भारत में इस्लाम और हिन्दी सिनेमा के बीच समानता
भारत में इस्लाम और हिन्दी सिनेमा आम में 15 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ए॰ आर॰ रहमान, दिलीप कुमार, नसीरुद्दीन शाह, पाकिस्तान, मधुबाला, मुम्बई, म्यान्मार, मोहम्मद रफ़ी, शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान, सैफ़ अली ख़ान, हिन्दी सिनेमा, आमिर ख़ान, कैटरीना कैफ़, उर्दू भाषा।
ए॰ आर॰ रहमान
अल्लाह रक्खा रहमान लोकप्रिय रूप से ए॰ आर॰ रहमान भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिन्दी और तमिल फिल्मों में संगीत दिया है। इनका जन्म 6 जनवरी, 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्मतः उनका नाम ‘अरुणाचलम् शेखर दिलीप कुमार मुदलियार’ रखा गया। धर्मपरिवर्तन के पश्चात उन्होंने अल्लाह रक्खा रहमान नाम धारण किया। ए. आर.
ए॰ आर॰ रहमान और भारत में इस्लाम · ए॰ आर॰ रहमान और हिन्दी सिनेमा ·
दिलीप कुमार
दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है। .
दिलीप कुमार और भारत में इस्लाम · दिलीप कुमार और हिन्दी सिनेमा ·
नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो। नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सुबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाबी। नसीर का नाम अगर पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हुआ तो बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है। नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए, ऐसा सितारा जिसने हर तरह के किरदार को बेहतरीन अभिनय से जिंदा कर दिया। ये सितार जब भी स्क्रीन पर आया देखने वाले के दिल पर उस किरदार की यादगार छाप छोड़ गया। उसकी कॉमेडी ने पब्लिक को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में भी उसका अलग ही अंदाज नजर आया। मुख्य धारा सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह के सफर की शुरुआत 1980 में आई फ़िल्म 'हम पांच' से हुई। फ़िल्म भले ही व्यापारिक थी, लेकिन इसमें नसीर के अभिनय की गहराई समानांतर सिनेमा वाली फ़िल्मों से कम नहीं थी। गुलामी को अपनी तकदीर मान चुके एक गांव में विद्रोह की आवाज बुलंद करते नौजवान के किरदार में नसीर ने जान फूंक दी। हालांकि फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं रही और एक व्यापारिक एक्टर के तौर पर सफलता साबित करने के लिए नसीर को टिकट खिड़की पर भी बिकाऊ बनने की जरूरत थी। और उनके लिए ये काम किया 'जाने भी दो यारों' ने। बॉलीवुड की ऑल टाइम बेस्ट कॉमेडी फ़िल्मों में शुमार 'जाने भी दो यारों' में रवि वासवानी और नसीर की जोड़ी ने बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग दिखाई और फ़िल्म बेहद कामयाब रही। लेकिन कमर्शियल सिनेमा में नसीर की सबसे बड़ी कामयाबी बनी 'मासूम'। बाप और बेटे के रिश्तों को उकेरती 'मासूम' में नसीर ने कमाल की अदाकारी से ना केवल खूब वाहवाही बटोरी बल्कि फ़िल्म भी सुपरहिट हुई और नसीर को एक स्टार का दर्जा मिल गया। नसीर के इस स्टार स्टेटस को और मजबूत किया 1986 में आई सुभाष घई की मल्टीस्टारर मेगाबजट फ़िल्म 'कर्मा' ने। फ़िल्म में नसीर के लिए अपनी छाप छोड़ना आसान नहीं था क्योंकि वहां अभिनय सम्राट "दिलीप कुमार भी थे। और उस दौर के नए नवेले सितारे जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर भी थे। 1987 में गुलजार की 'इजाजत' नसीर के लिए कामयाबी का एक और जरिया बन कर आई। एक जज्बाती कहानी, बेहतरीन निर्देशन, शानदार अभिनय और यादगार संगीत। 'इजाजत' ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की और बतौर व्यापारिक एक्टर नसीर का रुतबा और बढ़ गया। 'त्रिदेव' जैसी सुपरहिट फ़िल्म देकर, 90 का दशक आते-आते नसीर ने व्यापारिक फ़िल्मों में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी। 2003 में आई हॉलीवुड फ़िल्म 'द लीग ऑफ एक्सट्रा ऑर्डिनरी जेंटलमेन' में नसीरुद्दीन ने कैप्टन नीमो का किरदार निभाया तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी फ़िल्म 'खुदा के लिए' में भी उन्होंने शानदार काम किया। देश से लेकर परदेस तक, नसीरुद्दीन शाह ने अपनी अदाकारी का लोहा सारी दुनिया में मनवाया है। लेकिन नसीर अपनी काबिलियत को खुशकिस्मती का नाम देते हैं। वो कहते हैं, 'मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे इतने मौके मिले, लेकिन मैं व्यापारिक फ़िल्मों से अभी संतुष्ट नहीं हूँ।' 