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भौतिक विज्ञान में अनसुलझी पहेलियों की सूची

सूची भौतिक विज्ञान में अनसुलझी पहेलियों की सूची

भौतिक विज्ञान में कुछ अनसुलझी पहेलियाँ सैद्धांतिक हैं, कहने का मतलब यह है कि उपलब्द्ध सिद्धांत कुछ प्रायोगिक परिणामों अथवा कुछ प्रेक्षित परिघटनाओं को समझाने में सक्षम नहीं हैं। अन्य प्रायोगिक हैं, जिसका मतलब यह है कि किसी परघटना को विस्तार से समझने अथवा किसी प्रस्तावित सिद्धांत का परिक्षण करने के लिए प्रयोग का निर्माण करना कठिन है। .

9 संबंधों: डार्क मैटर, दृग्विषय, प्रतिरक्षा प्रणाली, ब्लैक होल (काला छिद्र), महानोवा, गुप्त ऊर्जा, कॉरोना, अनियत ठोस, उत्क्रम समस्या

डार्क मैटर

खगोलशास्त्र तथा ब्रह्माण्ड विज्ञान में आन्ध्र पदार्थ या डार्क मैटर (dark matter) एक,प्रायोगिक आधार पर अप्रमाणित परंतु गणितीय आधार पर प्रमाणित, पदार्थ है। इसकी विशेषता है कि अन्य पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने जा सकते हैं किन्तु आन्ध्र पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने नहीं जा सकते। इनके अस्तित्व (presence) का अनुमान दृष्यमान पदार्थों पर इनके द्वारा आरोपित गुरुत्वीय प्रभावों से किया जाता है। आन्ध्र पदार्थ के बारे में माना जाता है कि इस ब्रह्मांड का 85 प्रतिशत आन्ध्र पदार्थ का ही बना है और यूरोप के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उन्होंने आन्ध्र पदार्थ खोज निकाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आन्ध्र पदार्थ न्यूट्रालिनॉस नाम के कणों या पार्टिकल से बना है। इसकी खासियत है कि यह साधारण मैटर से कोई क्रिया नहीं करता। हर सेकंड हमारे शरीर के आर-पार हजारों न्यूट्रालिनॉस गुजरते रहते हैं। वे अदृश्य हैं। इसी वजह से हम अंतरिक्ष में मौजूद आन्ध्र पदार्थ के बादल के दूसरी ओर मौजूद आकाशगंगाओं को देख पाते हैं। पामेला नाम के एक यूरोपियन स्पेस प्रोब ने कुछ ऐसे हाई एनर्जी पार्टिकल खोजे हैं, जो हमारी आकाशगंगा के केंद्र से निकले हैं। उनसे निकलने वाला रेडिएशन ठीक उसी तरह का है, जैसा आन्ध्र पदार्थ के लिए तय किया गया था। इस खोज के डिटेल स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित एक कॉन्फरन्स में रखे गए। गौरतलब है कि, यूरोप में शुरू हुई महामशीन या लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर के ढेरों मकसदों में से एक आन्ध्र पदार्थ की खोज करना भी है। .

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दृग्विषय

दियासलाई की तिल्ली का जलना एक ऐसी घटना है जिसे देखा जा सकता है; अत: यह एक परिघटना है। observed as appearing differently. दृग्विषय या परिघटना (phenomenon, बहुवचन phenomena, phainomenon, phainein क्रिया से) कोई वह चीज़ हैं जो स्वयं प्रकट होती हैं। भले सदैव नहीं, पर आम तौर पर दृग्विषयों को "चीजें जो दृष्टिगोचर होती हैं" या संवेदन-समर्थ जीवों के "अनुभव" समझे जाते हैं, या वे जो सैद्धान्तिक रूप से हो सकते हैं। यह शब्द इमानुएल काण्ट के द्वारा आधुनिक दार्शनिक प्रयोग में आया, जिन्होंने इसे मनस्विषय के विपरीत बताया। दृग्विषय के विपरीत, मनस्विषय अन्वेषण के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से अभिगम्य नहीं हैं। काण्ट Gottfried Wilhelm Leibniz के दर्शन के इस भाग से बेहद प्रभावित थे, जिसमें, दृग्विषय और मनस्विषय पारस्पारिक तकनीकी शब्द थे। श्रेणी:तत्वमीमांसा की अवधारणाएँ.

