मांचु भाषा और लुप्तप्राय भाषा
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मांचु भाषा और लुप्तप्राय भाषा के बीच अंतर
मांचु भाषा vs. लुप्तप्राय भाषा
तिब्बती लिपि में लिखा है और किनारों पर मांचु में, जो एक तुन्गुसी भाषा है मांचु या मान्चु (मांचु: ᠮᠠᠨᠵᡠ ᡤᡳᠰᡠᠨ, मांजु गिसुन) पूर्वोत्तरी जनवादी गणतंत्र चीन में बसने वाले मांचु समुदाय द्वारा बोली जाने वाली तुन्गुसी भाषा-परिवार की एक भाषा है। भाषावैज्ञानिक इसके अस्तित्व को ख़तरे में मानते हैं क्योंकि १ करोड़ से अधिक मांचु नसल के लोगों में से सिर्फ ७० हज़ार ही इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। बाक़ियों ने चीनी भाषा को अपनाकर उसमें बात करना आरम्भ कर दिया है। मांचु भाषा की 'शिबे भाषा' नाम की एक अन्य क़िस्म चीन के दूर पश्चिमी शिनजियांग प्रान्त में भी मिलती है, जहाँ लगभग ४०,००० लोग उसे बोलते हैं। शिबे बोलने वाले लोग उन मांचुओं के वंशज हैं जिन्हें १६४४-१९११ ईसवी के काल में चलने वाले चिंग राजवंश के दौरान शिनजियांग की फ़ौजी छावनियों में तैनात किया गया था।, Edward J. M. Rhoads, University of Washington Press, 2001, ISBN 978-0-295-98040-9 मांचु एक जुरचेन नाम की भाषा की संतान है। जुरचेन में बहुत से मंगोल और चीनी शब्दों के मिश्रण से मांचु भाषा पैदा हुई। अन्य तुन्गुसी भाषाओँ की तरह मांचु में अभिश्लेषण (अगलूटिनेशन) और स्वर सहयोग (वावल हार्मोनी) देखे जाते हैं। मांचु की अपनी एक मांचु लिपि है, जिसे प्राचीन मंगोल लिपि से लिया गया था। इस लिपि की ख़ासियत है की यह ऊपर से नीचे लिखी जाती है। मांचु भाषा में वैसे तो लिंग-भेद नहीं किया जाता लेकिन कुछ शब्दों में स्वरों के इस्तेमाल से लिंग की पहचान होती है, मसलन 'आमा' का मतलब 'पिता' है जबकि 'एमे' का मतलब 'माता' है। . लुप्तप्राय भाषा वह भाषा होती है जो वर्तमान में अनुपयोग हो रही है और लुप्त होने के कगार पर है। ऐसी भाषा के विलुप्त होने के कुछ मुख्य कारण होते हैं जिनमें इस भाषा के लोगों की संख्या धीरे धीरे काम हो रही हो, या इसके बोलने वाले लोग अपनी भाषा को छोड़ दूसरी भाषा को ग्रहण कर रहे हों। भाषा का विलुप्त पूरी तरह तब होती है जब उसका कोई भी बोलने वाला नहीं बचता और इस तरह वह पूर्ण रूप से विलुप्त और समाप्त हो जाती है। मानव इतिहास में कईं भाषाएँ विलुप्त हुई हैं परन्तु वर्तमान में भाषाओं का विलोपन बहुत शीघ्रता से हो रहा है। इसके प्रमुख कारण हैं: वैश्वीकरण और नव-उपनिवेशवाद। अधिकतर यूँ होता है की जब भौतिक रूप से प्रभावशाली और शक्तिशाली भाषाएँ दूसरी भाषाओँ पर अपना वर्चस्व साधती हैं, तब भौतिक रूप से निर्बल भाषाएँ विलुप्त हो जाती हैं। .
मांचु भाषा और लुप्तप्राय भाषा के बीच समानता
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