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मीम और रिचर्ड डॉकिन्स

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मीम और रिचर्ड डॉकिन्स के बीच अंतर

मीम vs. रिचर्ड डॉकिन्स

रिचर्ड डॉकिंस, जिन्होंने मीम शब्द को गढा था मीम (अंग्रेजी: Meme), एक विचार, व्यवहार, या शैली है जो किसी संस्कृति के भीतर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अंतरित होता है। जहाँ एक जीन जैविक जानकारियों को संचारित करता है वहीं एक मीम, विचारों और मान्यताओं की जानकारी को संचारित करने का काम करता है। मीम एक सैद्धांतिक इकाई है जो सांस्कृतिक विचारों, प्रतीकों या मान्यताओं आदि को लेखन, भाषण, रिवाजों या अन्य किसी अनुकरण योग्य घटना के माध्यम से एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क में पहँचाने का काम करती है। मीम की अवधारणा के समर्थक इन्हें अनुवांशिक इकाई जीन का सांस्कृतिक समकक्ष मानते हैं, जो स्वयं की प्रतिकृति बनाते हैं, उत्परिवर्तित होते हैं और चयनात्मक दबाव के विरुद्ध प्रतिक्रिया करते हैं। "मीम" शब्द प्राचीन यूनानी शब्द μίμημα; मीमेमा का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ हिन्दी में नकल करना या नकल उतारना होता है। इस शब्द को गढ़ने और पहली बार प्रयोग करने का श्रेय ब्रिटिश विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस को जाता है जिन्होने 1976 में अपनी पुस्तक द सेल्फिश जीन (यह स्वार्थी जीन) में इसका प्रयोग किया था। इस शब्द को जीन शब्द को आधार बना कर गढ़ा गया था और इस शब्द को एक अवधारणा के रूप में प्रयोग कर उन्होने विचारों और सांस्कृतिक घटनाओं के प्रसार को विकासवादी सिद्धांतों के जरिए समझाने की कोशिश की थी। पुस्तक में मीम के उदाहरण के रूप में गीत, वाक्यांश, फैशन और मेहराब निर्माण की प्रौद्योगिकी शामिल है। मीम के विचार के समर्थकों का कहना है कि मीम जैविक विकास के अनुरूप, प्राकृतिक चयन द्वारा विकसित हो सकता है। मीम इसे भिन्नता, उत्परिवर्तन, प्रतियोगिता और विरासत की प्रक्रिया के माध्यम से करते हैं, जिनमें से प्रत्येक किसी मीम की प्रजनन सफलता को प्रभावित करती है। मीम अपने पोषक के व्यवहार के माध्यम से फैलते है जिसे वो स्वयं अपने पोषक में उत्पन्न करते हैं। कम व्यवहृत मीम विलुप्त हो जाते हैं, जबकि दूसरे बच सकते हैं, संचारित हो सकते हैं और और उत्परिवर्तित (रूप बदलना)(अच्छे या बुरे के लिए) हो सकते हैं। जो मीम स्वयं की प्रतिकृति बना सकते हैं इस दौड़ में सफल रहते हैं। कुछ मीम प्रभावी ढंग से स्वयं की प्रतिकृति बनाने में सफल रहते हैं जबकि उनका ऐसा करना उनके पोषक के कल्याण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। मीमों के अध्ययन के क्षेत्र को मीमेटिक्स कहा जाता है जिसकी शुरुआत 1990 के दशक में एक विकासवादी मॉडल के संदर्भ में अवधारणाओं और मीमों के संचरण का पता लगाने के लिए हुई थी। विभिन्न आलोचकों ने इस धारणा कि मीमों का अनुभवाश्रित परीक्षण किया जा सकता है को चुनौती दी है। तथापि न्यूरोइमेजिंग में हुआ विकास अनुभवजन्य अध्ययन को संभव बना सकता है। . रिचर्ड डॉकिन्स जन्म 26 मार्च 1941) एक ब्रिटिश क्रम-विकासवादी जीवविज्ञानी और लेखक हैं। 1995 से 2008 के दौरान वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रफ़ेसर थे। 1976 में प्रकाशित हुई किताब "द सॅल्फ़िश जीन" ("स्वार्थी जीन") के ज़रिये उन्होंने जीन-केन्द्रित क्रम-विकास (gene-centred view of evolution) मत और "मीम" परिकल्पना को लोकप्रिय बनाया। इस किताब के अनुसार जीव-जंतु जीन को ज़िदा रखने का एक ज़रिया हैं। उदाहरण के लिए: एक माँ अपने बच्चों की सुरक्षा इसलिए करती है ताकि वह अपनी जीन ज़िन्दा रख सके। रिचर्ड डॉकिन्स एक नास्तिक हैं और "भगवान ने दुनिया बनाई" मत के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। 2006 में प्रकाशित द गॉड डिलुज़न ("भगवान का भ्रम") में उन्होंने कहा है कि किसी दैवीय विश्व-निर्माता के अस्तित्व में विश्वास करना बेकार है और धार्मिक आस्था एक भ्रम मात्र है। जनवरी 2010 तक इस किताब के अंग्रेज़ी संस्करण की 2,000,000 से अधिक प्रतियाँ बेची जा चुकी हैं और 31 भाषाओं में इसके अनुवाद कियी जा चुके हैं। .

मीम और रिचर्ड डॉकिन्स के बीच समानता

मीम और रिचर्ड डॉकिन्स आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): जीन

जीन

गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं। जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है। .

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मीम और रिचर्ड डॉकिन्स के बीच तुलना

मीम 3 संबंध है और रिचर्ड डॉकिन्स 17 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 1 / (3 + 17)।

संदर्भ

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