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मुराद चतुर्थ और स्त्रियों की सल्तनत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मुराद चतुर्थ और स्त्रियों की सल्तनत के बीच अंतर

मुराद चतुर्थ vs. स्त्रियों की सल्तनत

मुराद चतुर्थ (مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे। उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी। . स्त्रियों की सल्तनत (Kadınlar Saltanatı, क़दिनलार साल्तानति, सल्तनत-ए ख़्वातीन) सोलहवीं और सत्रहवीं सदी के दौरान लगभग 130 साल की अवधि थी जिसमें उस्मानिया साम्राज्य की शाही महिलाओं ने राज्य के मामलों में (मर्द) उसमानी सुल्तान से असामान्य राजनैतिक प्रभाव हासिल कर लिया था। यह सिलसिला सुलेमान प्रथम के दौर से शुरू हुआ, जब ख़ुर्रम सुल्तान ने दरबार में ख़ास राजनैतिक प्रभाव हासिल किया। बाद के समय में वालिदा सुलतान (सुल्तान की माँ अथवा राजमाता) और ख़ासकी सुलतान (सुल्तान की सबसे पसन्दीदा बीवी) को असामान्य राजनैतिक प्रभाव हासिल रहा, जो वास्तविक रूप से सल्तनत पर हकूमत चलाती रहीं। .

मुराद चतुर्थ और स्त्रियों की सल्तनत के बीच समानता

मुराद चतुर्थ और स्त्रियों की सल्तनत आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मुस्तफ़ा प्रथम, सुलेमान प्रथम, अहमद प्रथम, उस्मानी साम्राज्य

मुस्तफ़ा प्रथम

मुस्तफ़ा प्रथम (24 जून 1591 – 20 जनवरी 1639), पुण्य मुस्तफ़ा (Veli Mustafa) या पागल मुस्तफ़ा (Deli Mustafa) के नामों से भी पहचाने जाते हैं, महमद तृतीय एवं हलीमा सुल्तान के पुत्र और 1617 से 1618 तक और फिर 1622 से 1623 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। .

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सुलेमान प्रथम

सुलेमान प्रथम, सुलेमान क़ानूनी, सुलेमान महान या शानदार सुलेमान (उस्मानी तुर्की: سلطان سليمان اول‎ सुल्तान सुलेमान अव्वल, आधुनिक तुर्की: Süleyman I या Kanunî Sultan Süleyman) उस्मानी सल्तनत के दसवें शासक थे जिन्होंने 1520 से 1566, 46 साल तक शासन किया। वे सम्भवतः उस्मानी सल्तनत के सबसे महान शासकों में से एक थे जिन्होंने अपने अनोखी न्यायप्रणाली और अतुलनीय प्रबन्धन की बदौलत समस्त इस्लामी विश्व को समृद्धि और विकास का मार्ग पर लाया था। उन्होंने सल्तनत के लिए क़ानून की विशेष व्यवस्था स्थापित की थी और इस कारण से उन्हें सुलेमान क़ानूनी के नाम से याद किया जाता है। पश्चिमी विश्व उनकी महानता से इतने प्रभावित हुए कि पश्चिमी लेखकों ने उन्हें शानदार सुलेमान का नाम दिया। उनकी सरकार के मुख्य इलाक़ों में हिजाज़, तुर्की, मिस्र, अल्जीरिया, इराक़, कुर्दिस्तान, यमन, शाम, फ़ारस की खाड़ी और भूमध्य तटीय क्षेत्र, यूनान और हंगरी शामिल थे। .

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अहमद प्रथम

अहमद प्रथम (احمد اول; I.; 18 अप्रैल 1590 – 22 नवम्बर 1617) 1603 से 1617 उनकी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। अहमद के दौर में "भ्रातृवध" की शाही उस्मानी परंपरा समाप्त हुई थी, इसके बाद किसी उस्मानी शासक ने तख़्त आसीन होने पर इनके सभी भाइयों का वध नहीं किया। वे नीली मस्जिद, तुर्की की सबसे जानी पहचानी मस्जिदों में से एक, के निर्माण करने हेतु प्रसिद्ध हैं। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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मुराद चतुर्थ और स्त्रियों की सल्तनत के बीच तुलना

मुराद चतुर्थ 40 संबंध है और स्त्रियों की सल्तनत 10 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 8.00% है = 4 / (40 + 10)।

संदर्भ

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