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मछली और श्येनपालन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मछली और श्येनपालन के बीच अंतर

मछली vs. श्येनपालन

अमरीकी प्रान्त जॉर्जिया के मछलीघर में एक विशालकाय ग्रूपर अन्य मछलियों के साथ तिरती हुई। मछली शल्कों वाला एक जलचर है जो कि कम से कम एक जोडा़ पंखों से युक्त होती है। मछलियाँ मीठे पानी के स्त्रोतों और समुद्र में बहुतायत में पाई जाती हैं। समुद्र तट के आसपास के इलाकों में मछलियाँ खाने और पोषण का एक प्रमुख स्रोत हैं। कई सभ्यताओं के साहित्य, इतिहास एवं उनकी संस्कृति में मछलियों का विशेष स्थान है। इस दुनिया में मछलियों की कम से कम 28,500 प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर कोई 2,18,000 भिन्न नामों से जाना जाता है। इसकी परिभाषा कई मछलियों को अन्य जलीय प्रणी से अलग करती है, यथा ह्वेल एक मछली नहीं है। परिभाषा के मुताबिक़, मछली एक ऐसी जलीय प्राणी है जिसकी रीढ़ की हड्डी होती है (कशेरुकी जन्तु), तथा आजीवन गलफड़े (गिल्स) से युक्त होती हैं तथा अगर कोई डालीनुमा अंग होते हैं (लिंब) तो वे फ़िन के रूप में होते हैं। alt. 300px श्येनपालन (Falconry) एक कला है, जिसके द्वारा श्येनों और बाजों को शिकार के लिए साधा, या प्रशिक्षित, किया जाता है। मनुष्य को इस कला का ज्ञान ४,००० वर्षों से भी अधिक समय से है। भारत में इस कला का व्यवहार ईसा से ६०० वर्ष से होता आ रहा है। मुस्लिम शासनकाल में, विशेषत मुगलों के शासनकाल में, इस कला को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला था। क्रीड़ा के रूप में, लड़ाकू जातियों में, श्येनपालन बराबर प्रचलित रहा है। राइफल और छोटी बंदूकों के व्यवहार में आने के बाद श्येनपालन में ह्रास शुरु हुआ। आज इसका प्रचार अधिक नहीं है। शौक के रूप में इसे चालू रखा जा सकता है, क्योंकि वस्तुत: यह सबसे कम खर्चीला शौक है। पक्षी वर्ग की कुछ चिड़ियाँ शिकारी होती हैं। कुछ तो शिकार को खा जाती हैं और कुछ उचित प्रशिक्षण से शिकार को पकड़कर पालक के पास ले आती है। ऐसे शिकार छोटी बड़ी चिड़ियाँ, खरहे और खरगोश सदृश छोटे छोटे जानवर भी होते हैं। शिकारी चिड़ियाँ पेड़ों पर रहनेवाले पक्षी हैं, जो हवा में पर्याप्त ऊँचाई तक उड़ लेते हैं। इनके नाखून बड़े नुकीले और टेढ़े होते हैं। इनकी चोंच टेढ़ी और मजबूत होती है। इनकी निगाह बड़ी तेज होती है। सभी मांसभक्षी चिड़ियों में से अधिकांश जिंदा शिकार करती हैं और कुछ मुर्दाखोर भी होती है। शिकारी पक्षियों की एक विशेषता यह है कि इनकी मादाएँ नरों से कद में बड़ी और अधिक साहसी होती हैं। शिकारी पक्षियों के तीन प्रमुख कुल हैं, पर साधारणतया इन्हें बड़े पंखवाली और छोटे पंखवाली चिड़ियों में विभक्त करते हैं। पहली किस्म को "स्याहचश्म' या काली आँखवाली और दूसरी किस्म को "गुलाबचश्म' या पीली आँखवाली कहते हैं। जो शिकारी चिड़ियाँ पाली जाती हैं, उनमें बाज, बहरी, शाहीन, तुरमती, चरग (या चरख), लगर, वासीन, वासा, शिकरा और शिकरचा, बीसरा, धूती तथा जुर्रा प्रमुख हैं (देखें श्येन)। .

मछली और श्येनपालन के बीच समानता

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मछली और श्येनपालन के बीच तुलना

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संदर्भ

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