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बाइबिल और लातवियाई भाषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बाइबिल और लातवियाई भाषा के बीच अंतर

बाइबिल vs. लातवियाई भाषा

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। . लातवियाई भाषा लातविया की आधिकारिक भाषा है। इसे कभी-कभी लैटिस भी कहा जाता है। लातविया और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में करीबन 15 लाख लोगों द्वारा लातवियाई बोली जाती है। लातवियाई भाषा को बोलने वाले में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिनकी मातृभाषा लातवियाई नहीं है, क्योंकि लातविया सरकार ने ऐसी नीति बना कर रखी हुई है, कि आठ लाख जातीय अल्पसंख्यक लोगों में से 60 प्रतिशत लोग लातवियाई बोलते हैं। लातवियाई भाषा का प्रयोग लातविया में दिनों-दिन बढ़ रहा है। लातविया एक बाल्टिक भाषा है, जिसका लिथुयानियाई से करीब का संबंध है, हालांकि दोनों एक-दूसरे से नहीं मिलते हैं। लातवियाई पश्चिमी मुद्रण में 16वीं शताब्दी में मध्य में नजर आया, जब सेबेस्टियन मुन्स्टर की कास्मोग्राफिया यूनिवर्सालिस ने रोमन लिपि में प्रभु की प्रार्थना प्रकाशित की। श्रेणी:हिन्द-यूरोपीय भाषाएँ श्रेणी:लातविया.

बाइबिल और लातवियाई भाषा के बीच समानता

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बाइबिल और लातवियाई भाषा के बीच तुलना

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संदर्भ

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