये काम किया 'जाने भी दो यारों' ने। बॉलीवुड की ऑल टाइम बेस्ट कॉमेडी फ़िल्मों में शुमार 'जाने भी दो यारों' में रवि वासवानी और नसीर की जोड़ी ने बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग दिखाई और फ़िल्म बेहद कामयाब रही। लेकिन कमर्शियल सिनेमा में नसीर की सबसे बड़ी कामयाबी बनी 'मासूम'। बाप और बेटे के रिश्तों को उकेरती 'मासूम' में नसीर ने कमाल की अदाकारी से ना केवल खूब वाहवाही बटोरी बल्कि फ़िल्म भी सुपरहिट हुई और नसीर को एक स्टार का दर्जा मिल गया। नसीर के इस स्टार स्टेटस को और मजबूत किया 1986 में आई सुभाष घई की मल्टीस्टारर मेगाबजट फ़िल्म 'कर्मा' ने। फ़िल्म में नसीर के लिए अपनी छाप छोड़ना आसान नहीं था क्योंकि वहां अभिनय सम्राट "दिलीप कुमार भी थे। और उस दौर के नए नवेले सितारे जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर भी थे। 1987 में गुलजार की 'इजाजत' नसीर के लिए कामयाबी का एक और जरिया बन कर आई। एक जज्बाती कहानी, बेहतरीन निर्देशन, शानदार अभिनय और यादगार संगीत। 'इजाजत' ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की और बतौर व्यापारिक एक्टर नसीर का रुतबा और बढ़ गया। 'त्रिदेव' जैसी सुपरहिट फ़िल्म देकर, 90 का दशक आते-आते नसीर ने व्यापारिक फ़िल्मों में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी। 2003 में आई हॉलीवुड फ़िल्म 'द लीग ऑफ एक्सट्रा ऑर्डिनरी जेंटलमेन' में नसीरुद्दीन ने कैप्टन नीमो का किरदार निभाया तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी फ़िल्म 'खुदा के लिए' में भी उन्होंने शानदार काम किया। देश से लेकर परदेस तक, नसीरुद्दीन शाह ने अपनी अदाकारी का लोहा सारी दुनिया में मनवाया है। लेकिन नसीर अपनी काबिलियत को खुशकिस्मती का नाम देते हैं। वो कहते हैं, 'मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे इतने मौके मिले, लेकिन मैं व्यापारिक फ़िल्मों से अभी संतुष्ट नहीं हूँ।' 2008 में आई 'अ वेडनेसडे' ने नसीर की कमाल की अदाकारी का एक और नजराना पेश किया तो 'इश्किया', 'राजनीति', 'सात खून माफ' और 'डर्टी पिक्चर' जैसी फ़िल्मों के जरिए नसीरुद्दीन ने बार-बार ये साबित किया कि एक सच्चे कलाकार को उम्र बांध नहीं सकती। हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म 'मैक्सिमम' में भी नसीर की जोरदार एक्टिंग ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। आज के नसीरुद्दीन शाह की बात करें तो शायद ही ऐसा कोई रोल है जो उनपर फिट नहीं बैठे। आखिर वो एक्टर ही ऐसे हैं कि हर रोल के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं। लेकिन एक समय था जब नसीर को दो रोल करने की इच्छा थी जो उस समय उन्हें नहीं मिले। लेकिन बाद 'मिर्जा गालिब', दूरदर्शन धारावाहिक में उन्हें दो रोल मिले जिसमें उन्होंने ग़ालिब का वास्तविक चित्र उभारने की कोशिश की। लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि गालिब बनने की नसीर की तमन्ना उनके दिल में एक अधूरे ख्वाब की तरह अटकी हुई थी। 