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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट के बीच अंतर

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास vs. वाग्भट

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। . वाग्भट नाम से कई महापुरुष हुए हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है: .

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट के बीच समानता

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): रसविद्या, आयुर्वेद, अष्टाङ्गहृदयम्

रसविद्या

रसविद्या, मध्यकालीन भारत की किमियागारी (alchemy) की विद्या है जो दर्शाती है कि भारत भौतिक संस्कृति में भी अग्रणी था। भारत में केमिस्ट्री (chemistry) के लिये "रसायन शास्त्र", रसविद्या, रसतन्त्र, रसशास्त्र और रसक्रिया आदि नाम प्रयोग में आते थे। जहाँ रसविद्या से सम्बन्धित क्रियाकलाप किये जाते थे उसे रसशाला कहते थे। इस विद्या के मर्मज्ञों को रसवादिन् कहा जाता था। रसविद्या का बड़ा महत्व माना गया है। रसचण्डाशुः नामक ग्रन्थ में कहा गया है- इसी तरह- .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

आयुर्वेद और भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास · आयुर्वेद और वाग्भट · और देखें »

अष्टाङ्गहृदयम्

अष्टाङ्गहृदयम्, आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचयिता वाग्भट हैं। इसका रचनाकाल ५०० ईसापूर्व से लेकर २५० ईसापूर्व तक अनुमानित है। इस ग्रन्थ में ग्रन्थ औषधि (मेडिसिन) और शल्यचिकित्सा दोनो का समावेश है। चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता और अष्टाङ्गहृदयम् को सम्मिलित रूप से वृहत्त्रयी कहते हैं। अष्टांगहृदय में आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषय- काय, शल्य, शालाक्य आदि आठों अंगों का वर्णन है। उन्होंने अपने ग्रन्थ के विषय में स्वयं ही कहा है कि, यह ग्रन्थ शरीर रूपी आयुर्वेद के हृदय के समान है। जैसे- शरीर में हृदय की प्रधानता है, उसी प्रकार आयुर्वेद वाङ्मय में अष्टांगहृदय, हृदय के समान है। अपनी विशेषताओं के कारण यह ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। .

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट के बीच तुलना

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास 156 संबंध है और वाग्भट 29 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.62% है = 3 / (156 + 29)।

संदर्भ

यह लेख भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास और वाग्भट के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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