भक्ति और वामन पुराण
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भक्ति और वामन पुराण के बीच अंतर
भक्ति vs. वामन पुराण
भक्ति भजन है। किसका भजन? ब्रह्म का, महान का। महान वह है जो चेतना के स्तरों में मूर्धन्य है, यज्ञियों में यज्ञिय है, पूजनीयों में पूजनीय है, सात्वतों, सत्वसंपन्नों में शिरोमणि है और एक होता हुआ भी अनेक का शासक, कर्मफलप्रदाता तथा भक्तों की आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाला है। . वामन पुराण में मुख्यरूप से भगवान विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्यान है। विष्णु के वामन अवतार से संबंधित यह दस हजार श्लोकों का पुराण शिवलिंग पूजा, गणेश -स्कन्द आख्यान, शिवपार्वती विवाह आदि विषयों से परिपूर्ण है। इसमें भगवान वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजीका लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरिका कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराणका उपसंहार हुआ है। .
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संदर्भ
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