प्राकृतिक विधि और सामाजिक संविदा
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प्राकृतिक विधि और सामाजिक संविदा के बीच अंतर
प्राकृतिक विधि vs. सामाजिक संविदा
प्राकृतिक विधि (Natural law, or the law of nature) विधि की वह प्रणाली है जो प्रकृति द्वारा निर्धारित होती है। प्रकृति द्वारा निर्धारित होने के कारण यह सार्वभौमिक है। परम्परागत रूप से प्राकृतिक कानून का अर्थ मानव की प्रकृति के विश्लेषण के लिए तर्क का सहारा लेते हुए इससे नैतिक व्यवहार सम्बन्धी बाध्यकारी नियम उत्पन्न करना होता था। प्राकृतिक कानून की प्रायः प्रत्यक्षवादी कानून (positive law) से तुलना की जाती है। . सामाजिक संविदा (Social contract) कहने से प्राय: दो अर्थों का बोध होता है। प्रथमत: सामाजिक संविदा-विशेष, जिसके अनुसार प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले कुछ व्यक्तियों ने संगठित समाज में प्रविष्ट होने के लिए आपस में संविदा या ठहराव किया, अत: यह राज्य की उत्पत्ति का सिद्धांत है। दूसररे को सरकारी-संविदा कह सकते हैं। इस संविदा या ठहराव का राज्य की उत्पत्ति से कोई संबंध नहीं वरन् राज्य के अस्तित्व की पूर्व कल्पना कर यह उन मान्यताओं का विवेचन करता है जिन पर उस राज्य का शासन प्रबंध चले। ऐतिहासिक विकास में संविदा के इन दोनों रूपों का तार्किक क्रम सामाजिक संविदा की चर्चा बाद में शुरू हुई। परंतु जब संविदा के आधार पर ही समस्त राजनीति शास्त्र का विवेचन प्रारंभ हुआ तब इन दोनों प्रकार की संविदाओं का प्रयोग किया जाने लगा - सामाजिक संविदा का राज्य की उत्पत्ति के लिए तथा सरकारी संविदा का उसकी सरकार को नियमित करने के लिए। .
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संदर्भ
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