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प्रतिरक्षा प्रणाली

A scanning electron microscope image of a single neutrophil (yellow), engulfing anthrax bacteria (orange). प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) किसी जीव के भीतर होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो रोगजनकों और अर्बुद कोशिकाओं को पहले पहचान और फिर मार कर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है। यह विषाणुओं से लेकर परजीवी कृमियों जैसे विभिन्न प्रकार के एजेंट की पहचान करने मे सक्षम होती है, साथ ही यह इन एजेंटों को जीव की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों से अलग पहचान सकती है, ताकि यह उन के विरुद्ध प्रतिक्रिया ना करे और पूरी प्रणाली सुचारु रूप से कार्य करे।। हिन्दुस्तान लाइव। २४ नवम्बर २००९ रोगजनकों की पहचान करना एक जटिल कार्य है क्योंकि रोगजनकों का रूपांतर बहुत तेजी से होता है और यह स्वयं का अनुकूलन इस प्रकार करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली से बचकर सफलतापूर्वक अपने पोषक को संक्रमित कर सकें। शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी आने से रोग में प्रवेश कर जाते हैं। प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी को इम्यूनोडेफिशिएंसी कहते हैं। इम्यूनोडेफिशिएंसी या तो किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है, या फिर कुछ खास दवाओं या संक्रमण के कारण भी संभव है। इसी का एक उदाहरण है एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) जो एचआईवी वायरस के कारण फैलता है। ठीक इसके विपरीत स्वप्रतिरक्षित रोग (ऑटोइम्यून डिजीज) एक उत्तेजित ऑटो इम्यून सिस्टम के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान (इम्म्यूनोलॉजी) का नाम दिया गया है। इसके अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी सभी बड़े-छोटे कारणों की जांच की जाती है। इसमें प्रणाली पर आधारित स्वास्थ्य के लाभदायक और हानिकारक कारणों का ज्ञान किया जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के क्षेत्र में खोज और शोध निरंतर जारी हैं एवं इससे संबंधित ज्ञान में निरंतर बढोत्तरी होती जा रही है। यह प्रणाली लगभग सभी उन्नत जीवों जैसे हरेक पौधे और जानवरों में मिलती मिलती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रतिरोधक (बैरियर) जीवों को बीमारियों से बचाते हैं, इनमें यांत्रिक, रसायन और जैव प्रतिरोधक होते हैं। .

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ब्लैक होल (काला छिद्र)

बड़े मैग्लेनिक बादल के सामने में एक ब्लैक होल का बनावटी दृश्य। ब्लैक होल स्च्वार्ज़स्चिल्ड त्रिज्या और प्रेक्षक दूरी के बीच का अनुपात 1:9 है। आइंस्टाइन छल्ला नामक गुरुत्वीय लेंसिंग प्रभाव उल्लेखनीय है, जो बादल के दो चमकीले और बड़े परंतु अति विकृत प्रतिबिंबों का निर्माण करता है, अपने कोणीय आकार की तुलना में. सामान्य सापेक्षता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि) में, एक ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है। ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता। इसे "ब्लैक (काला)" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता, थर्मोडाइनामिक्स (ऊष्मप्रवैगिकी) में ठीक एक आदर्श ब्लैक-बॉडी की तरह। ब्लैक होल का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान और हॉकिंग विकिरण होता है। अपने अदृश्य भीतरी भाग के बावजूद, एक ब्लैक होल अन्य पदार्थों के साथ अन्तः-क्रिया के माध्यम से अपनी उपस्थिति प्रकट कर सकता है। एक ब्लैक होल का पता तारों के उस समूह की गति पर नजर रख कर लगाया जा सकता है जो अन्तरिक्ष के खाली दिखाई देने वाले एक हिस्से का चक्कर लगाते हैं। वैकल्पिक रूप से, एक साथी तारे से आप एक अपेक्षाकृत छोटे ब्लैक होल में गैस को गिरते हुए देख सकते हैं। यह गैस सर्पिल आकार में अन्दर की तरफ आती है, बहुत उच्च तापमान तक गर्म हो कर बड़ी मात्रा में विकिरण छोड़ती है जिसका पता पृथ्वी पर स्थित या पृथ्वी की कक्षा में घूमती दूरबीनों से लगाया जा सकता है। इस तरह के अवलोकनों के परिणाम स्वरूप यह वैज्ञानिक सर्व-सम्मति उभर कर सामने आई है कि, यदि प्रकृति की हमारी समझ पूर्णतया गलत साबित न हो जाये तो, हमारे ब्रह्मांड में ब्लैक होल का अस्तित्व मौजूद है। सैद्धांतिक रूप से, कोई भी मात्रा में तत्त्व (matter) एक ब्लैक होल बन सकता है यदि वह इतनी जगह के भीतर संकुचित हो जाय जिसकी त्रिज्या अपनी समतुल्य स्च्वार्ज्स्चिल्ड त्रिज्या के बराबर हो। इसके अनुसार हमारे सूर्य का द्रव्यमान ३ कि.