2008 में आई 'अ वेडनेसडे' ने नसीर की कमाल की अदाकारी का एक और नजराना पेश किया तो 'इश्किया', 'राजनीति', 'सात खून माफ' और 'डर्टी पिक्चर' जैसी फ़िल्मों के जरिए नसीरुद्दीन ने बार-बार ये साबित किया कि एक सच्चे कलाकार को उम्र बांध नहीं सकती। हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म 'मैक्सिमम' में भी नसीर की जोरदार एक्टिंग ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। आज के नसीरुद्दीन शाह की बात करें तो शायद ही ऐसा कोई रोल है जो उनपर फिट नहीं बैठे। आखिर वो एक्टर ही ऐसे हैं कि हर रोल के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं। लेकिन एक समय था जब नसीर को दो रोल करने की इच्छा थी जो उस समय उन्हें नहीं मिले। लेकिन बाद 'मिर्जा गालिब', दूरदर्शन धारावाहिक में उन्हें दो रोल मिले जिसमें उन्होंने ग़ालिब का वास्तविक चित्र उभारने की कोशिश की। लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि गालिब बनने की नसीर की तमन्ना उनके दिल में एक अधूरे ख्वाब की तरह अटकी हुई थी। 1988 में सीरियल बनाने से सालों पहले गुलजार साहब गालिब पर एक फ़िल्म बनाना चाहते थे और उस फ़िल्म में गालिब के तौर पर उनकी दिली इच्छा संजीव कुमार को लेने की थी। नसीर साहब ने इस बारे में बताते हुए कहा, 'मैंने गुलजार भाई को चिठ्ठी लिखी और अपनी फोटोग्राफ्स भेजी, मैंने लिखा कि ये क्या कर रहे हैं, इस फ़िल्म में आपको मुझे लेना चाहिए।' लेकिन संजीव कुमार को दिल का दौरा पड़ गया था और सेहत उनका साथ नहीं दे रही थी। फिर उसके बाद गुलजार साहब के दिल में उस रोल के लिए अमिताभ के नाम का खयाल आया। लेकिन वहां भी बात नहीं बनी और आखिरकार गालिब पर फ़िल्म बनाने का प्लान ही ठंडे बस्ते में पड़ गया। शायद उस वक्त गुलजार को भी नहीं मालूम होगा कि इस किरदार पर तो तकदीर ने किसी और का नाम लिख दिया है। कई साल बाद गुलजार साहब ने एक दिन नसीर को फोन लगाया। नसीर ने बताया, 'एक दिन मुझे गुलजार भाई का फोन आया कि सीरियल में काम करोगे। मैंने पूछा कौन सा सीरियल तो उन्होंने बताया गालिब पर है। मैंने बिना कुछ सोचे फौरन हां कह दिया।' साल 1982 में 'गांधी' के रिलीज होने के अट्ठारह साल बाद कमल हासन ने 'हे राम' बनाई, जिसने नसीर साहब की गांधी बनने की तमन्ना को भी पूरा कर दिया। सधी हुई अदाकरी और बेजोड़ अंदाज से उन्होंने ना केवल गांधी के किरदार में जान डाल दी। बेजोड़ एक्टिंग और गजब की क्षमता से हर तरह के किरदार निभाने वाले नसीर ने अपनी छाप नकारात्मक भूमिकाओं में भी छोड़ी। समानांतर सिनेमा का ये हीरो कमर्शियल फ़िल्मों में एक ख़तरनाक विलेन के तौर पर भी हमेशा याद किया जाता रहेगा। हिन्दी सिनेमा में विलेन का ये नया चेहरा था, खूंखार और अजीबोगरीब शक्ल वाला कोई गुंडा नहीं बल्कि सोफेस्टिकेटेड इंसान जिसके दिमाग में सिर्फ जहर ही जहर था। विलेन का ये किरदार जितना संजीदा था उससे भी ज्यादा संजीदगी से उसे निभाया था नसीरुद्दीन शाह ने। वैसे खलनायक के तौर पर उनकी एक दो फ़िल्में नहीं थीं। 'मोहरा' में उन्होंने दिखाया विलेन का वो चेहरा जो किसी के भी दिल में खौफ पैदा कर सकता है। अंधा होने का नाटक करने वाला एक शिकारी, लेकिन ये नसीर की असली पहचान नहीं थी। नसीर की असली पहचान समानांतर सिनेमा था। सिनेमा की वो धारा जिसमें एक स्टार के लिए कम और एक्टर के लिए गुंजाइश ज्यादा होती है। और ये बात किसी से छुपी नहीं कि नसीर एक एक्टर पहले और स्टार बाद में हैं। समानांतर सिनेमा के इस सितारे ने स्मिता पाटिल, शबाना आजमी, अमरीश पुरी और ओम पुरी जैसे माहिर कलाकारों के साथ मिलकर आर्ट फ़िल्मों को एक नई पहचान दी। 'निशान्त' जैसी सेंसेटिव फ़िल्म से अभिनय का सफर शुरू करने वाले नसीर ने 'आक्रोश', 'स्पर्श', 'मिर्च मसाला', 'भवनी भवाई', 'अर्धसत्य', 'मंडी' और 'चक्र' जैसी फ़िल्मों में अभिनय की नई मिसाल पेश कर दी। .
