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बरसाना और लट्ठमार होली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बरसाना और लट्ठमार होली के बीच अंतर

बरसाना vs. लट्ठमार होली

बरसाना मथुरा जिले की छाता तहसील के नन्दगाँव ब्लाक में स्थित एक क़स्बा और नगर पंचायत है| बरसाना का प्राचीन नाम वृषभानुपुर है। इसके आसपास के शहर हैं: मथुरा, भरतपुर, खैर आदि | इसका ध्रुवीय निर्देशांक: 27°39'2"N 77°22'38"E है | . भगवान कृष्ण की साथी राधा के जन्म स्थान बरसाना की लट्ठमार होली भारत के सबसे रंगीन पर्व होली मनाने के अपने अनूठे तरीके के लिए विश्वप्रसिद्ध है। बरसाने की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगाँव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए राधा रानी के गाँव बरसाने जाते हैं और विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं। इन पुरूषों को होरियारे कहा जाता है। बरसाना की लट्ठमार होली के बाद अगले दिन यानी फाल्गुन शुक्ला दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। तब नंदभवन में होली की खूब धूम मचती है। दरअसल बरसाना की लठामार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं की पुनरावृत्ति जैसी है। माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधारानी तथा उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे तथा उनके साथ ठिठोली करते थे जिस पर राधारानी तथा उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। ऐसे में लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाल वृंद भी लाठी या ढ़ालों का प्रयोग किया करते थे जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गया। उसी का परिणाम है कि आज भी इस परंपरा का निर्वहन उसी रूप में किया जाता है। जब नाचते झूमते लोग गांव में पहुंचते हैं तो औरतें हाथ में ली हुई लाठियों से उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं और पुरुष खुद को बचाते भागते हैं। लेकिन खास बात यह है कि यह सब मारना पीटना हंसी खुशी के वातावरण में होता है। औरतें अपने गांवों के पुरूषों पर लाठियां नहीं बरसातीं.

बरसाना और लट्ठमार होली के बीच समानता

बरसाना और लट्ठमार होली आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): नंदगाँव, मथुरा

नंदगाँव, मथुरा

नंदगांव उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में प्रसिद्ध पौराणिक ग्राम बरसाना के पास एक छोटा सा नगर है। यह नंदीश्वर नामक सुन्दर पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह कृष्ण भक्तों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। किंवदंती के अनुसार यह गांव भगवान कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा एक पहाड़ी पर बसाया गया था। इसी कारण इस स्थान का नाम नंदगांव पड़ा। गोकुल को छोड़ कर नंदबाबा श्रीकृष्ण और गोप ग्वालों को लेकर नंदगाँव आ गए थे। .

नंदगाँव, मथुरा और बरसाना · नंदगाँव, मथुरा और लट्ठमार होली · और देखें »

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बरसाना और लट्ठमार होली के बीच तुलना

बरसाना 20 संबंध है और लट्ठमार होली 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.17% है = 1 / (20 + 4)।

संदर्भ

यह लेख बरसाना और लट्ठमार होली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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