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महानोवा

केंकड़ा नॅब्युला - यह एक महानोवा विस्फोट का बचा हुआ बादल है हम से २१,००० प्रकाश-वर्ष दूर डब्ल्यू॰आर॰ १२४ नाम के वुल्फ़-राये श्रेणी के तारे के इर्द-गिर्द महानोवा अवशेष का नॅब्युला खगोलशास्त्र में महानोवा (सुपरनोवा) किसी तारे के भयंकर विस्फोट को कहते हैं। महानोवा नोवा से अधिक बड़ा धमाका होता है और इस से निकलता प्रकाश और विकिरण (रेडीएशन) इतना ज़ोरदार होता है के कुछ समय के लिए अपने आगे पूरी आकाशगंगा को भी धुंधला कर देता है लेकिन फिर धीरे-धीरे ख़ुद धुंधला जाता है। जब तक महानोवा अपनी चरमसीमा पर होता है, वह कभी-कभी कुछ ही हफ़्तों या महीनो में इतनी उर्जा प्रसारित कर सकता है जितनी की हमारा सूरज अपने अरबों साल के जीवनकाल में करेगा। महानोवा के धमाके में सितारा अपने अधिकाँश भाग को ३०,००० किमी प्रति सैकिंड (यानि प्रकाश की गति का १०%) तक की रफ़्तार से व्योम में फेंकता है, जो अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में एक आक्रमक झटके की तरंग बन के फैलती है। इसके नतीजे से जो फैलता हुआ गैस और खगोलीय धूल का बादल बनता है उसे "महानोवा अवशेष" कहते हैं। .

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गुप्त ऊर्जा

भौतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान, खगोल विज्ञान और खगोलीय यांत्रिकी में, गुप्त ऊर्जा, ऊर्जा का एक काल्पनिक रूप है जो सम्पूर्ण अंतरिक्ष में व्याप्त होता है एवं जिसमें ब्रह्माण्ड के विस्तार की दर को बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है। गुप्त ऊर्जा हाल के उन पर्यवेक्षणों एवं प्रयोगों को व्यक्त करने का सर्वाधिक लोकप्रिय तरीका है जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार एक त्वरणशील दर से होता हुआ मालूम पड़ता है। ब्रह्माण्ड विज्ञान के मानक मॉडल में, गुप्त ऊर्जा को वर्तमान में ब्रह्मांड के कुल ऊर्जा-द्रव्यमान का 74% माना जाता है। गुप्त ऊर्जा के दो प्रस्तावित रूप ब्रह्माण्ड संबंधी नियतांक, जो अंतरिक्ष को समरूप से.

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कॉरोना

पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान, सौर कोरोना को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। सूर्य के वर्णमंडल के परे के भाग को किरीट या कोरोना (Corona) कहते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय वह श्वेत वर्ण का होता है और श्वेत डालिया के पुष्प के सदृश सुंदर लगता है। किरीट अत्यंत विस्तृत प्रदेश है और प्रकाश-मंडल के ऊपर उसकी ऊँचाई सूर्य के व्यास की कई गुनी होती है। कॉरोना चाँद या पानी की बूँदों के विवर्तन के द्वारा सूर्य के चारों ओर बनाई गई एक पस्टेल हेलो को कहते हैं। इसका निर्माण प्लाज़्मा द्वारा होता है। ऐसे सिरोस्टरटस के रूप में बादलों में बूंदों और बादल परत स्वयं को लगभग पूरी तरह से समान इस घटना के लिए आदेश में हो रहा होगा.

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अनियत ठोस

कांच सदृश सिलिका (SiO2) के परमाणुओं का द्विबिम विन्यास अकेलास ठोस (एमोर्फस सॉलिड / Amorphous solid) उन ठोस पदार्थों को कहते हैं जिनके अन्दर पर्याप्त दूरी तक परमाणुओं का कोई सुनिश्चित विन्यास नहीं होता। अकेलास ठोस गरम करने पर क्रमश नरम हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उनकी श्यानता (विस्कोसिटी) इतनी कम हो जाती है कि वे चल्य (मोबाइल) बनकर द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं। इन पदार्थों का कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। ये पदार्थ ठीक-ठीक ठोस की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते। इसलिए इनको अत्यधिक श्यानता वाले अतिशीतलित (सुपरकूल्ड) द्रव भी कहा जाता है। काँच, मोम, वसा, अलकतरा (डामर) आदि अकेलास ठोस में से हैं। अधिकांश ठोस एमार्फस रूप में पाये जाते हैं या उन्हें एमॉर्फस रूप में बनाया जा सकता है। .

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उत्क्रम समस्या

सैद्धान्तिक भौतिकी में उत्क्रम समस्या (English: Hierarchy Problem हाइरार्की समस्या) दुर्बल नाभिकीय व गुरुत्व बलों के मध्य विशाल भिन्नता है। भौतिक वैज्ञानिक अभी तक इसको समझा पाने में असमर्थ हैं, जैसे - दुर्बल बल, गुरुत्व से 1032 (१०३२) गुणा प्रबल क्यों हैं। .

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