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कायांतरित शैल और भूगोल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कायांतरित शैल और भूगोल के बीच अंतर

कायांतरित शैल vs. भूगोल

रूपांतरित चट्टान के एक प्रकार (क्वार्टजाइट) आग्नेय एवं अवसादी शैलों में ताप और दाब के कारण परिर्वतन या रूपान्तरण हो जाने से कायांतरित शैल (metamorphic rock) का निमार्ण होता हैं। रूपांतरित चट्टानों (कायांतरित शैल) पृथ्वी की पपड़ी के एक बड़े हिस्सा से बनी होती है और बनावट, रासायनिक और खनिज संयोजन द्वारा इनको वर्गीकृत किया जाता है| when the pre-exsting rock under go a change due to tempature and pressure. पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

कायांतरित शैल और भूगोल के बीच समानता

कायांतरित शैल और भूगोल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तापमान, आग्नेय शैल, अवसादी शैल

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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आग्नेय शैल

ग्रेनाइट (एक आग्नेय चट्टान) चेन्नई मे, भारत. आग्नेय चट्टान (जर्मन: Magmatisches Gestein) की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल चट्टानी पदार्थ, अर्थात् मैग्मा, के सतह के ऊपर आकार लावा प्रवाह के रूप में निकल कर अथवा ऊपर उठने के क्रम में बाहर निकल पाने से पहले ही, सतह के नीचे ही ठंढे होकर इन पिघले पदार्थों के ठोस रूप में जम जाने से होती है। अतः आग्नेय चट्टानें पिघले हुए चट्टानी पदार्थ के ठंढे होकर जम जाने से बनती हैं। ये रवेदार भी हो सकती है और बिना कणों या रवे के भी। ये चट्टानें पृथ्वी पर पायी जाने वाली अन्य दो प्रमुख चट्टानों, अवसादी और रूपांतरित के साथ मिलकर पृथ्वी पर पायी जाने वाली चट्टानों के तीन प्रमुख प्रकार बनाती हैं। पृथ्वी के धरातल की उत्पत्ति में सर्वप्रथम इनका निर्माण होने के कारण इन्हें 'प्राथमिक शैल' भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि यही वे पहली चट्टानें हैं जो पिघले हुए चट्टानी पदार्थ से बनती हैंजबकि अवसादी या रूपांतरित चट्टानें इन आग्नेय चट्टानों के टूटने या ताप और दाब के प्रभाव आकार में बदलने से से बनती हैं। इनके दो मुख्य प्रकार हैं। ज्वालामुखी उदगार के समय भूगर्भ से निकालने वाला लावा जब धरातल पर जमकर ठंडा हो जाने के पश्चात आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है तो इसे बहिर्भेदी या ज्वालामुखीय चट्टान कहा जाता है। इसके विपरीत जब ऊपर उठता हुआ मैग्मा धरातल की सतह पर आकर बाहर निकलने से पहले ही ज़मीन के अन्दर ही ठंडा होकर जम जाता है तो इस प्रकार अंतर्भेदी चट्टान कहते हैं। चूँकि, ज़मीनी सतह से नीचे बनने वाली आग्नेय चट्टानें धीरे-धीरे ठंडी होकर जमती है, ये रवेदार होती हैं, क्योंकि मैग्माई पदार्थ के अणुओं के एक दूसरे के साथ संयोजित होकर क्रिस्टल या रवे बनाने हेतु काफ़ी समय मिल जाता है। इसके ठीक उलट, जब मैग्मा लावा के रूप में ज्वालामुखी उदगार के समय बाहर निकल कर ठंढा होकर जमता है तो रवे बनने के लिये पर्याप्त समय नहीं मिलता और इस प्रकार बहिर्भेदी आग्नेय चट्टानें काँचीय या गैर-रवेदार (glassy) होती हैं। आग्नेय चट्टानों में परतों और जीवाश्मों का पूर्णतः अभाव पाया जाता है। अप्रवेश्यता अधिक होने के कारण इन पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन यांत्रिक एवं भौतिक अपक्षय के कारण इनका विघटन व वियोजन प्रारम्भ हो जाता है। ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है। .

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अवसादी शैल

अवसादी शैल जिसके स्तर स्पष्ट दृष्टिगोचर हैं अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (sedimentary rock) कहा जाता हैं। वायु, जल और हिम के चिरंतन आघातों से पूर्वस्थित शैलों का निरंतर अपक्षय एवं विदारण होता रहता है। इस प्रकार के अपक्षरण से उपलब्ध पदार्थ कंकड़, पत्थर, रेत, मिट्टी इत्यादि, जलधाराओं, वायु या हिमनदों द्वारा परिवाहित होकर प्राय: निचले प्रदेशों, सागर, झील अथवा नदी की घाटियों में एकत्र हो जाते हैं। कालांतर में संघनित होकर वे स्तरीभूत हो जाते हैं। इन स्तरीभूत शैलों को अवसाद शैल (सेडिमेंटरी रॉक्स) कहते हैं। .

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कायांतरित शैल और भूगोल के बीच तुलना

कायांतरित शैल 6 संबंध है और भूगोल 71 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 3.90% है = 3 / (6 + 71)।

संदर्भ

यह लेख कायांतरित शैल और भूगोल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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