1988 में सीरियल बनाने से सालों पहले गुलजार साहब गालिब पर एक फ़िल्म बनाना चाहते थे और उस फ़िल्म में गालिब के तौर पर उनकी दिली इच्छा संजीव कुमार को लेने की थी। नसीर साहब ने इस बारे में बताते हुए कहा, 'मैंने गुलजार भाई को चिठ्ठी लिखी और अपनी फोटोग्राफ्स भेजी, मैंने लिखा कि ये क्या कर रहे हैं, इस फ़िल्म में आपको मुझे लेना चाहिए।' लेकिन संजीव कुमार को दिल का दौरा पड़ गया था और सेहत उनका साथ नहीं दे रही थी। फिर उसके बाद गुलजार साहब के दिल में उस रोल के लिए अमिताभ के नाम का खयाल आया। लेकिन वहां भी बात नहीं बनी और आखिरकार गालिब पर फ़िल्म बनाने का प्लान ही ठंडे बस्ते में पड़ गया। शायद उस वक्त गुलजार को भी नहीं मालूम होगा कि इस किरदार पर तो तकदीर ने किसी और का नाम लिख दिया है। कई साल बाद गुलजार साहब ने एक दिन नसीर को फोन लगाया। नसीर ने बताया, 'एक दिन मुझे गुलजार भाई का फोन आया कि सीरियल में काम करोगे। मैंने पूछा कौन सा सीरियल तो उन्होंने बताया गालिब पर है। मैंने बिना कुछ सोचे फौरन हां कह दिया।' साल 1982 में 'गांधी' के रिलीज होने के अट्ठारह साल बाद कमल हासन ने 'हे राम' बनाई, जिसने नसीर साहब की गांधी बनने की तमन्ना को भी पूरा कर दिया। सधी हुई अदाकरी और बेजोड़ अंदाज से उन्होंने ना केवल गांधी के किरदार में जान डाल दी। बेजोड़ एक्टिंग और गजब की क्षमता से हर तरह के किरदार निभाने वाले नसीर ने अपनी छाप नकारात्मक भूमिकाओं में भी छोड़ी। समानांतर सिनेमा का ये हीरो कमर्शियल फ़िल्मों में एक ख़तरनाक विलेन के तौर पर भी हमेशा याद किया जाता रहेगा। हिन्दी सिनेमा में विलेन का ये नया चेहरा था, खूंखार और अजीबोगरीब शक्ल वाला कोई गुंडा नहीं बल्कि सोफेस्टिकेटेड इंसान जिसके दिमाग में सिर्फ जहर ही जहर था। विलेन का ये किरदार जितना संजीदा था उससे भी ज्यादा संजीदगी से उसे निभाया था नसीरुद्दीन शाह ने। वैसे खलनायक के तौर पर उनकी एक दो फ़िल्में नहीं थीं। 'मोहरा' में उन्होंने दिखाया विलेन का वो चेहरा जो किसी के भी दिल में खौफ पैदा कर सकता है। अंधा होने का नाटक करने वाला एक शिकारी, लेकिन ये नसीर की असली पहचान नहीं थी। नसीर की असली पहचान समानांतर सिनेमा था। सिनेमा की वो धारा जिसमें एक स्टार के लिए कम और एक्टर के लिए गुंजाइश ज्यादा होती है। और ये बात किसी से छुपी नहीं कि नसीर एक एक्टर पहले और स्टार बाद में हैं। समानांतर सिनेमा के इस सितारे ने स्मिता पाटिल, शबाना आजमी, अमरीश पुरी और ओम पुरी जैसे माहिर कलाकारों के साथ मिलकर आर्ट फ़िल्मों को एक नई पहचान दी। 'निशान्त' जैसी सेंसेटिव फ़िल्म से अभिनय का सफर शुरू करने वाले नसीर ने 'आक्रोश', 'स्पर्श', 'मिर्च मसाला', 'भवनी भवाई', 'अर्धसत्य', 'मंडी' और 'चक्र' जैसी फ़िल्मों में अभिनय की नई मिसाल पेश कर दी। .

