लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भारत में आरक्षण और मुसलमान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारत में आरक्षण और मुसलमान के बीच अंतर

भारत में आरक्षण vs. मुसलमान

भारत में गरीबी रेखा से नीचे लोगों के जाति और समुदाय प्रोफ़ाइल, सच्चर रिपोर्ट जैसे दर्शाया गया सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अब भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है। भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है। भारत की केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण दे रखा है और विभिन्न राज्य आरक्षणों में वृद्धि के लिए क़ानून बना सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता, लेकिन राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने 68% आरक्षण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें अगड़ी जातियों के लिए 14% आरक्षण भी शामिल है। आम आबादी में उनकी संख्या के अनुपात के आधार पर उनके बहुत ही कम प्रतिनिधित्व को देखते हुए शैक्षणिक परिसरों और कार्यस्थलों में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए कुछ अभिज्ञेय समूहों के लिए प्रवेश मानदंड को नीचे किया गया है। कम-प्रतिनिधित्व समूहों की पहचान के लिए सबसे पुराना मानदंड जाति है। भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि कम-प्रतिनिधित्व के अन्य अभिज्ञेय मानदंड भी हैं; जैसे कि लिंग (महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है), अधिवास के राज्य (उत्तर पूर्व राज्य, जैसे कि बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम है), ग्रामीण जनता आदि। मूलभूत सिद्धांत यह है कि अभिज्ञेय समूहों का कम-प्रतिनिधित्व भारतीय जाति व्यवस्था की विरासत है। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया। संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसीलिए राष्ट्र-निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही। संविधान ने सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की खाली सीटों तथा सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अजा और अजजा के लिए 15% और 7.5% का आरक्षण था।बाद में, अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण शुरू किया गया। 50% से अधिक का आरक्षण नहीं हो सकता, सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से (जिसका मानना है कि इससे समान अभिगम की संविधान की गारंटी का उल्लंघन होगा) आरक्षण की अधिकतम सीमा तय हो गयी। हालांकि, राज्य कानूनों ने इस 50% की सीमा को पार कर लिया है और सर्वोच्च न्यायलय में इन पर मुकदमे चल रहे हैं। उदाहरण के लिए जाति-आधारित आरक्षण भाग 69% है और तमिलनाडु की करीब 87% जनसंख्या पर यह लागू होता है (नीचे तमिलनाडु अनुभाग देखें)। . मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

भारत में आरक्षण और मुसलमान के बीच समानता

भारत में आरक्षण और मुसलमान आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारत में आरक्षण और मुसलमान के बीच तुलना

भारत में आरक्षण 25 संबंध है और मुसलमान 9 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (25 + 9)।

संदर्भ

यह लेख भारत में आरक्षण और मुसलमान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »