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मोम

सूची मोम

मोमबत्तीमोम या सिक्थ, हाइड्रोकार्बनों का एक वर्ग है जो सामान्य तापमान पर सुघट्य (आघातवर्ध्य) होता है। मोम 45 °C (113 °F) से ऊपर के तापमान पर पिघल कर एक निम्न श्यानता के द्रव में का निर्माण करते हैं। मोम जल में अघुलनशील लेकिन पेट्रोलियम आधारित विलायक में घुलनशील होते हैं। मोम कई पौधों और जीवों द्वारा भी स्रावित किये जाते हैं, जैसे मधुमक्खी का मोम और कार्नौबा मोम (पादप मोम)। अधिकांश औद्योगिक मोम जीवाश्म ईंधनों के घटक होते हैं या फिर पेट्रोलियम यौगिकों के संश्लेषण से व्युत्पन्न होते हैं, जैसे पैराफिन। कान का मैल या मोम, मानव कान में पाया जाने वाला एक तैलीय पदार्थ है। कई पदार्थ जैसे कि सिलिकॉन मोम के गुण मोम के समान होते हैं इसलिए इन्हें मोम की श्रेणी में ही रखा जाता है। .

8 संबंधों: पैराफिन, मधुमोम, मोमबत्ती, श्यानता, सुघट्यता, हाइड्रोकार्बन, जल, कर्णमल

पैराफिन

पैराफिन में रखा हुआ सोडियम रसायन विज्ञान में, पैराफिन शब्द का प्रयोग एल्केन के पर्याय के रूप में कर सकते हैं। वस्तुत: ये CnH2n+2 सामान्य सूत्र वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है। पैराफिन मोम से मतलब एल्केनों के ऐसे मिश्रण से है जिसमें 20 ≤ n ≤ 40 होता है तथा ये कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते हैं किन्तु लगभग 37 °C के उपर जाने पर द्रवित होने लगते हैं। .

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मधुमोम

मधुमोम की भेली मधुमोम या मधुमक्खियों का मोम, एपिस वंश की मधुमक्खियों द्वारा उनके छत्ते में उत्पादित एक प्राकृतिक मोम है। प्रत्येक श्रमिक मक्खी (मादा) के उदर में उपस्थित आठ मोमोत्पादक ग्रंथियों द्वारा मोम का उत्पादन किया जाता है। इन ग्रंथियों का आकार श्रमिक की आयु और उसकी दैनिक उड़ानों के दौरान इनमें आयी क्षीणता पर निर्भर करता है। ताजा उत्पादित मोम पारदर्शी और रंगहीन होता है पर मधुमक्खियों द्वारा चबाये जाने से यह अपारदर्शी हो जाता है। मधुकोश के इस सफेद रंग के मोम को उसका पीला या भूरा रंग, इसमें मिलने वाले पराग तेलों और पादपांश के कारण होता है। .

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मोमबत्ती

एक मोमबत्ती मोमबत्ती एक बत्ती मोम में है। वह रोशनी या ऊष्मा बनती है। .

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श्यानता

उपर के द्रव की श्यानता नीचे के द्रव की श्यानता से बहुत कम है। श्यानता (Viscosity) किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह किसी बाहरी प्रतिबल (स्ट्रेस) या अपरूपक प्रतिबल (शीयर स्ट्रेस) के कारण अपने को विकृत (deform) करने का विरोध करता है। सामान्य शब्दों में, यह उस तरल के गाढे़पन या उसके बहने का प्रतिरोध करने की क्षमता का परिचायक है। उदाहरण के लिये, पानी पतला होता है एवं उसकी श्यानता वनस्पति तेल की अपेक्षा कम होती है जो कि गाढा़ होता है। .

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सुघट्यता

भौतिकी और पदार्थ विज्ञान में, सुघट्यता किसी पदार्थ का वह गुण है जो उस विरुपण की व्याख्या करती है जो उस पदार्थ पर आरोपित बलों के फलस्वरूप उसकी आकृति में आये अप्रतिवर्ती परिवर्तन के कारण होता है। .

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हाइड्रोकार्बन

मिथेन एक प्रमुख हाइड्रोकार्बन है। इसके अणु का त्रि-बिमीय 'बाल ऐण्ड स्टिक मॉडल' हाइड्रोकार्बन कार्बनिक यौगिक होते हैं जो हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। इनका मुख्य स्रोत भूतैल है। प्राकृतिक गैस में भी केवल हाइड्रोकार्बन पाए जाते हैं। हाइड्रोकार्बन संतृप्त तथा असंतृप्त दो प्रकार के होते हैं। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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कर्णमल

रूई की एक फुरेरी पर गीला मानव कर्णमैल कान की मैल कान का मैल या कर्णमल (ग्रामीण क्षेत्रों में 'ठेक', 'खोंठ' या खूँट भी कहते हैं), मानव व दूसरे स्तनधारियों की बाह्य कर्ण नाल के भीतर स्रावित होने वाला एक एक पीले रंग का मोमी पदार्थ है। यह मानव की बाह्य कर्ण नलिका की त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है साथ ही यह सफाई और स्नेहन में भी सहायता करता है। यह मैल कुछ हद तक कान को जीवाणु, कवक, कीटों और जल से भी सुरक्षा प्रदान करता है। अत्यधिक या ठूंसा हुआ मैल कान के पर्दे पर दबाव डाल कर बाह्य श्रवण नलिका को अवरुद्ध करके व्यक्ति की श्रवण शक्ति को क्षीण कर सकता है। .

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