मत्स्य पुराण और सम्राट्
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मत्स्य पुराण और सम्राट् के बीच अंतर
मत्स्य पुराण vs. सम्राट्
मत्स्य पुराण पुराण में भगवान श्रीहरि के मत्स्य अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है। चौदह हजार श्लोकों वाला यह पुराण भी एक प्राचीन ग्रंथ है। . सम्राट् (या, सम्राज्) प्राचीन भारतीय राजाओं का एक पद था। स्त्री के लिए संगत पद सम्राज्ञी था। यह शब्द विभिन्न वैदिक देवताओं के विशेषण के रूप में भी प्रयुक्त हुआ है। .
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संदर्भ
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