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प्रस्थानत्रयी और वैष्णव सम्प्रदाय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रस्थानत्रयी और वैष्णव सम्प्रदाय के बीच अंतर

प्रस्थानत्रयी vs. वैष्णव सम्प्रदाय

श्रीमद्भगवद्गीता, ब्रह्मसूत्र तथा उपनिषदों को मिलाकर प्रस्थानत्रयी कहा जाता है। प्राचीन काल में भारतवर्ष में जब कोई गुरू अथवा आचार्य अपने मत का प्रतिपादन एवं उसकी प्रतिष्ठा करना चाहता था तो उसके लिये सर्वप्रथम वह इन तीनों पर भाष्य लिखता था। आदि शंकराचार्य, रामानुज आदि बड़े-बड़े गुरूओं ने ऐसा कर के ही अपने मत का प्रतिपादन किया। श्रेणी:हिन्दू धर्म. वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालों का सम्प्रदाय है। इसके अन्तर्गत चार सम्प्रदाय मुख्य रूप से आते हैं। पहले हैं आचार्य रामानुज, निमबार्काचार्य, बल्लभाचार्य, माधवाचार्य। इसके अलावा उत्तर भारत में आचार्य रामानन्द भी वैष्णव सम्प्रदाय के आचार्य हुए और चैतन्यमहाप्रभु भी वैष्णव आचार्य है जो बंगाल में हुए। रामान्दाचार्य जी ने सर्व धर्म समभाव की भावना को बल देते हुए कबीर, रहीम सभी वर्णों (जाति) के व्यक्तियों को सगुण भक्ति का उपदेश किया। आगे रामानन्द संम्प्रदाय में गोस्वामी तुलसीदास हुए जिन्होने श्री रामचरितमानस की रचना करके जनसामान्य तक भगवत महिमा को पहुँचाया। उनकी अन्य रचनाएँ - विनय पत्रिका, दोहावली, गीतावली, बरवै रामायण एक ज्योतिष ग्रन्थ रामाज्ञा प्रश्नावली का भी निर्माण किया। .

प्रस्थानत्रयी और वैष्णव सम्प्रदाय के बीच समानता

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संदर्भ

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