मत्स्य पालन और मध्यपाषाण काल
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मत्स्य पालन और मध्यपाषाण काल के बीच अंतर
मत्स्य पालन vs. मध्यपाषाण काल
श्रीलंका के मत्स्यपालक मछली जलीय पर्यावरण पर आश्रित जलचर जीव है तथा जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह कथन अपने में पर्याप्त बल रखता है जिस पानी में मछली नहीं हो तो निश्चित ही उस पानी की जल जैविक स्थिति सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। विभिन्न जलस्रोतों में चाहे तीव्र अथवा मन्द गति से प्रवाहित होने वाली नदियां हो, चाहे प्राकृतिक झीलें, तालाब अथवा मानव-निर्मित बड़े या मध्यम आकार के जलाशय, सभी के पर्यावरण का यदि सूक्ष्म अध्ययन किया जाय तो निष्कर्ष निकलता है कि पानी और मछली दोनों एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। पर्यावरण को संतुलित रखने में मछली की विशेष उपयोगिता है। . मध्यपाषाण काल (अंग्रेजी Mesolithic) मनुष्य के विकास का वह अध्याय है जो पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल मे मध्य मे आता है। इतिहासकार इस काल को १२,००० साल पूर्व से लेकर १०,००० साल पूर्व तक मानते है। .
मत्स्य पालन और मध्यपाषाण काल के बीच समानता
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संदर्भ
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