मूकाम्बिका और शिव
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
मूकाम्बिका और शिव के बीच अंतर
मूकाम्बिका vs. शिव
कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर का आतंरिक दृश्य कोल्लूर का मूकाम्बिका देवी मंदिर, भारत के कर्नाटक और केरल राज्य के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। मैंगलोर से 147 किमी दूर, सौपर्णिका नदी के तटों और हरी-भरी कोडचद्री पहाड़ी से घिरे सुरम्य वातावरण में स्थित यह मंदिर हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह मंदिर महान हिंदू संत और वैदिक विद्वान आदि शंकराचार्य से संबंधित होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मान्यता है कि कोल्लूर में मूकाम्बिका देवी का मंदिर निर्माण करने का विचार आदि शंकराचार्य का ही है और लगभग 1200 वर्ष पहले इस मंदिर में देवी की प्रतिमा को उन्होंने स्वयं ही स्थापित किया था। लोगों की मूकाम्बिका देवी मंदिर में अगाध श्रद्धा है क्योंकि मूकाम्बिका देवी को शक्ति, सरस्वती और महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। असल में मूकाम्बिका देवी का मंदिर 'सात मुक्तिस्थल' तीर्थ स्थानों जोकि कोल्लूर, उडूपी, सुब्रह्मण्य, कुंबाशी, कोटेश्वरा, शंकरनारायणा और गोकर्ण है में से एक है। मूकाम्बिका देवी मंदिर कोदाचद्री चोटी की तलहटी में स्थित है। देव-प्रतिमा ज्योतिर्लिंग के रूप में है जिसमें शिव और शक्ति दोनों का समावेश है। कहा जाता है कि श्री चक्र पर देवी की पंचलोहा छवि (पांच तत्वों की मिश्रित धातु) आदि शंकराचार्य द्वारा इस स्थान पर उनकी यात्रा के दौरान प्रतिष्ठित की गई थी। ऐसी मान्यता है कि देवी का मूल स्थान कोदाचद्री चोटी (3880') पर है पर चूंकि सामान्य लोगों के लिए वहां का रास्ता तय करना कठिन था इसलिए शंकराचार्य ने मदिर को कोल्लूर में पुनर्स्थापित किया। यहां पर पंचमुखी गणेश की एक उत्कृष्ट प्रतिमा भी मौजूद है। कोल्लूर को कर्नाटक के परशुराम क्षेत्र के सात मुक्तिस्थल तीर्थस्थान जोकि (कोल्लूर), उडूपी, सुब्रह्मण्य, कुंबाशी, कोटेश्वरा, शंकरनारायणा और गोकर्ण में हैं, में से एक माना जाता है।. कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर के अन्य देवताओं में श्री सुब्रह्मण्य, श्री पार्थीश्वरा, श्री पंचमुखा गणपति, श्री चन्द्रमौलीश्वरा, श्री प्राणलिंगेश्वरा, श्री नांजुदेश्वरा, श्री वेंकटरमण, श्री तुलसीगोपालकृष्णा शामिल हैं। नवंबर में नवरात्रि उत्सव के दौरान मंदिर भक्तों की भीड़ से भर जाता है। जन्माष्टमी या कृष्ण जयंती भी यहां के लोकप्रिय त्योहार हैं। यह माना जाता है कि स्वयंभु लिंग इसी दिन प्रकट हुआ था। नवरात्रि उत्सव के अंतिम दिन विद्यारंभ या छोटे बच्चों को उनकी मातृभाषा के अक्षरों की पढ़ाई सरस्वती मंटप में की जाती है। हालांकि विद्यारंभ को मंदिर में किसी भी दिन आयोजित किया जा सकता है। प्रत्येक दोपहर और शाम में श्रद्धालुओं को निःशुल्क प्रसाद स्वरूप अन्नधन प्रदान किया जाता है। . शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .
मूकाम्बिका और शिव के बीच समानता
मूकाम्बिका और शिव आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिव।
शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .
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मूकाम्बिका और शिव के बीच तुलना
मूकाम्बिका 7 संबंध है और शिव 60 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.49% है = 1 / (7 + 60)।
संदर्भ
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