मोर्स कोड और शून्य
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
मोर्स कोड और शून्य के बीच अंतर
मोर्स कोड vs. शून्य
मोर्स कोड, सन्देश भेजने की एक पद्धति है। इसकी रचना सैमुएल मोर्स ने १८४० के दशक के आरम्भिक वर्षों में वैद्युत टेलीग्राफ के माध्यम से सन्देश भेजने के लिये की थी। बाद में १८९० के दशक से मोर्स कोड का उपयोग रेडियो संचार के आरम्भिक दिनों में भी हुआ। मोर्स कोड के अन्तर्गत एक लघु संकेत तथा दूसरा दीर्घ संकेत प्रयोग किये जाते हैं। इन दो संकेतों के पूर्व निर्धारित मानकीकृत समन्वय से किसी भी संदेश को अभिव्यक्त किया जा सकता है। कागज आदि पर मोर्स कोड में कुछ लिखने के लिये लघु संकेत के लिये डॉट का प्रयोग तथा दीर्घ संकेत के लिये डैश का प्रयोग किया जाता है। किन्तु मोर्स कोड के लघु और दीर्घ संकेतों के लिये अन्य रूप भी प्रयुक्त हो सकते हैं; जैसे - ध्वनि, पल्स या प्रकाश संकेत आदि अन्तर्राष्ट्रीय मार्स कोड के पाँच अवयव हैं: 1. शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। .
मोर्स कोड और शून्य के बीच समानता
मोर्स कोड और शून्य आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
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मोर्स कोड और शून्य के बीच तुलना
मोर्स कोड 0 संबंध है और शून्य 42 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (0 + 42)।
संदर्भ
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