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प्राचीन थेब्स और बाइबिल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्राचीन थेब्स और बाइबिल के बीच अंतर

प्राचीन थेब्स vs. बाइबिल

प्राचीन थेब्स (प्राचीन ग्रीक: Θῆβαι, Thēbai),मिस्र मे स्थित एक विश्व धरोहर स्थल है। यह प्राचीन मिस्र के लोगों में वासेट के रूप में जाना जाने वाला, भूमध्यसागर से 800 किलोमीटर (500 मील) दक्षिण में नील के पूर्व में स्थित एक प्राचीन मिस्र का शहर था। इसके खंडहर आधुनिक मिस्र शहर लक्सर में देखे जा सकते है। थेब्स ऊपरी मिस्र के नोम (राजदंड नोम) का चौथा मुख्य शहर था और मुख्य रूप से मध्य साम्राज्य और नए साम्राज्य के दौरान मिस्र की राजधानी थी। यह अपने मूल्यवान खनिज संसाधनों और व्यापार मार्गों के साथ, नुबिया और पूर्वी रेगिस्तान के नजदीक था। यह अपने स्वर्णिम काल के दौरान एक पंथ केंद्र और प्राचीन मिस्र का सबसे सम्मानित शहर था। थेब्स के एतिहासिक स्थल नील नदी के दोनो तटों में फैला हुआ है जहाँ पूर्वी तट में कर्णक के मंदिर और आज का लक्सर शहर था; वहीं पश्चिमी किनारे में, बड़े निजी और शाही कब्रिस्तान और अंत्येष्टि परिसरों का एक नेक्रोपोलिस देखा जा सकता है। इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा सन १९७९ मे मिला था। . बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

प्राचीन थेब्स और बाइबिल के बीच समानता

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संदर्भ

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