भावना और स्मृति (मनोविज्ञान) के बीच समानता
भावना और स्मृति (मनोविज्ञान) आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तंत्रिका विज्ञान, मनोविज्ञान, अनुभव।
तंत्रिका विज्ञान
तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) तन्त्रिका तन्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन को कहते हैं। पारम्परिक रूप से यह जीवविज्ञान की शाखा माना जाता था लेकिन अब रसायन शास्त्र, संज्ञान शास्त्र, कम्प्यूटर विज्ञान, अभियान्त्रिकी, भाषाविज्ञान, गणित, आयुर्विज्ञान, आनुवंशिकी और अन्य सम्बन्धित विषयों (जैसे कि दर्शनशास्त्र, भौतिकी और मनोविज्ञान) के अंतर्विषयक सहयोग द्वारा परिभाषित है। तंत्रिका जीवविज्ञान (neurobiology) और तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) को अक्सर एक ही अर्थ वाला माना जाता है हालाँकि यह सम्भव है कि भविष्य में जीवों से बाहर भी तंत्रिका व्यवस्था बनाई जा सके और उस सन्दर्भ में इन दोनों नामों में अंतर होगा। .
तंत्रिका विज्ञान और भावना · तंत्रिका विज्ञान और स्मृति (मनोविज्ञान) ·
मनोविज्ञान
मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .
भावना और मनोविज्ञान · मनोविज्ञान और स्मृति (मनोविज्ञान) ·
अनुभव
प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान अनुभव कहलाता है। प्रत्यक्ष ज्ञान अथवा बोध। स्मृति (याददास्त) से भिन्न ज्ञान। तर्कसंग्रह के अनुसार ज्ञान के दो भेद हैं - स्मृति और अनुभव। संस्कार मात्र से उत्पन्न ज्ञान को स्मृति और इससे भिन्न ज्ञान को अनुभव कहते हैं। अनुभव के दो भेद हैं - यथार्थ अनुभव तथा अयथार्थ अनुभव। प्रथम को प्रमा तथा द्वितीय को अप्रमा कहते हैं। यथार्थ अनुभव के चार भेद हैं- (1) प्रत्यक्ष, (2) अनुमिति, (3) उपमिति, तथा (4) शाब्द इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति, भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं। इन्हें क्रम से प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति, अनुलब्धि, संभव, ऐतिह्य तथा चेष्टा से प्राप्त किया जा सकता है। अयथार्थ अनुभव के तीन भेद हैं- (1) संशय, (2) विपर्यय तथा (3) तर्क। संदिग्ध ज्ञान को संशय, मिथ्या ज्ञान को विपर्यय एवं ऊह (संभावना) को तर्क कहते है। .
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भावना और स्मृति (मनोविज्ञान) के बीच तुलना
भावना 36 संबंध है और स्मृति (मनोविज्ञान) 15 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 3 / (36 + 15)।
संदर्भ
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