मूलक और विद्युत आवेश
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
मूलक और विद्युत आवेश के बीच अंतर
मूलक vs. विद्युत आवेश
मूलक (radical) तत्वों के ऐसे समूह को कहते हैं, जो यौगिकों में एक रासायनिक तत्व सा व्यवहार करता है। यौगिकों में यह किसी तत्व का स्थान ले सकता है अथवा उसे विस्थापित कर सकता है। मूलक में असंयुक्त बंधुता होती है, जिससे यह असंयुक्त दशा में साधारणतया स्थायी नहीं होता, यद्यपि कुछ मूलक, जैसे कार्बोनिल (CO) और नाइट्रोसिल (NO) असंयुक्त पाए गए हैं। मूलक अकार्बनिक और कार्बनिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। अकार्बनिक मूलकों में ऐमोनियम (NH4-), सल्फेट (SO4) और फास्फेट (≡ PO4) एवं कार्बनिक मूलकों में सायनोजन (-CN), बेंजायल (C6H7O-) और मेथाइल (- CH3) उल्लेखनीय हैं। मूलक का विचार गे लुसैक (gay lussac) ने पहले १८१५ ई० में रसायनज्ञों के संमुख रखा था और लिबिख (liebig) और वलर (wohler) ने १८३२ ई० में बेंजायल मूलक पर एक निबंध लिखकर इसके महत्व को बढ़ाया। मूलक में संयोजकता भी होती है। कुछ मूलक एकसंयोजी, कुछ द्विसंयोजी और कुछ त्रिसंयोजी होते हैं। कुछ समय तक कार्बनिक यौगिकों के अध्ययन में मूलकों का बड़ा महत्व था और उनसे अध्ययन में बड़ी सहायता मिलती थी, पर आज इनका महत्व उतना नहीं रह गया है। . विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है जो विद्युतचुम्बकत्व का महत्व है। आवेशित पदार्थ को विद्युत क्षेत्र का असर पड़ता है और वह ख़ुद एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत हो सकता है। आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है। .
मूलक और विद्युत आवेश के बीच समानता
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मूलक और विद्युत आवेश के बीच तुलना
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संदर्भ
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