हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी के बीच अंतर

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी vs. भौतिक विज्ञानी

बसु-आइंस्टीन वक्र (ऊपर वाला) तथा फर्मी-डिरैक वक्र (नीचे वाला) क्वांटम सांख्यिकी तथा सांख्यिकीय भौतिकी में अविलगनीय (indistinguishable) कणों का संचय केवल दो विविक्त ऊर्जा प्रावस्थाओं (discrete energy states) में रह रकता है। इसमें से एक का नाम बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी (Bose–Einstein statistics) है। लेजर तथा घर्षणहीन अतितरल हिलियम के व्यवहार इसी सांख्यिकी के परिणाम हैं। इस व्यवहार का सिद्धान्त १९२४-२५ में सत्येन्द्र नाथ बसु और अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया था। 'अविलगनीय कणों' से मतलब उन कणों से है जिनकी ऊर्जा अवस्थाएँ बिल्कुल समान हों। यह सांख्यिकी उन्ही कणों पर लागू होती है जो जो पाउली के अपवर्जन सिद्धांत के अनुसार नहीं चलते, अर्थात् अनेकों कण एक साथ एक ही 'क्वांटम स्टेट' में रह सकते हैं। ऐसे कणों का चक्रण (स्पिन) का मान पूर्णांक होता है तथा उन्हें बोसॉन (bosons) कहते हैं। यह सांख्यिकी १९२० में सत्येन्द्रनाथ बोस द्वारा प्रतिपादित की गयी थी और फोटानों के सांख्यिकीय व्यवहार को बताने के लिये थी। इसे सन् १९२४ में आइंस्टीन ने सामान्यीकृत किया जो कणों पर भी लागू होती है। . अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी के बीच समानता

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ऊर्जा, तापमान, पाउली अपवर्जन नियम, बोसॉन, सत्येन्द्रनाथ बोस, अति तरलता, अल्बर्ट आइंस्टीन

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

ऊर्जा और बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी · ऊर्जा और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

तापमान और बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी · तापमान और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

पाउली अपवर्जन नियम

पाउली का अपवर्जन का नियम (Pauli exclusion principle) क्वाण्टम यांत्रिकी का एक सिद्धान्त है जिसे सन् १९२५ में वुल्फगांग पाउली ने प्रतिपादित किया था। (अपवर्जन का अर्थ होता है - छोड़ना, अलग नियम लागू होना, आदि।) इस सिद्धान्त के अनुसार- किसी एक ही परमाणु में स्थित इलेक्ट्रॉनों के लिये यह नियम कहता है कि "किन्ही भी दो इलेक्ट्रॉनों की चारों (यानी सभी) प्रमात्रा संख्याएं एक समान नहीं हो सकतीं। इस सिद्धान्त के अनुसार समान अवस्था वाले अथवा समान गुणधर्म वाले दो कण (जिनके प्रचक्रण, कलर चार्ज, कोणीय संवेग इत्यदि समान हो) किसी एक समय मे किसी एक स्थान पर नहीं रह सकते है। जो कण इस सिध्दांत का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है, जैसे: इलेक्ट्रॉन, प्राणु, न्यूट्रॉन इत्यादि; एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते है, बोसॉन कहलाते है, जैसे: फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसान। .

पाउली अपवर्जन नियम और बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी · पाउली अपवर्जन नियम और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

बोसॉन

बोसॉन (Boson):- वे कण जो बोस-आइंस्टीन साँख्यिकी का पालन करते है और जिनकी प्रचक्रण (०,१,२,---) होती है, बोसॉन कहलाते है। मूलभूत बलो को संजोकर रखने वाले सभी उर्जा वाहक कण (फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसॉन) बोसॉन होते है। वे संयोजित कण जिनमे फर्मिऑन की संख्या सम होती है, बोसॉन कहलाते है, उदाहरण - मेसॉन। किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम। शीत हीलियम, जिसकी श्यानता (viscosity) शून्य होती है, का विचित्र व्यवहार होता है कि यह अपने में आरपार आ जा सकता है। इसका यह व्यवहार बोसॉनिक गुण के कारण होता है, चूंकि इसका नाभिक बोसॉन होता है और पॉली एक्सक्ल्युसन सिद्धान्त का पालन करने बाध्य नहीं होता इसलीए यह अपने में आरपार गुजर सकता है। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - बोसॉन और फर्मियान। इनमे से बोसॉन सत्येन्द्र नाथ बसु के नाम पर ही हैं। श्रेणी:भौतिकी * श्रेणी:क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत श्रेणी:परमाणु भौतिकी श्रेणी:संघनित द्रव्य भौतिकी.

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और बोसॉन · बोसॉन और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

सत्येन्द्रनाथ बोस

सत्येन्द्रनाथ बोस (१ जनवरी १८९४ - ४ फ़रवरी १९७४) भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री हैं। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं - बोसान और फर्मियान। इनमे से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही हैं। .

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और सत्येन्द्रनाथ बोस · भौतिक विज्ञानी और सत्येन्द्रनाथ बोस · और देखें »

अति तरलता

हिलियम II सतह से 'रेंगते हुए' अपना 'स्तर' स्वयं ढूंढ़ लेती है। कुछ समय बाद देखेंगे कि चित्र में दिखाये गये दोनों पात्रों में द्रव हिलियम का स्तर एकसमान हो जायेगा। अति तरलता (Superfluidity) पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें पदार्थ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह शून्य श्यानता का द्रव हो। मूलतः यह गुण द्रव हिलियम में पाया गया था किन्तु अति-तरलता का गुण खगोलभौतिकी, उच्च ऊर्जा भौतिकी, तथा क्वाण्टम गुरुत्व के सिद्धान्तों में भी में भी देखने को मिलता है। यह परिघटना बोस-आइंस्टाइन संघनन से सम्बन्धित है। किन्तु सभी बोस-आइंस्टाइन द्राव (condensates) अति तरल नहीं कहे जा सकते हैं और सभी अति तरल बोस-आइंस्टाइन द्राव नहीं होते। श्रेणी:द्रव गतिकी श्रेणी:पदार्थ प्रावस्थाएँ श्रेणी:उदीयमान प्रौद्योगिकी.

अति तरलता और बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी · अति तरलता और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

अल्बर्ट आइंस्टीन और बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी · अल्बर्ट आइंस्टीन और भौतिक विज्ञानी · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी के बीच तुलना

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी 15 संबंध है और भौतिक विज्ञानी 180 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 3.59% है = 7 / (15 + 180)।

संदर्भ

यह लेख बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी और भौतिक विज्ञानी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: