प्रोटीन और सूक्ष्मतरंग चूल्हा
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प्रोटीन और सूक्ष्मतरंग चूल्हा के बीच अंतर
प्रोटीन vs. सूक्ष्मतरंग चूल्हा
रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे. एक सूक्ष्मतरंग चूल्हा मैग्नेट्रॉन का विद्युत परिपथ: इसके लिये उच्च वोल्टता (४०००-५००० वोल्ट) की आवश्यकता होती है।) सूक्ष्मतरंग चूल्हा, या माइक्रोवेव चूल्हा एक रसोईघर उपकरण है जो कि खाना पकाने और खाने को गर्म करने के काम आता है। इस कार्य के लिये यह चूल्हा द्विविद्युतीय (dielectric) उष्मा का प्रयोग करता है। यह खाने के भीतर उपस्थित पानी और अन्य ध्रुवीय अणुओं को सूक्ष्मतरंग विकिरण का उपयोग करके गर्म करता है। यह गर्मी पूरे भोजन मे काफी हद तक समान रूप से फैलती है (मोटी वस्तुओं को छोड़कर)। यह सुविधा किसी भी अन्य उष्मीय तकनीक में उपलब्ध नहीं होती है। मैग्नेट्रॉन इसका मुख्य अवयव है जो सूक्ष्मतरंगे पैदा करता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हा खाने को जल्दी, कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से गर्म करता है, लेकिन एक पारंपरिक तंदूर की तरह भोजन को भूनता या सेंकता नहीं है इस कारण यह कुछ खाद्य पदार्थों को पकाने या कुछ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए अनुपयुक्त माना जाता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हे मे खाना पकाना कई सुरक्षा मुद्दों से जुडा़ है, जैसे चूल्हे के बाहर सूक्ष्मतरंग विकिरण का रिसाव और आग का खतरा क्योंकि यह उच्च तापमान का प्रयोग करता है। एक प्रमुख दृष्टिकोण है कि यह भोजन, की गुणवत्ता को घटाता है शायद इसका कारण इसके साथ जुडा़ शब्द विकिरण है लेकिन वास्तव मे इसमे पका खाना उतना ही सुरक्षित होता है जितना किसी अन्य स्रोत से पका खाना। सूक्ष्मतरंग चूल्हे ने भोजन तैयार करने मे क्रान्तिकारी परिवर्तन किया है और आज यह हर घर की आवश्यकता बन गये हैं। .
प्रोटीन और सूक्ष्मतरंग चूल्हा के बीच समानता
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संदर्भ
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