ब्रिटिश राज और सन्यासी विद्रोह
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ब्रिटिश राज और सन्यासी विद्रोह के बीच अंतर
ब्रिटिश राज vs. सन्यासी विद्रोह
ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। . अट्ठारहवीँ शती के अन्तिम वर्षों में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध तत्कालीन भारत के कुछ भागों में सन्यासियों ने बडे ही उग्र आन्दोलन किये थे जिसे इतिहास में सन्यासी विद्रोह कहा जाता है। यह आन्दोलन अधिकांशतः उस समय ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रान्त में हुआ था। बांग्ला भाषा के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का सन १८८२ में रचित उपन्यास आनन्द मठ इसी विद्रोह की घटना पर आधारित है। देशभक्ति से परिपूर्ण कालजयी रचना वन्दे मातरम् इसी उपन्यास की उपज है जो आगे चलकर भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का मूलमन्त्र बनी। .
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संदर्भ
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