नसीरुद्दीन शाह और मोहरा · नसीरुद्दीन शाह और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

परेश रावल

परेश रावल (जन्म: 30 मई, 1950) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह 1994 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहायक किरदार के लिए से सम्मानित हुए। इसके बाद इन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। यह केतन मेहता की फ़िल्म सरदार में स्वतंत्रता सेनानी वलभभाई पटेल की मुख्य किरदार में नजर आए थे। .

परेश रावल और मोहरा · परेश रावल और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

रवीना टंडन

रवीना टंडन (जन्म: 26 अक्टूबर, 1974) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

मोहरा और रवीना टंडन · रवीना टंडन और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

सदाशिव अमरापुरकर

सदाशिव अमरापुरकर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। 2014 में उनका फेफड़ों में संक्रमण के कारण निधन हो गया। .

मोहरा और सदाशिव अमरापुरकर · सदाशिव अमरापुरकर और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

सुनील शेट्टी

सुनील शेट्टी (जन्म: 11 अगस्त, 1961) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं।i .

मोहरा और सुनील शेट्टी · सुनील शेट्टी और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

गुलशन ग्रोवर

गुलशन ग्रोवर (जन्म: 21 सितंबर, 1955) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

गुलशन ग्रोवर और मोहरा · गुलशन ग्रोवर और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

अक्षय कुमार

अक्षय कुमार (ਅਕਸ਼ੈ ਕੁਮਾਰ, जन्म: राजीव हरी ओम भाटिया, ९ सितम्बर, १९६७) एक भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म अभिनेता हैं। वे 100 से अधिक हिन्दी फिल्मों में काम कर चुके हैं। 90 के दशक में, हिट एक्शन फिल्मों जैसे खिलाड़ी (१९९२), मोहरा (१९९४) और सबसे बड़ा खिलाड़ी (१९९५) में अभिनय करने के कारण, कुमार को बॉलीवुड का एक्शन हीरो की संज्ञा दी जाती थी और विशेषतः वे "खिलाड़ी श्रृंखला" के लिए जाने जाते थे। फिर भी, वह रोमांटिक फिल्मों जैसे ये दिल्लगी (१९९४) और धड़कन (२०००) में अपने अभिनय के लिए सम्मानित किए गए और साथ ही साथ ड्रामेटिक फिल्मों जैसे एक रिश्ता (२००१) में अपनी अभिनय क्षमता को दिखाया। 2002 में उन्हें अपना पहला फ़िल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ खलनायक फ़िल्म अजनबी (2001) में अभिनय के लिए दिया गया। अपनी एक सी छवि को बदलने के इच्छुक अक्षय कुमार ने ज्यादातर कोमेडी फिल्में की। फ़िल्म हेरा फेरी (2002), मुझसे शादी करोगी (2004), गरम मसाला (2005) और जान-ए-मन (२००६) में हास्य अभिनय के लिए फ़िल्म समीक्षकों द्वारा उनकी प्रशंसा की गई। 2007 में वे सफलता की ऊचाईयों को छूने लगे, जब उनके द्वारा अभिनीत चार लगातार कामर्सियल फिल्में हिट हुई। इस तरह से, उन्होंने अपने आपको हिन्दी फ़िल्म उद्योग में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया। वे मार्शल आर्ट्स (सामरिक कला) की शिक्षा बेंगकोक में प्राप्त करके आए और वहां एक रसोइया की नौकरी भी करते थे। वे फिर मुंबई वापस आ गए, जहाँ वे मार्सल आर्ट्स की शिक्षा देने लगे। उनका एक विद्यार्थी जो एक फोटोग्राफर था, उसने उन्हें मॉडलिंग करने कहा। उस विद्यार्थी ने उन्हें एक छोटी कंपनी में एक मॉडलिंग असयांमेंट दिया। उन्हें कैमरे के सामने पोज देने के लिए, दो घंटे के 5,000 रुपये मिलते था। पहले की तनख्वाह 4000 रुपये प्रति महीने की तुलना में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण था कि वे क्यों मॉडल बने। मॉडलिंग करने के दो महीने बाद, कुमार को प्रमोद चक्रवर्ती ने अंततः अपनी फ़िल्म दीदार में अभिनय करने का मौका दिया। .

अक्षय कुमार और मोहरा · अक्षय कुमार और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक के बीच तुलना

मोहरा 32 संबंध है और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक 321 है। वे आम 8 में है, समानता सूचकांक 2.27% है = 8 / (32 + 321)।

संदर्भ

यह लेख मोहरा और हिंदी चलचित्र, १९९० दशक के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »