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बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद के बीच अंतर

बौद्ध ग्रंथ vs. मध्यमा प्रतिपद

बौद्ध धर्म और बौद्ध दर्शन से संबन्धित ग्रंथ प्रागैतिहासिक काल से लिखे गये हैं। ये संस्कृत, पालि तथा अन्य कई भाषाओं में लिखे या अनूदित किये गये हैं। . महात्मा बुद्ध ने आर्य अष्टांगिक मार्ग को मध्यमाप्रतिपद (पालि: मझ्झिमापतिपदा; तिब्बती: དབུ་མའི་ལམ། Umélam; वियतनामी: Trung đạo; थाई: มัชฌิมา) के रूप में अभिव्यक्त किया था। .

बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद के बीच समानता

बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पालि भाषा

पालि भाषा

ब्राह्मी तथा भाषा '''पालि''' है। पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। .

पालि भाषा और बौद्ध ग्रंथ · पालि भाषा और मध्यमा प्रतिपद · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद के बीच तुलना

बौद्ध ग्रंथ 7 संबंध है और मध्यमा प्रतिपद 5 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 8.33% है = 1 / (7 + 5)।

संदर्भ

यह लेख बौद्ध ग्रंथ और मध्यमा प्रतिपद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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