नसीरुद्दीन शाह और भारत में इस्लाम · नसीरुद्दीन शाह और हिन्दी सिनेमा ·
पाकिस्तान
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .
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मधुबाला
मधुबाला (مدھو بال; जन्म: 14 फ़रवरी 1933, दिल्ली - निधन: 23 फ़रवरी 1969, बंबई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थी। उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है। चेहरे द्वारा`भावाभियक्ति तथा नज़ाक़त उनकी प्रमुख विशेषतायें थीं। उनके अभिनय, प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है। वास्तव मे हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक मधुबाला के अभिनय काल को स्वर्ण युग की संज्ञा से सम्मानित करते हैं। .
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मुम्बई
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .
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म्यान्मार
म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .
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मोहम्मद रफ़ी
कोई विवरण नहीं।
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शाहरुख़ ख़ान
शाहरुख़ ख़ान (उच्चारण; जन्म 2 नवम्बर 1965), जिन्हें अक्सर शाहरुख खान के रूप में श्रेय दिया जाता है और अनौपचारिक रूप में एसआरके नाम से सन्दर्भित किया जाता, एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता है। अक्सर मीडिया में इन्हें "बॉलीवुड का बादशाह", "किंग खान", "रोमांस किंग" और किंग ऑफ़ बॉलीवुड नामों से पुकारा जाता है। खान ने रोमैंटिक नाटकों से लेकर ऐक्शन थ्रिलर जैसी शैलियों में 75 हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया है। फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिये उन्होंने तीस नामांकनों में से चौदह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते हैं। वे और दिलीप कुमार ही ऐसे दो अभिनेता हैं जिन्होंने साथ फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार आठ बार जीता है। 2005 में भारत सरकार ने उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया। अर्थशास्त्र में उपाधी ग्रहण करने के बाद इन्होने अपने करियर की शुरुआत १९८० में रंगमंचों व कई टेलिविज़न धारावाहिकों से की और १९९२ में व्यापारिक दृष्टी से सफल फ़िल्म दीवाना से फ़िल्म क्षेत्र में कदम रखा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर प्रथम अभिनय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके पश्च्यात उन्होंने कई फ़िल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं अदा की जिनमे डर (१९९३), बाज़ीगर (१९९३) और अंजाम (१९९४) शामिल है। वे कई प्रकार की भूमिकाओं में दिखे व भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़िल्मों में कार्य किया जिनमे रोमांस फ़िल्में, हास्य फ़िल्में, खेल फ़िल्में व ऐतिहासिक ड्रामा शामिल है। उनके द्वारा अभिनीत ग्यारह फ़िल्मों ने विश्वभर में १ बिलियन का व्यवसाय किया है। खान की कुछ फ़िल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), कुछ कुछ होता है (१९९८), ''देवदास'' (२००२), ''चक दे! इंडिया'' (२००७), ओम शांति ओम (२००७), रब ने बना दी जोड़ी (२००८) और रा.वन (२०११) अबतक की सबसे बड़ी हीट फ़िल्मों में रही है और कभी खुशी कभी ग़म (२००१), कल हो ना हो (२००३), वीर ज़ारा (२००६)। वेल्थ रिसर्च फर्म वैल्थ एक्स के मुताबिक किंग खान पहले सबसे अमीर भारतीय अभिनेता बन गए हैं। फर्म ने अभिनेता की कुल संपत्ति 3660 करोड़ रूपए आंकी थी लेकिन अब 4000 करोङ बताई जाती है। .
