भाषाविज्ञान और वर्जना
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भाषाविज्ञान और वर्जना के बीच अंतर
भाषाविज्ञान vs. वर्जना
भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। . वर्जना या टाबू किसी ऐसे व्यवहार या कार्य पर लगे प्रतिबंध को कहते हैं जिसे साधारण व्यक्ति के लिये या तो अधिक पवित्र या फिर शापित समझा जाये। इन कार्यों के बारे में मान्यता होती है कि इन्हें करना व्यक्ति को अलौकिक दंड का पात्र बनाता है। इस तरह की रोक प्राय: हर समुदाय में उपस्थित है। सामाजिक विज्ञान में वर्जना शब्द का प्रयोग कुछ हद तक उन मानव गतिविधियों या प्रथाओं का निषेध है जिन्हें नैतिक अथवा धार्मिक मान्यताओं के आधार पर पवित्र अथवा निषिद्ध माना जाता है। "वर्जना भंग" को आमतौर पर किसी भी संस्कृति में आपत्तिजनक माना जाता है। .
भाषाविज्ञान और वर्जना के बीच समानता
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संदर्भ
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