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बहुव्यक्तित्व विकार और व्यक्तित्व

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बहुव्यक्तित्व विकार और व्यक्तित्व के बीच अंतर

बहुव्यक्तित्व विकार vs. व्यक्तित्व

बहुव्यक्तित्व विकार व्यक्तित्व की दो परस्परविरोधी अथवा सर्वथा भिन्न शैलियों का उसकी एक ही इकाई में अपनी पृथक्‌ सत्ता सुरक्षित रखते हुए, इकट्ठे रहने का बोध द्विव्यक्तित्व (Dual Personality) है। एक ही व्यक्ति के घेरे में रहकर भी ये अपने में सुसंबद्ध एवं व्यवस्थित होते हैं; एक दूसरे के प्रति तटस्थ एवं विस्मृत रहते हैं। जब एक व्यक्तित्व-खंड चेतना के धरातल पर सक्रिय रहता हैं तो दूसरे की स्मृति नहीं रहती, यद्यपि स्मृति के मामले में अपवाद भी होते हैं। अपने ही भिन्न स्वरूपबोधों की असंपृक्तता व्यवहार में प्रकट होकर लोगों को अचरज में डाल देती है। सर्वथा विरोधी आचरणों से उसके सामाजिक संबंध लगातार बाधित एवं व्यतिक्रमित होते हैं, टूट जाते हैं। द्विव्यक्तित्वधारी, मानसिक चिकित्सा का एक नैदानिक विषय (पैथालाजिकल केस) बन जाता है। ये व्यक्तित्व-खंड दो से ज्यादा भी होते है। इनके कई नाम भी चलते हैं- बहुव्यक्तित्व (मल्टिपुल पर्सनैलिटी), खंडित व्यक्तित्व (स्प्लिट पर्सनैलिटी); असंपृक्त व्यक्तित्व (Dissociative personality), एकांतरित तथा स्थानांतरित (आल्टर्नेंट तथा डिस्प्लेस्ड) व्यक्तित्व आदि। लोककथाओं तथ साहित्य में ऐसे व्यक्तित्व परिवर्तन के दृष्टांत मिलते हैं। राबर्ट लुई सटीवेंसन के प्रसिद्ध उपन्यास 'डॉ॰ जोकिल ऐंड मि. व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है। जनसाधारण में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप से लिया जाता है, परन्तु मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप गुणों की समष्ठि से है, अर्थात् व्यक्ति के बाह्य आवरण के गुण और आन्तरिक तत्व, दोनों को माना जाता है। .

बहुव्यक्तित्व विकार और व्यक्तित्व के बीच समानता

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बहुव्यक्तित्व विकार और व्यक्तित्व के बीच तुलना

बहुव्यक्तित्व विकार 5 संबंध है और व्यक्तित्व 40 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (5 + 40)।

संदर्भ

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