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फाइमोसिस और स्तंभन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

फाइमोसिस और स्तंभन के बीच अंतर

फाइमोसिस vs. स्तंभन

शिश्न के आगे की त्वचा संकरी हो जाती है। फाइमोसिस से ग्रस्त शिश्न के खड़ा होने पर भी शिश्न मुण्ड से त्वचा पीछे नहीं आ पाती फाइमोसिस (phimosis) या निरुद्धप्रकाश शिश्न का एक विकार है। इस्से ग्रस्त शिश्न के मुण्ड की त्वचा पीछे नहीं खींची जा पाती जिससे शिश्नमुंड बाहर नहीं निकल पाता। बच्चे में फाइमोसिस होना सामान्य बात है। इसके लिए किसी उपाय की जरूरत नहीं होती। समय के साथ यह स्वयं समाप्त हो जाती है। किन्तु युवाओं में फाइमोसिस असामान्य होती है जो किसी संक्रमण या उत्तेजना अथवा सामने की चमड़ी के इन्फेक्शन से हो सकती है। इससे यह चमड़ी पीछे नहीं जाती। पैराफामोसिस जब शिश्न के शीर्ष से त्वचा सदा ही पीछे हटी रहती है तो उसे पैराफाइमोसिस कहते हैं। यह अपने स्थान पर नहीं आ पाती और शिश्न मुण्ड को नहीं ढक पाती। ऐसी स्थिति में शिश्न का शीर्ष फंस सकता है और रक्त संचार कम होने के कारण गंभीर समस्या हो सकती है। . स्तम्भन क्रम (लिंग बृद्धि की चार अवस्थाओं के चित्र) स्तम्भन से अभिप्राय शिश्न (लिंग) के आकार में बढ़ने और कड़ा होने से है, जो यौनिच्छा करने पर शिश्न के उत्तेजित होने के कारण होता है, यद्यपि यह गैर यौन स्थितियों में भी हो सकता है। प्राथमिक शारीरिक तन्त्र जिसके चलते स्तम्भन होता है, में शिश्न की धमनियाँ स्वतः फैल जाती हैं, जिसके कारण अधिक रक्त शिश्न के तीन स्पंजी ऊतक कक्षों में भर जाता है जो इसे लम्बाई और कठोरता प्रदान करता है। यह रक्त से भरे ऊतक रक्त को वापस ले जाने वाली शिराओं पर दबाव डाल कर सिकोड़ देते हैं, जिसके कारण अधिक रक्त प्रवेश करता है और कम रक्त वापस लौटता है। थोड़ी देर बाद एक साम्यावस्था अस्तित्व में आ जाती है जिसमें फैली हुई धमनियों और सिकुडी़ हुई शिराओं में रक्त की समान मात्रा बहने लगती है और इस साम्यावस्था के कारण शिश्न को एक निश्चित स्तम्भन आकार स्वत: ही मिल जाता है। स्तम्भन यद्यपि संभोग के लिये आवश्यक है पर विभिन्न अन्य यौन गतिविधियों के लिए यह आवश्यक नहीं है। .

फाइमोसिस और स्तंभन के बीच समानता

फाइमोसिस और स्तंभन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिश्न

शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

फाइमोसिस और शिश्न · शिश्न और स्तंभन · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

फाइमोसिस और स्तंभन के बीच तुलना

फाइमोसिस 3 संबंध है और स्तंभन 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 9.09% है = 1 / (3 + 8)।

संदर्भ

यह लेख फाइमोसिस और स्तंभन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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