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मल्लपुराण और वज्रमुष्टि

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मल्लपुराण और वज्रमुष्टि के बीच अंतर

मल्लपुराण vs. वज्रमुष्टि

मल्लपुराण १३वीं शताब्दी में रचित एक ग्रन्थ है जिसमें मल्लयुद्ध का विस्तृत वर्णन है। मल्लपुराण कुश्ती के विभिन्न प्रकारों का वर्णन है, इसमें कुश्ती में प्रयुक्त तकनीकों का विस्तृत वर्णन है, मुक्केबाजी की तैयारी के लिये किये जाने वाले विभिन्न व्यायामों की जानकारी है। इसमें पहलवानों के लिये, विभिन्न ऋतुओं में आवश्यक खुराक की भी जानकारी दी गयी है। . वज्रमुष्टि एक शस्त्र भी है और कुश्ती का एक प्रकार भी जिसमें इस हथियार का उपयोग किया जाता है। इस शस्त्र को इन्द्रमुष्टि भी कहते हैं। यह शस्त्र हाथी-दाँत का या भैंसे के सींग का बना होता है। बज्रमुष्टि का प्रथम उल्लेख चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय (1124–1138) द्वारा रचित मानसोल्लास में मिलता है। किन्तु ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह शस्त्र मौर्यकाल से ही अस्तित्व में है। ज्येष्ठिमल्ल नामक कृष्णपूजक जाति वज्रमुष्टि तथा मल्लयुद्ध की कला का अभ्यास करने वाली प्रसिद्ध जाति थी। मल्लपुराण इसी जाति से सम्बन्धित है जिसकी रचना अनुमानतः १३वीं शताब्दी में हुई थी। .

मल्लपुराण और वज्रमुष्टि के बीच समानता

मल्लपुराण और वज्रमुष्टि आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मल्लयुद्ध, वज्रमुष्टि, कुश्ती

मल्लयुद्ध

मल्लयुद्ध भारत का एक पारम्परिक युद्धकला है। भारत के अतिरिक्त यह पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका में भी प्रचलित थी। यह दक्षिणपूर्वी एशियाई कुश्ती की शैलियों जैसे नाबन से निकट संबंधी है। मल्लयुद्ध चार प्रकारों में विभाजित है जिनमें से प्रत्येक एक हिन्दू देवता या पौराणिक योद्धा के नाम पर है:- हनुमन्ती तकनीकी श्रेष्ठता पर केन्द्रित है, जाम्बुवन्ती प्रतिद्वन्दी को आत्मसर्मपण के लिये मजबूर करने हेतु लॉक्स तथा होल्डस का प्रयोग करती है, जरासन्धी अंगों तथा जोड़ों को तोड़ने पर केन्द्रित है जबकि भीमसेनी विशुद्ध रूप से ताकत पर केन्द्रित है। यह कुस्ती का प्राचीन रूप है। इसके दो प्रमुख प्रकार हैं धरनीपट्ट एबं आसुरा। धरनीपट्ट में हार-जीत का निश्चय विपक्षी को धरती पर पीठ के बल गिराना होता है। भीमसेनी तथा हनुमन्ती इसी तरह की उदहारण है। आसरा, मुक्त युद्ध है इसमे विपक्षी चोट पहुचाई जा सकती है लेकिन मिरतु नहीं होनी चाहिए। .

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वज्रमुष्टि

वज्रमुष्टि एक शस्त्र भी है और कुश्ती का एक प्रकार भी जिसमें इस हथियार का उपयोग किया जाता है। इस शस्त्र को इन्द्रमुष्टि भी कहते हैं। यह शस्त्र हाथी-दाँत का या भैंसे के सींग का बना होता है। बज्रमुष्टि का प्रथम उल्लेख चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय (1124–1138) द्वारा रचित मानसोल्लास में मिलता है। किन्तु ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह शस्त्र मौर्यकाल से ही अस्तित्व में है। ज्येष्ठिमल्ल नामक कृष्णपूजक जाति वज्रमुष्टि तथा मल्लयुद्ध की कला का अभ्यास करने वाली प्रसिद्ध जाति थी। मल्लपुराण इसी जाति से सम्बन्धित है जिसकी रचना अनुमानतः १३वीं शताब्दी में हुई थी। .

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कुश्ती

पहलवान कुश्ती एक अति प्राचीन खेल, कला एवं मनोरंजन का साधन है। यह प्राय: दो व्यक्तियों के बीच होती है जिसमें खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंदी को पकड़कर एक विशेष स्थिति में लाने का प्रयत्न करता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

मल्लपुराण और वज्रमुष्टि के बीच तुलना

मल्लपुराण 5 संबंध है और वज्रमुष्टि 11 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 18.75% है = 3 / (5 + 11)।

संदर्भ

यह लेख मल्लपुराण और वज्रमुष्टि के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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