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ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत के बीच अंतर

ब्रह्माण्डविद्या vs. सूर्य केंद्रीय सिद्धांत

हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रहाण्ड का चित्रण ब्रह्माण्डविद्या या कॉस्मोलॉजी खगोल विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें ब्रह्माण्ड से जुड़ी तमाम बातों का अध्ययन किया जाता है। इसमें ब्रह्माण्ड के बनने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाती है। बीसवीं शताब्दी में आए वैज्ञानिक बदलावों ने वैज्ञानिकों की ब्रह्माण्ड के बारे में दिलचस्पी बढ़ा दी। वैज्ञानिक उससे जुड़े तमाम रहस्यों को तलाशने लगे। यह बीसवीं शताब्दी में कॉस्मोलॉजी के बारे में बढ़ती जिज्ञासा का ही प्रतिफल था कि वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से जुड़ी बिग बैंग सिद्धांत दे डाला। कॉस्मोलॉजी की शुरुआत एक तरह से आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के बाद से मानी जाती है। उससे पूर्व ब्रह्माण्ड के शुरुआत और अंत के बारे में कोई निश्चित धारणा नहीं थी। आइंस्टीन ने कहा कि ब्रह्माण्ड में कुछ पदार्थ है। इसी सिद्धांत के आधार पर फ्रेडमेन ने अपना सिद्धान्त दिया जिसमें कहा कि ब्रह्माण्ड फैल रहा है या सिकुड़ रहा है। 1927 में जॉर्ज लेमेत्री ने बिग बैंग थ्योरी देकर फ्रेडमेन के सिद्धांत की पुष्टि की। इसके बाद हबल के कॉस्मोलॉजिकल सिद्धांत ने बिग बैंग थ्योरी और फ्रेड के गैलैक्सी के नियम को आधार प्रदान किया। 1965 में माइक्रोवेव की खोज और ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के नियम के बाद इस बात को माना जाने लगा कि वह फैल रहा है। माइक्रोवेव की खोज के दौरान यह बात भी सामने आई कि ब्रह्माण्ड के 25 प्रतिशत हिस्से में डार्क मैटर है जिसमे से केवल 4 प्रतिशत को ही देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना कि विस्फोट से पहले ब्रह्माण्ड सिकुड़ा हुआ था। कॉस्मोलॉजी के मानक सिद्धान्त अनुसार ब्रह्माण्ड को विभिन्न समय में बांटा जा सकता है। इन्हें 'इपोस' कहते हैं। मोटे तौर पर कहा जाए तो फिजिकल कास्मोलॉजी के माध्यम से ब्रह्माण्ड के बड़े ऑब्जेक्ट मसलन गैलेक्सी, क्लस्टर और सुपरक्लस्टर के बारे में जनकारी मिलती है। कॉस्मोलॉजी की मदद से ब्लैक होल के बारे में जानने में मदद मिली। कॉस्मोलॉजी से यह भी देखा गया कि भौतिकी के नियम ब्रह्माण्ड में हर जगह समान हैं या नहीं। . सूर्य केंद्रीय सिद्धांत अथवा सूर्य केन्द्रीयता (heliocentricism), एक खगोलीय मॉडल है जिसमें पृथ्वी और ग्रह सौरमंडल के केंद्र में एक अपेक्षाकृत स्थिर सूर्य के चारों ओर घूमते है। यह शब्द प्राचीन यूनानी भाषा से आया है (ἥλιος हिलीयस "सूर्य" और κέντρον केंट्रोन "केंद्र")। ऐतिहासिक रूप से, सूर्य केन्द्रीयता ने भूकेंद्रीयता का विरोध किया था जिसने पृथ्वी को केंद्र पर रखा था। यह धारणा कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, सैमोस के एरिसटेरकस द्वारा तीसरी शताब्दी ईपू के उत्तरार्ध में प्रस्तावित किया गया था। किंतु एरिसटेरकस के सूर्य केन्द्रीयता ने थोड़े समय के लिए ध्यान आकर्षित किया जब तक कोपरनिकस पुनर्जीवित हुआ और इसका सविस्तार हुआ। तथापि, लुसियो रुसो का तर्क है कि यह हेलेनिस्टिक युग के वैज्ञानिक कार्यों के नुकसान से उत्पन्न एक भ्रामक धारणा है। अप्रत्यक्ष प्रमाण का प्रयोग कर वे तर्क देते हैं कि एक सूर्य केंद्रीय विचार को हिप्पारकस के गुरुत्वाकर्षण पर कार्य में समझाया गया था। .

ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत के बीच समानता

ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): खगोल शास्त्र

खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

खगोल शास्त्र और ब्रह्माण्डविद्या · खगोल शास्त्र और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत · और देखें »

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ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत के बीच तुलना

ब्रह्माण्डविद्या 7 संबंध है और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 6.67% है = 1 / (7 + 8)।

संदर्भ

यह लेख ब्रह्माण्डविद्या और सूर्य केंद्रीय सिद्धांत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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