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प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन के बीच अंतर

प्रायापिज़्म vs. हस्तमैथुन

प्रायापिज़्म (प्राचीन यूनानी: πριαπισμός, अंग्रेजी: Priapism), एक संभावित रूप से हानिकारक और अति पीड़ाजनक चिकित्सा अवस्था है जिसके अंतर्गत एक स्तंभित शिश्न या भगशेफ, किसी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक या फिर दोनो प्रकार के उत्प्रेरण की अनुपस्थिति के बावजूद, स्तंभन के चार घंटे के दौरान वापस अपनी शिथिलावस्था प्राप्त नहीं करते। प्रायापिज़्म दो प्रकार के होते हैं, निम्न-प्रवाह और उच्च-प्रवाह और दोनो के लिए अलग अलग उपचार है। प्रायापिज़्म एक आपातकालीन चिकित्सा अवस्था है और इसका किसी योग्य चिकित्सक से तत्काल और उचित उपचार होना चाहिए। शीघ्र उपचार कार्यात्मक स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक है। प्रायापिज़्म का नाम यूनानी देवता प्रायापस, के नाम पर पड़ा है जो अपने अति विशाल और स्थायी स्तंभन के लिए विख्यात था। प्रायापस . गुस्टाव क्लिम्ट की चित्रकारी जिसमें ''एक महिला अपनी जांघों को दूर किये बैठी है'' (1916) हस्तमैथुन (अंग्रेजी: Masturbation) शारीरिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित एक सामान्य प्रक्रिया का नाम है जिसे यौन सन्तुष्टि हेतु पुरुष हो या स्त्री, कभी न कभी सभी करते है। इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि बुड्ढे-बुड्ढे लोग भी लिंगोत्थान हेतु करते हैं इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे अभी भी यौन-क्रिया करने में सक्षम हैं। अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करना युवा लड़कों तथा लड़कियों के लिये उस समय आवश्यक हो जाता है जब उनकी किसी कारण वश शादी नहीं हो पाती या वे असामान्य रूप से सेक्सुअली स्ट्रांग होते हैं। अब तो विज्ञान द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि इससे कोई हानि नहीं होती। पुरुषों की तरह महिलाएँ भी अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करने के तरीके खोज लेती हैं जो उन्हें बेहद संवेदनशील अनुभव और प्रबल उत्तेजना प्रदान करते हैं। फिर चाहें वे अकेली हों या अपनी महिला पार्टनर के साथ। महिलाएँ यदि अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित न करें तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि विवाह के बाद सेक्स क्रिया के दौरान उन्हें पर्याप्त उत्तेजना से वंचित रहना पड़े। औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं, लेकिन उनमें यह मामला इतना ढँका और छिपा हुआ रहता है कि कभी किसी चर्चा में भी सामने नहीं आ पाता। पूर्ण तरुण होने पर हस्तमैथुन का मामला खुले रहस्य की ओर झुकाव तो लेने लगता है पर ज्यादातर लोग इस मामले पर पर्दा ही पड़े रहना देना बेहतर समझते हैं। लेकिन अब जमाना बिल्कुल बदल गया है। अब कुछ ऐसे युवा तैयार हो रहे हैं जो इन वर्जनाओं को तोड़ कर हस्तमैथुन के तरीकों पर चर्चा में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। .

प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन के बीच समानता

प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिश्न

शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

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प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन के बीच तुलना

प्रायापिज़्म 3 संबंध है और हस्तमैथुन 19 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.55% है = 1 / (3 + 19)।

संदर्भ

यह लेख प्रायापिज़्म और हस्तमैथुन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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