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सलमान ख़ान
अब्दुल रशीद सलीम सलमान खान (سلمان خان. उच्चारण:, जन्म: २७ दिसम्बर १९६५) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं, जो बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई देते हैं। इन्होंने सन १९८८ में अभिनय की दुनिया में अपनी पहली फिल्म बीवी हो तो ऐसी से शुरूआत की। सलमान को अपनी पहली बड़ी व्यावसायिक सफलता १९८९ में रिलीज़ हुई मैंने प्यार किया से मिली, जिसके लिए इन्हें फिल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नवीन पुरूष अभिनेता पुरस्कार भी दिया गया। वे बॉलीवुड की कुछ सफल फिल्मों में स्टार कलाकार की भूमिका करते रहे, जैसे साजन (१९९१), हम आपके हैं कौन (१९९४) व बीवी नं. १ (१९९९) और ये ऐसी फिल्में थीं जिन्होंने उनके करियर में पाँच अलग सालों में सबसे अधिक कमाई की। १९९९ में खान ने १९९८ की फिल्म कुछ कुछ होता है में उनकी अतिथि-भूमिका के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार जीता और तब से इन्होंने कई आलोचनात्मक और व्यावसायिक फिल्मों में स्टार के रूप में सफलता प्राप्त की है, जिनमें हम दिल दे चुके सनम (१९९९), तेरे नाम (२००३), नो एन्ट्री (२००५) और पार्टनर (२००७) शामिल हैं। २०१७ में टाईगर जिंदा ने कमाई के मामले मे नया इतिहास बनाया इस तरह खान ने खुद को हिंदी सिनेमा के प्रमुख अभिनेताओं में सबसे महान अभिनेता की छवि बनाई। बाद में बनी फ़िल्में, वांटेड (२००९), दबंग (२०१०), रेड्डी (२०११) और बॉडीगार्ड (२०११) उनकी हिन्दी सिने जगत में सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्में रही। किक (२०१४ फिल्म) सलमान की पहली फिल्म है जो 200 करोड़ के क्लब में शामिल हुई है। किक सलमान की सातवीं फिल्म है जो 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर चुकी है। इससे पहले 6 फिल्में 100 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी हैं एक था टाइगर - 198 करोड़, दबंग-2 - 158 करोड़, बॉडीगार्ड - 142 करोड़, दबंग - 145 करोड़, Ready (2011 film) - 120 करोड़, जय हो (फ़िल्म) - 111 करोड़ है। (मुख्य सूचना सलमान खान एक भारतीय अभिनेता के साथ एक गायक भी है. जिन्होंने कई सुरीली आवाजो में गाने भी गाए हैं।) .
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सैफ़ अली ख़ान
सैफ़ अली ख़ान (जन्म: 16 अगस्त, 1970) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। उनके पिता मंसूर अली ख़ान पटौदी एक मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी एवं माँ शर्मिला टैगोर हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री हैं। उनके पूर्वज पटौदी रियासत के नवाब थे | उन्होंने अपना शालेय जीवन लॉरेंस स्कूल, सनावर और लाकर्स पार्क स्कूल, हेर्टफोर्डशिरे,इंग्लैंड में पूरा किया | जिसके बाद महाविद्यालीन पढाई के लिए वह विंचेस्टर कॉलेज इंडिपेंडेंट स्कूल फॉर बॉयज इन यूनाइटेड किंगडम चले गए | अपनी पढ़ाई पूरी कर लौटने के बाद उन्होंने २ महीनो तक दिल्ली स्थित एक एडवरटाइजिंग फर्म के लिए काम किया | उसके बाद उनके पारिवारिक मित्र के कहने पर उन्होंने कपड़ो के ब्रांड "ग्वालियर सुइटिंग्स" के लिए कुछ विज्ञापनों में काम किया | पर किसी कारणवश वह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया और उन्हें मुंबई आना पड़ा | जहां से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की | उनकी पहली फिल्म "परंपरा" १९९२ में रिलीज़ हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पायी। उन्होंने 2010 में पद्म श्री को चौथा सबसे बड़ा भारतीय नागरिक पुरस्कार प्राप्त किया। .
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हिन्दी सिनेमा
हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .
