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मीदि साम्राज्य और हख़ामनी साम्राज्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मीदि साम्राज्य और हख़ामनी साम्राज्य के बीच अंतर

मीदि साम्राज्य vs. हख़ामनी साम्राज्य

मेड/मीढ़/मीढ़व साम्राज्य प्राचीन विश्व के महानतम साम्राज्यों में एक था विश्व इतिहास में ६२० ई ० पू ० मेड शासक अस्तायागस द्वारा नव अस्सुरियन साम्राज्य पर विजय प्राप्त कर आर्यों का पुनः शासन स्थापित किया था जिसके शासक चन्द्र वन्श के महाराजा अजमीढ़ के नाम पर उनके वंशज मीढ़ क्षत्रिय हुए थे जो कालान्तर में मेड कहे गये तथा उनके प्रमुख स्थान् मीढ़या को माध्य देश अथवा मीडिया कहा गया मेदा या मीडिया साम्राज्य बेबीलोन के सहयोगी साम्राज्यों में से एक था जो आर्याव्रत के पश्चिम स्थानो में एक था। जिसे मेड आर्य माद्रा भी कहते थे। ये आधुनिक ईरान के इलाके में केन्द्रित था। सन ५४९ में पार्स की प्रभुता स्थापित होने तक ये साम्राज्य बेबीलोन का सहयोगी रहा था। आधुनिक कुर्द तथा लूर लोग मीदि साम्राज्य को अपना पूर्ववर्ती मानते हैं किन्तु अभी भी यह एक व्यापक खोज का विषय है क्योंकि भारत में मेड क्षत्रिय एवं मेड राजपूत भी प्राचीन मेड साम्राज्य से जुड़ा हुआ मानते हैं और यह भी सही है कि मेड आर्य थे कोई जन जाति विशेष नहीं थे प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोदोतुस ने उन्हें आर्यन कहा है और उनकी छै जातियों में से एक जाति ब्राहमणों की थी जिसे मग ब्राहमण या मागी भी कहा गया है, जो मार्गी का अपभ्रंश है। मेड आर्य अजमीढ़ साम्राज्य जिसे एक्मेनिद एम्पायर कहा जाता है से प्रमुख्तय सम्वन्धित थे उनकी पोशाक भी पार्सिओ से भिन्न थी वह आर्य पोशाक धोती पहनते थे जबकि उन के सहयोगी पारसी कुर्ता पजामा पहनते थे। . अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

मीदि साम्राज्य और हख़ामनी साम्राज्य के बीच समानता

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