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भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन के बीच अंतर

भूसंचलन vs. महाद्वीपीय विस्थापन

धरती के कुछ भाग दूसरे भागों के सापेक्ष धीमी किन्तु लगातार विस्थापित हो रहे हैं। इन्हें ही भूसंचलन (Earth's movements) कहते हैं। ये संचलन, धरती को अपरूपित (deform) करते हैं। भूसंचलन के निम्नलिखित कारक हैं-. करोड़ों वर्षों तक चल रहे महाद्वीपीय प्रवाह से अंध महासागर खुलकर विस्तृत हो गया महाद्वीपीय विस्थापन (Continental drift) पृथ्वी के महाद्वीपों के एक-दूसरे के सम्बन्ध में हिलने को कहते हैं। यदि करोड़ों वर्षों के भौगोलिक युगों में देखा जाए तो प्रतीत होता है कि महाद्वीप और उनके अंश समुद्र के फ़र्श पर टिके हुए हैं और किसी-न-किसी दिशा में बह रहे हैं। महाद्वीपों के बहने की अवधारणा सबसे पहले १५९६ में डच वैज्ञानिक अब्राहम ओरटेलियस​ ने प्रकट की थी लेकिन १९१२ में जर्मन भूवैज्ञानिक ऐल्फ़्रेड वेगेनर​ ने स्वतन्त्र अध्ययन से इसका विकसित रूप प्रस्तुत किया। आगे चलकर प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत विकसित हुआ जो महाद्वीपों की चाल को महाद्वीपीय प्रवाह से अधिक अच्छी तरह समझा पाया।, Wallace Gary Ernst, pp.

भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन के बीच समानता

भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकम्प और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अभिकल्पित महाद्वीपीय विस्थापन नामक संकल्पना से विकसित हुआ जब 1960 के दशक में ऐसे नवीन साक्ष्यों की खोज हुई जिनसे महाद्वीपों के स्थिर होने की बजाय गतिशील होने की अवधारणा को बल मिला। इन साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण हैं पुराचुम्बकत्व से सम्बन्धित साक्ष्य जिनसे सागर नितल प्रसरण की पुष्टि हुई। हैरी हेस के द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज से इस सिद्धान्त का प्रतिपादन आरंभ माना जाता है और विल्सन, मॉर्गन, मैकेंज़ी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान किया। इस सिद्धान्त अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 कि॰मी॰ मोटी परत, जिसे स्थलमण्डल कहा जाता है, और जिसमें भूपर्पटी और भूप्रावार के ऊपरी हिस्से का भाग शामिल हैं, कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है। ये प्लेटें नीचे स्थित एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत पर तैर रहीं हैं और सामान्यतया लगभग 10-40 मिमी/वर्ष की गति से गतिशील हैं हालाँकि इनमें कुछ की गति 160 मिमी/वर्ष भी है। इन्ही प्लेटों के गतिशील होने से पृथ्वी के वर्तमान धरातलीय स्वरूप की उत्पत्ति और पर्वत निर्माण की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है और यह भी देखा गया है कि प्रायः भूकम्प इन प्लेटों की सीमाओं पर ही आते हैं और ज्वालामुखी भी इन्हीं प्लेट सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं। प्लेट विवर्तनिकी में विवर्तनिकी (लातीन:tectonicus) शब्द यूनानी भाषा के τεκτονικός से बना है जिसका अर्थ निर्माण से सम्बंधित है। छोटी प्लेट्स की संख्या में भी कई मतान्तर हैं परन्तु सामान्यतः इनकी संख्या 100 से भी अधिक स्वीकार की जाती है। .

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भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन के बीच तुलना

भूसंचलन 12 संबंध है और महाद्वीपीय विस्थापन 19 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.23% है = 1 / (12 + 19)।

संदर्भ

यह लेख भूसंचलन और महाद्वीपीय विस्थापन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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