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आमिर ख़ान
आमिर खान (नस्तालीक़: عامر خان) (जन्म आमिर हुसैन खान; मार्च 14, 1965) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लिखनेवाले, कभी कभी गायक और आमिर खान प्रोडक्सनस के संस्थापक-मालिक है। अपने चाचा नासिर हुसैन की फ़िल्म यादों की बारात (1973) में आमिर खान एक बाल कलाकार की भूमिका में नज़र आए थे और ग्यारह साल बाद खान का करियर फ़िल्म होली (1984) से आरम्भ हुआ उन्हें अपने चचेरे भाई मंसूर खान के साथ फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक (1988) के लिए अपनी पहली व्यवसायिक सफलता मिली और उन्होंने फ़िल्म में एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मेल नवोदित पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ नवोदित पुरूष कलाकार के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार) जीता। पिछले आठ नामांकन के बाद 1980 और 1990 के दौरान, खान को राजा हिन्दुस्तानी (1996), के लिए पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो अब तक की उनकी एक बड़ी व्यवसायिक सफलता थी। उन्हें बाद में फिल्मफेयर कार्यक्रम में दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और लगान में उनके अभिनय के लिए 2001 में कई अन्य पुरस्कार मिले और अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। अभिनय से चार साल का सन्यास लेने के बाद, केतन मेहता की फ़िल्म द रायजिंग (2005) से खान ने वापसी की। २००७ में, वे निर्देशक के रूप में फ़िल्म तारे ज़मीन पर का निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार दिया गया। कई कॉमर्शियल सफल फ़िल्मों का अंग होने के कारण और बहुत ही अच्छा अभिनय करने के कारण, वे हिन्दी सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता बन गए हैं। .
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कैटरीना कैफ़
कैटरीना कैफ़ (जन्म: 16 जुलाई 1983) एक ब्रितानी भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्म जगत में काम करती हैं, हालांकि उन्होनें कुछ तेलुगू और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। भारत की सबसे अधिक पारिश्रमिक पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक होने के साथ-साथ, कैटरीना को सबसे आकर्षक हस्तियों में से एक के रूप में मीडिया में उद्धृत किया जाता है। एक सफल मॉडलिंग कैरियर के बाद, 2003 में कैटरीना ने व्यावसायिक रूप से असफल फ़िल्म बूम में एक भूमिका के साथ अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। फलस्वरूप वह एक तेलुगू हिट फिल्म, रोमांटिक कॉमेडी मल्लीस्वारी में दिखाई दी। कैफ ने बाद में रोमांटिक कॉमेडी ''मैंने प्यार क्यूँ किया'' और नमस्ते लंदन के साथ बॉलीवुड में व्यावसायिक सफलता अर्जित की, जिनमें से बाद वाली के लिये उनके अभिनय की प्रशंसा हुई। इसके बाद उनकी कुछ और सफल फ़िल्में आईं जैसे ''पार्टनर'', ''वेलकम'', सिंह इज़ किंग। 2009 में आई फ़िल्म ''न्यू यॉर्क'' जिसके लिये उन्हें फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार का नामांकन मिला, ने उनके करियर को नया मोड़ दिया। वह बाद में ''राजनीति'', ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, मेरे ब्रदर की दुल्हन और एक था टाइगर जैसी हिट फिल्मों में और अधिक प्रमुख भूमिकाओं में दिखीं। वो धूम 3 में संक्षिप्त भूमिका में दिखीं जिसने भारतीय फ़िल्मों में सबसे ज़्यादा कमाई की थी। अपने अभिनय कौशल के लिए समीक्षकों से मिश्रित समीक्षाएँ प्राप्त करने के बावजूद, उन्होनें अपने आप को हिंदी फिल्मों में व्यावसायिक रूप से एक सफल अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया है। अभिनय के अलावा, कैटरीना स्टेज शो और अवार्ड कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। वह विशेष रूप से अपने निजी जीवन के बारे में संरक्षित रहने के लिए जानी जाती हैं, जो व्यापक रूप से मीडिया जांच का विषय रहा हैं। .
कैटरीना कैफ़ और भारत में इस्लाम · कैटरीना कैफ़ और हिन्दी सिनेमा ·
उर्दू भाषा
उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .
उर्दू भाषा और भारत में इस्लाम · उर्दू भाषा और हिन्दी सिनेमा ·
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- भारत में इस्लाम और हिन्दी सिनेमा के बीच समानता
भारत में इस्लाम और हिन्दी सिनेमा के बीच तुलना
भारत में इस्लाम 201 संबंध है और हिन्दी सिनेमा 162 है। वे आम 15 में है, समानता सूचकांक 4.13% है = 15 / (201 + 162)।
संदर्भ
यह लेख भारत में इस्लाम और हिन्दी सिनेमा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: